राजस्थान में सड़क-मकान लेवल की समस्या का समाधान: ‘मिल एंड फिल’ नीति लागू
राजस्थान में ‘मिल एंड फिल’ नीति लागू, अब सड़क की पुरानी परत हटाए बिना नई परत बिछाने पर रोक। इससे मकान-सड़क का लेवल एक समान रहेगा और सामग्री का पुन: उपयोग होगा।

राजस्थान के शहरों में अब सड़कों के ऊंचे होने और मकानों के नीचे चले जाने की समस्या से निजात मिलेगी। नगरीय विकास विभाग ने सड़क नवीनीकरण के लिए ‘मिल एंड फिल’ नीति लागू कर दी है। इसके तहत अब सड़क पर नई डामर या कंक्रीट की परत बिछाने से पहले पुरानी परत को हटाना अनिवार्य होगा। इससे सड़क और मकान का लेवल हमेशा एक समान रहेगा, जिससे जनता को बड़ी राहत मिलेगी।
क्या है ‘मिल एंड फिल’ नीति?
इस नीति के तहत सड़क की मौजूदा परत को हटाए बिना नई परत बिछाने पर रोक लगा दी गई है। उखाड़ी गई सड़क के मैटेरियल को रि-साइकिल कर सड़क निर्माण में दोबारा उपयोग किया जाएगा। यह नीति 45 प्रतिशत सड़कों पर लागू होगी। विकास प्राधिकरण, नगरीय विकास न्यास और आवासन मंडल अब इसी आधार पर काम करेंगे। अनुबंधित कंपनियों को भी अपने प्लांट को अपग्रेड करना होगा।
मुख्यमंत्री की पहल
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 5 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस पर इस समस्या पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि डामर की परत-दर-परत चढ़ाने से मकानों का लेवल नीचे हो रहा है, जिससे लोग परेशान हैं और प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है। उनकी इस चिंता के बाद यह नीति लागू की गई।
किन सड़कों पर होगा काम?
- कम उपयोग वाली सड़कों की डामर परत हटाई जाएगी।
- नवीनीकरण वाली सड़कों पर पहले पुरानी परत उखाड़ी जाएगी।
रि-यूज के चार तरीके
उखाड़े गए मैटेरियल का उपयोग निम्नलिखित में होगा:
- सर्विस रोड के बेस निर्माण में
- मुख्य सड़क के बेस निर्माण में
- सर्विस रोड की ऊपरी परत में
- मुख्य सड़क की ऊपरी परत में
किसे होगा फायदा?
- जनता: मकान और दुकानों के अंदर बारिश का पानी भरने की समस्या खत्म होगी। प्रॉपर्टी की कीमतों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
- प्राधिकरण/यूआईटी: पुराने मैटेरियल के रि-यूज से लागत कम होगी।
- सरकार: जनता और संगठनों का विश्वास बढ़ेगा।
- एनएचएआई: पहले से इस नीति पर काम कर रहे एनएचएआई के अनुसार, रिसाइकिल डामर की गुणवत्ता 100% नए डामर जैसी होती है। इसके लिए कोल्ड मिलिंग और हॉट रिसाइकलिंग तकनीकों का उपयोग हो रहा है।
एक कदम पर्यावरण की ओर
यह नीति न केवल जनता की समस्याओं का समाधान करेगी, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देगी। राजस्थान सरकार का यह कदम पर्यावरण संरक्षण और शहरी विकास में मील का पत्थर साबित होगा।