भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की राह में ‘नॉन-वेज दूध’ एक बड़ा विवाद बनकर उभरा है। अमेरिका ने भारत से आयात पर 50% टैरिफ लगाया है, जिसका कारण भारत का अमेरिकी डेयरी उत्पादों, खासकर नॉन-वेज दूध, को आयात करने से इनकार बताया जा रहा है। भारत के अलावा कनाडा, स्विट्जरलैंड, दक्षिण कोरिया और आइसलैंड जैसे देश भी इस तरह के दूध पर सख्त प्रतिबंध लागू करते हैं। कनाडा ने तो इस पर 300% तक टैरिफ लगा रखा है।
नॉन-वेज दूध क्या है?
नॉन-वेज दूध उस दूध को कहा जाता है, जो ऐसी गायों से प्राप्त होता है, जिन्हें मांस, हड्डी का चूर्ण, मछली, या खून जैसे पशु-आधारित चारा खिलाया जाता है। अमेरिका में गायों को अधिक दूध उत्पादन के लिए इस तरह का चारा दिया जाता है, जो भारत की शाकाहारी और धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। भारत में दूध को पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में होता है, इसलिए सरकार ने इस तरह के दूध के आयात पर सख्ती बरती है।
भारत का सख्त रुख
भारत ने साफ कर दिया है कि वह केवल उन डेयरी उत्पादों को आयात की अनुमति देगा, जिनके लिए शाकाहारी चारा प्रमाणन उपलब्ध हो। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अजय श्रीवास्तव ने कहा, “कल्पना करें कि आप उस गाय का दूध पी रहे हैं, जिसे मांस और खून खिलाया गया हो। यह भारत की सांस्कृतिक भावनाओं के खिलाफ है।” भारत ने डेयरी आयात पर 30-60% टैरिफ और पशु चिकित्सा प्रमाणन अनिवार्य किया है ताकि स्थानीय किसानों और उपभोक्ताओं की रक्षा हो।
वैश्विक प्रतिबंध
भारत अकेला देश नहीं है, जो नॉन-वेज दूध पर प्रतिबंध लगाता है। कनाडा इस पर 300% टैरिफ लगाता है, जबकि स्विट्जरलैंड, दक्षिण कोरिया और आइसलैंड ने इस तरह के दूध के आयात पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। इन देशों का मानना है कि पशु-आधारित चारा न केवल सांस्कृतिक बल्कि स्वास्थ्य और नैतिकता के दृष्टिकोण से भी अस्वीकार्य है। भारत की तरह ये देश भी अपने डेयरी उद्योग और उपभोक्ता भावनाओं की रक्षा को प्राथमिकता देते हैं।
भारतीय डेयरी उद्योग पर प्रभाव
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, जो 239 मिलियन मीट्रिक टन दूध का उत्पादन करता है और 8 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है। यदि अमेरिकी डेयरी उत्पादों को आयात की अनुमति दी जाती है, तो इससे स्थानीय कीमतें 15% तक गिर सकती हैं, जिससे किसानों को सालाना 1.03 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका होगा।
व्यापार वार्ता पर असर
अमेरिका ने भारत के इस रुख को “अनावश्यक व्यापार बाधा” करार दिया है और विश्व व्यापार संगठन में शिकायत दर्ज की है। दूसरी ओर, भारत ने इसे सांस्कृतिक और आर्थिक लक्ष्मण रेखा बताया है। दोनों देश 1 अगस्त की समय सीमा से पहले व्यापार समझौते पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नॉन-वेज दूध का मुद्दा एक बड़ी बाधा बना हुआ है।