राजनाथ सिंह बोले-"भारत अपने हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, न दोस्त स्थायी, न दुश्मन".

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डिफेंस समिट 2025 में अमेरिकी टैरिफ विवाद और भारत-चीन संबंधों पर भारत का दृढ़ रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, "कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं, केवल राष्ट्रीय हित स्थायी हैं।" भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा और आत्मनिर्भरता पर जोर देगा। रक्षा निर्यात में भारत की प्रगति और स्वदेशी रक्षा प्रणाली 'सुदर्शन चक्र' को गेम-चेंजर बताया।

Aug 30, 2025 - 16:58
राजनाथ सिंह बोले-"भारत अपने हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, न दोस्त स्थायी, न दुश्मन".

नई दिल्ली (30 अगस्त 2025) :रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक माहौल पर भारत का दृढ़ रुख स्पष्ट किया। अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर 27 अगस्त 2025 से लागू 50% टैरिफ के बीच उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता, केवल राष्ट्रीय हित स्थायी होते हैं। भारत अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा। साथ ही, भारत-चीन संबंधों में हालिया नरमी का जिक्र करते हुए उन्होंने आत्मनिर्भरता और स्वदेशी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया।

अमेरिकी टैरिफ पर भारत का सख्त रुख

राजनाथ सिंह ने अमेरिकी टैरिफ को वैश्विक व्यापार में युद्ध जैसी स्थिति से जोड़ा। उन्होंने कहा कि विकसित देश तेजी से संरक्षणवादी नीतियां अपना रहे हैं, लेकिन भारत अपने व्यापारियों और राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। "जितना दबाव डाला जाएगा, भारत उतना ही चट्टान की तरह मजबूत होगा," रक्षा मंत्री ने दृढ़ता से कहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत किसी के सामने झुकने वाला नहीं है और अपने व्यापारियों को हर हाल में प्राथमिकता देगा।

भारत-चीन संबंधों में नरमी और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

भारत और चीन के बीच हाल के महीनों में सीमा तनाव में कमी आई है। खास तौर पर अक्टूबर 2024 में पूर्वी लद्दाख में LAC पर गश्त और सैनिकों की वापसी के समझौते के बाद दोनों देशों के संबंधों में सुधार के संकेत मिले हैं। राजनाथ ने इसे संदर्भित करते हुए कहा कि भारत किसी देश को अपना दुश्मन नहीं मानता, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों के साथ कोई समझौता नहीं होगा।

 उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए भारतीय सेना की ताकत और साहस की प्रशंसा की। साथ ही, स्वदेशी रक्षा प्रणाली 'सुदर्शन चक्र' को गेम-चेंजर बताते हुए कहा कि भारत जल्द ही अपनी रक्षा जरूरतों को खुद पूरा करेगा और वैश्विक स्तर पर भरोसेमंद साझेदार बनेगा।

रक्षा निर्यात में भारत की प्रगति

रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 2014 में जहां भारत का रक्षा निर्यात 700 करोड़ रुपये से कम था, वहीं आज यह 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। भारत अब केवल आयातक नहीं, बल्कि निर्यातक भी बन चुका है। उन्होंने रक्षा उत्पादन में 1.3 लाख करोड़ रुपये के योगदान पर भी प्रकाश डाला, जो भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। 

वैश्विक चुनौतियों और आत्मनिर्भरता पर जोर

राजनाथ सिंह ने वैश्विक माहौल को चुनौतीपूर्ण बताते हुए कहा कि कोविड महामारी, तकनीकी बदलाव और व्यापार युद्ध जैसी परिस्थितियों ने दुनिया को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता अब भारत के लिए महज एक विकल्प नहीं, बल्कि अस्तित्व की जरूरत है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे साहसिक कदमों और स्वदेशी तकनीक के विकास से भारत न केवल अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता में भी योगदान देगा। 

SCO समिट में भी गूंजा था भारत का रुख

इससे पहले जून 2025 में चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगODA (SCO) समिट में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भारत का कड़ा रुख जाहिर किया था। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की बात कही थी।

राजनाथ सिंह ने भारत की रणनीतिक और रक्षा नीतियों को लेकर स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने वैश्विक व्यापार तनाव और भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच भारत की आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय हितों की प्राथमिकता पर जोर दिया। अमेरिकी टैरिफ और भारत-चीन संबंधों पर उनकी टिप्पणी ने भारत की कूटनीतिक और रक्षा रणनीति को रेखांकित किया, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।