सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश
जस्टिस जे.बी. पर्दीवाला और आर. महादेवन की बेंच ने दिल्ली सरकार, MCD, NDMC, और नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में ले जाएं। कोर्ट ने कहा, “कोई समझौता नहीं होगा। सड़कों पर एक भी आवारा कुत्ता नहीं दिखना चाहिए।” कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद शेल्टर में ही रखा जाएगा, न कि वापस सड़कों पर छोड़ा जाएगा।
रेबीज और कुत्तों के काटने का संकट
कोर्ट ने 35,198 कुत्तों के काटने की घटनाओं और 2025 के पहले छह महीनों में 49 रेबीज मामलों पर गहरी चिंता जताई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में रेबीज से होने वाली 60,000 वैश्विक मौतों का 36% हिस्सा है। कोर्ट ने 28 जुलाई को दिल्ली में छह साल की बच्ची की रेबीज से मौत के बाद स्वत: संज्ञान लिया था। कोर्ट ने कहा कि बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
शेल्टर और हेल्पलाइन की व्यवस्था
कोर्ट ने आठ हफ्तों में 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर बनाने और CCTV निगरानी की व्यवस्था करने का आदेश दिया। साथ ही, एक हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश दिया गया, ताकि कुत्तों के काटने की शिकायत चार घंटे के भीतर दर्ज हो और कार्रवाई हो। दिल्ली सरकार को रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता और स्टॉक की जानकारी भी देनी होगी। MCD ने 12 विधानसभा क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें 70-80% कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का लक्ष्य है।
पशु कल्याण संगठनों का विरोध
पशु कल्याण संगठनों जैसे PETA और FIAPO ने इस आदेश को “अवैज्ञानिक” और “अमानवीय” बताया। PETA की डॉ. मिनी अरविंदन ने कहा कि दिल्ली में 10 लाख आवारा कुत्तों को हटाने से सामुदायिक अशांति होगी और रेबीज नियंत्रण बिगड़ेगा। FIAPO की CEO भरती रामचंद्रन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और ABC नियम नसबंदी और टीकाकरण को बढ़ावा देते हैं, न कि हटाने को।
आगे की राह
कोर्ट ने छह हफ्तों बाद अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। दिल्ली सरकार और MCD ने आदेश को समयबद्ध तरीके से लागू करने का वादा किया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि नसबंदी और टीकाकरण पर जोर देना ज्यादा प्रभावी होगा। इस आदेश से दिल्ली-NCR में सड़कों को सुरक्षित बनाने की उम्मीद है, लेकिन पशु कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण रहेगा।