रणथंभौर में टाइगर का खौफनाक हमला: वनकर्मी की दर्दनाक मौत, 20 मिनट तक शव पर बैठा रहा बाघ
रणथंभौर नेशनल पार्क में एक टाइगर ने वनकर्मी दीनदयाल मीणा पर हमला कर उनकी जान ले ली। हमला जोगी महल गेट के पास हुआ, जहां टाइगर ने वनकर्मी की गर्दन पर दांतों और नाखूनों से प्रहार किया और 20 मिनट तक शव पर बैठा रहा। घटना ने इलाके में दहशत फैला दी और वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। विभाग ने टाइ तकनीकी तौर पर टाइगर की निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है।

सवाई माधोपुर, 11 मई 2025: राजस्थान के प्रसिद्ध रणथंभौर नेशनल पार्क में रविवार को एक दुखद और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां एक टाइगर ने वनकर्मी दीनदयाल मीणा पर हमला कर उनकी जान ले ली। यह घटना जोगी महल गेट के पास हुई, जहां टाइगर ने वनकर्मी को जंगल में घसीट ले जाया और उसकी गर्दन पर दांतों व नाखूनों से प्राणघातक हमला किया। हमले के बाद टाइगर करीब 20 मिनट तक शव पर बैठा रहा, जिससे इलाके में दहशत फैल गई।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, सूरवाल निवासी दीनदयाल मीणा हाल ही में जोगी महल गेट पर तैनात किए गए थे। रविवार दोपहर को वह अपनी ड्यूटी पर थे, तभी अचानक एक टाइगर ने उन पर हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों और वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, टाइगर ने दीनदयाल को अपनी चपेट में लिया और जंगल की ओर घसीट ले गया। हमले में टाइगर ने उनकी गर्दन और शरीर पर गहरे घाव किए, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हमले की क्रूरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टाइगर शव को छोड़ने को तैयार नहीं था और करीब 20 मिनट तक उसके पास ही रहा।
वन विभाग की टीम को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक दीनदयाल की जान जा चुकी थी। शव को जंगल से बरामद कर पोस्टमॉर्टम के लिए सवाई माधोपुर जिला अस्पताल भेजा गया। इस घटना ने वनकर्मियों और स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश पैदा कर दिया है।
रणथंभौर में बढ़ता टाइगर का खतरा
रणथंभौर नेशनल पार्क, जो अपनी बाघ आबादी के लिए विश्व प्रसिद्ध है, हाल के वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं के लिए भी चर्चा में रहा है। इस साल अप्रैल में भी एक सात वर्षीय बच्चे, कार्तिक सुमन, की त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर टाइगर के हमले में मौत हो गई थी। इसके अलावा, फरवरी 2025 में एक युवक का क्षत-विक्षत शव रणथंभौर टाइगर रिजर्व के पास जंगल में मिला था।
पिछले कुछ वर्षों में रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनकी गतिविधियां पार्क की सीमाओं से बाहर भी देखी जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों की बढ़ती आबादी और उनके क्षेत्र में मानव अतिक्रमण इस तरह की घटनाओं का प्रमुख कारण है। रणथंभौर में वर्तमान में लगभग 75 बाघ हैं, लेकिन हाल ही में 25 बाघों के लापता होने की खबर ने भी वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
वनकर्मी की शहादत पर श्रद्धांजलि
दीनदयाल मीणा की मौत पर वन विभाग और स्थानीय समुदाय ने गहरा शोक व्यक्त किया है। कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और प्रकृति की रक्षा करते हुए उनके बलिदान को याद किया। एक यूजर ने लिखा, "प्रकृति की रक्षा करते हुए प्राण न्यौछावर करने वाले इस वीर को भावभीनी श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।"
वन विभाग की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
इस घटना के बाद वन विभाग ने क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने और टाइगर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। जोगी महल गेट और आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त गश्त और निगरानी की जा रही है। साथ ही, त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग, जहां पहले भी हमले हो चुके हैं, को अस्थायी रूप से बंद करने पर विचार किया जा रहा है।
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि टाइगर की पहचान करने और उसे ट्रैक करने के लिए कैमरा ट्रैप और ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, यह भी सवाल उठ रहे हैं कि बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं के बावजूद वनकर्मियों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
इस घटना ने स्थानीय लोगों में गुस्सा और डर दोनों पैदा किया है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही के कारण ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं। कुछ लोगों ने मांग की है कि बाघों को रिहायशी इलाकों से दूर रखने के लिए विशेष बाड़बंदी और निगरानी व्यवस्था की जाए। साथ ही, प्रभावित परिवार को उचित मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग भी उठ रही है।
निष्कर्ष
रणथंभौर नेशनल पार्क, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बाघों के लिए पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है, अब मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण चर्चा में है। दीनदयाल मीणा की दुखद मौत ने एक बार फिर वनकर्मियों की सुरक्षा और बाघों के प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह जरूरी है कि वन विभाग और सरकार मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक और प्रभावी उपाय करें, ताकि न तो इंसानों की जान जाए और न ही बाघों को खतरा हो।