"सड़क पर सड़क का खेल खत्म, राजस्थान में लागू हुई 'मिल एंड फिल' नीति"

राजस्थान सरकार ने 24 जुलाई 2025 को 'मिल एंड फिल' नीति लागू की, जिसके तहत 305 नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं को नई सड़क बिछाने से पहले पुरानी सड़क हटाना अनिवार्य होगा। इस नीति का उद्देश्य सड़कों की गुणवत्ता, स्थायित्व और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करना है, साथ ही जलभराव और सड़क की अनावश्यक ऊंचाई की समस्या को रोकना है।

Jul 31, 2025 - 11:35
"सड़क पर सड़क का खेल खत्म, राजस्थान में लागू हुई 'मिल एंड फिल' नीति"

जयपुर, 31 जुलाई 2025: राजस्थान की सड़कों पर अब बार-बार सड़क बिछाने का चलन बंद होने जा रहा है। स्वायत्त शासन विभाग ने 24 जुलाई 2025 को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रदेश के सभी 305 नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं को सख्त निर्देश जारी किए हैं। नए आदेश के अनुसार, अब कोई भी नई सड़क बनाने से पहले पुरानी सड़क को पूरी तरह हटाना अनिवार्य होगा। इस कदम को लागू करने के लिए सरकार ने 'मिल एंड फिल' नीति को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।

'मिल एंड फिल' नीति क्या है?'

मिल एंड फिल' एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पुरानी सड़क की ऊपरी परत को मशीनों के जरिए खुरचकर (मिलिंग) हटाया जाता है और फिर उसी स्थान पर नई सड़क (फिलिंग) बिछाई जाती है। इस प्रक्रिया से सड़क की ऊंचाई अनावश्यक रूप से नहीं बढ़ती, जिससे जलभराव, नालियों का अवरुद्ध होना और आसपास की संपत्तियों को नुकसान जैसी समस्याएं कम होती हैं। साथ ही, यह नीति पुरानी सड़क के मलबे का पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) कर संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करती है।

क्यों पड़ी इस नीति की जरूरत?

पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान के कई शहरों में सड़कों पर सड़क बिछाने की प्रथा ने कई समस्याएं खड़ी कर दी थीं। पुरानी सड़कों को बिना हटाए नई सड़क बिछाने से सड़कों की ऊंचाई बढ़ रही थी, जिसके कारण:

जलभराव: बारिश के दौरान पानी सड़कों पर जमा हो रहा था, क्योंकि नालियां सड़क के स्तर से नीचे रह जाती थीं। 

आवागमन में परेशानी: ऊंची सड़कों के कारण वाहनों, खासकर दोपहिया वाहनों, को चलाने में दिक्कतें हो रही थीं।

आर्थिक नुकसान: बार-बार सड़क निर्माण से सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ रहा था।

सौंदर्य पर असर: अनियमित सड़क स्तरों से शहरों का सौंदर्य भी प्रभावित हो रहा था। 

इन समस्याओं को देखते हुए स्वायत्त शासन विभाग ने 'मिल एंड फिल' नीति को लागू करने का निर्णय लिया, ताकि सड़क निर्माण में गुणवत्ता और स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके।

आदेश का दायरा और कार्यान्वयन

स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक ने सभी 305 नगरीय निकायों को पत्र जारी कर इस नीति का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

अनिवार्य मिलिंग: नई सड़क बिछाने से पहले पुरानी सड़क की ऊपरी परत को हटाना अनिवार्य होगा। बिना मिलिंग के कोई भी कार्यादेश जारी नहीं किया जाएगा। 

गुणवत्ता जांच: सड़क निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री की गुणवत्ता की नियमित जांच होगी।

मलबे का पुनर्चक्रण: हटाए गए मलबे का उपयोग अन्य निर्माण कार्यों में किया जाएगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

समयबद्ध कार्य: सड़क निर्माण कार्य को निर्धारित समय में पूरा करना होगा, ताकि जनता को असुविधा न हो।

निगरानी तंत्र: नीति के पालन के लिए प्रत्येक निकाय में एक निगरानी समिति गठित की जाएगी, जो निर्माण कार्य की प्रगति और गुणवत्ता पर नजर रखेगी। 

जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

इस नीति का आम जनता और विशेषज्ञों ने मिला-जुला स्वागत किया है। यह एक अच्छा कदम है। हमारे मोहल्ले की सड़क हर साल ऊंची हो रही थी, जिससे बारिश में पानी घरों में घुस जाता था। अब उम्मीद है कि यह समस्या खत्म होगी।"वहीं, सड़क निर्माण विशेषज्ञ डॉ. अनिल मेहता का कहना है, "मिल एंड फिल तकनीक आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल है। यह न केवल सड़कों की गुणवत्ता बढ़ाएगी, बल्कि लंबे समय में सरकारी खर्च भी कम करेगी। हालांकि, इसके लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों और उन्नत मशीनों की जरूरत होगी।

"चुनौतियां और भविष्य की राह

हालांकि यह नीति सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। कई नगरीय निकायों में उन्नत मिलिंग मशीनों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी है। साथ ही, इस नीति के शुरुआती चरण में लागत बढ़ सकती है, क्योंकि पुरानी सड़क हटाने की प्रक्रिया में अतिरिक्त खर्च होगा।सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं, जैसे अमृत मिशन और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, के तहत फंडिंग और तकनीकी सहायता लेने की योजना बनाई है। इसके अलावा, निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।

'मिल एंड फिल' नीति के लागू होने से राजस्थान की सड़कों का नक्शा बदलने की उम्मीद है। यह नीति न केवल सड़क निर्माण में पारदर्शिता और गुणवत्ता लाएगी, बल्कि शहरों को अधिक व्यवस्थित और सुंदर बनाने में भी मदद करेगी। अब देखना यह है कि नगरीय निकाय इस नीति को कितनी प्रभावी ढंग से लागू कर पाते हैं और क्या यह नीति राजस्थान को बेहतर सड़क तंत्र वाला राज्य बना पाएगी।