जैसलमेर में ओरण-गोचर बचाओ आंदोलन: हजारों की मौन रैली, कलेक्ट्रेट पर धरना और मांगों का ज्ञापन
जैसलमेर में ओरण-गोचर भूमि संरक्षण के लिए गड़ीसर से कलेक्ट्रेट तक विशाल जन आक्रोश रैली निकाली गई, जिसमें हजारों लोग, साधु-संत, और विधायक रविंद्र सिंह भाटी शामिल हुए। रैली जनसभा में तब्दील हुई, जहां कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इन जमीनों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने और निजी कंपनियों को आवंटन रोकने की मांग की गई।

पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर में ओरण और गोचर भूमि के संरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार को एक विशाल जन आक्रोश रैली निकाली गई। गड़ीसर तालाब के चौराहे से शुरू हुआ यह शांतिपूर्ण मौन जुलूस कलेक्ट्रेट तक पहुंचा, जहां यह धरना और जनसभा में तब्दील हो गया। हजारों ग्रामीणों, शहरवासियों, पर्यावरण प्रेमियों, किसान संगठनों और साधु-संतों ने इस रैली में हिस्सा लिया, जो ओरण और गोचर भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने और निजी कंपनियों को आवंटन रोकने की मांग को लेकर आयोजित की गई थी।
गोरखनाथ सहित कई साधु-संतों ने किया रैली का नेतृत्व
रैली का नेतृत्व ख्याला मठ म्याजलार के गुरु गोरखनाथ सहित कई साधु-संतों ने किया। इसमें शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी, पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी, जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी, पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह और जिला प्रमुख प्रतापसिंह सहित कई प्रमुख हस्तियां शामिल थीं। रैली गड़ीसर चौराहे से दोपहर 12:20 बजे शंखनाद के साथ शुरू हुई और अमरसागर गेट, हनुमान चौराहा होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची। इस दौरान नारेबाजी और तिरंगा लहराते हुए प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को बुलंद किया।
जनसभा में गूंजी ओरण की महत्ता
कलेक्ट्रेट पर पहुंचने के बाद रैली एक जनसभा में बदल गई, जहां मंच पर गुरु गोरखनाथ सहित कई साधु-संत मौजूद थे। शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने जमीन पर जनता के बीच बैठकर सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "मुझे राजनीति चले या न चले, कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरे पास 100 बीघा जमीन है, मैं कमा लूंगा। लेकिन जिन्हें हमने वोट देकर चुना, वे आज हमारी जमीन और संस्कृति का सौदा कर रहे हैं।" भाटी ने ओरण और गोचर को ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक धरोहर का आधार बताया।
पर्यावरण प्रेमी पार्थ जगाणी ने सभा में ओरण की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "ओरण हमारे नेशनल पार्क हैं, जो 800-1000 साल पुरानी धरोहर हैं। कुछ ओरण तो जैसलमेर की स्थापना से भी पुराने हैं। ये केवल चरागाह नहीं, बल्कि जैव विविधता और मरुस्थलीय पर्यावरण के संरक्षण का प्रतीक हैं।"
कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन
जनसभा के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर से मुलाकात की। इस शिष्टमंडल में पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह, पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी, जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी, गुरु गोरखनाथ और जिला प्रमुख प्रतापसिंह शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें ओरण और गोचर भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने, अतिक्रमण रोकने और निजी कंपनियों को आवंटन न करने की मांग की गई।
ओरण और गोचर का महत्व
पश्चिमी राजस्थान में ओरण और गोचर भूमि को पशुपालन, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर का आधार माना जाता है। ओरण पवित्र स्थल हैं, जहां पशुओं को चरने की खुली छूट होती है और जो धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़े हैं। वहीं, गोचर गांव की सार्वजनिक चरागाह भूमि है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इन जमीनों पर अतिक्रमण और गलत राजस्व प्रविष्टियों के कारण इनका अस्तित्व खतरे में है।
प्रशासन की सतर्कता और सुरक्षा व्यवस्था
रैली की विशाल भीड़ को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए। गड़ीसर से कलेक्ट्रेट तक के मार्ग पर ट्रैफिक डायवर्जन लागू किया गया और भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहा। कलेक्ट्रेट के बाहर बैरिकेड्स लगाए गए और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। पुलिस ने लोगों से वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की।
जन आंदोलन को व्यापक समर्थन
इस रैली में जैसलमेर और बाड़मेर सहित आसपास के जिलों से हजारों लोग शामिल हुए। महिलाएं, युवा और किसान संगठनों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। साधु-संतों का समर्थन इस आंदोलन को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्रदान करता है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो यह आंदोलन पूरे राजस्थान में फैल सकता है।