पहलगाम हमले के बाद बाड़मेर में हाई अलर्ट: भारत-पाक सीमा पर सुरक्षा चाक-चौबंद, अटारी-वाघा बॉर्डर बंद
पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई, के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई। बाड़मेर जिले में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। बीएसएफ, सेना और पुलिस सीमा पर मुस्तैद हैं,

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर - जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले के बाद भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर सख्त कर दिया गया है। विशेष रूप से राजस्थान के बाड़मेर जिले में, जो पाकिस्तान से सटी सीमा पर स्थित है, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट मोड में हैं। प्रशासन ने किसी भी संभावित खतरे को टालने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं, जबकि अटारी-वाघा बॉर्डर को आवाजाही के लिए बंद करने से सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव और सतर्कता का माहौल है।
बाड़मेर में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी
बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नरेंद्र सिंह मीणा ने बताया कि पहलगाम हमले की गंभीरता को देखते हुए जिले में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है। बीती रात उन्होंने स्वयं सीमा क्षेत्र में गश्त की और स्थिति का जायजा लिया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर पूरी तरह मुस्तैद हैं। बीएसएफ और सेना ने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है, जिसमें नियमित गश्त, निगरानी और संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर शामिल है।
एसपी मीणा ने कहा, “हमारी टीमें चौबीसों घंटे सक्रिय हैं। सीमा पर किसी भी असामान्य गतिविधि को रोकने के लिए बीएसएफ और सेना के साथ पूरा समन्वय बनाया गया है। बाड़मेर शहर में भी संदिग्ध और अनजान लोगों पर नजर रखी जा रही है।” उन्होंने बताया कि होटलों, सराय, सेवा सदनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस द्वारा नियमित जांच की जा रही है, ताकि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि को तुरंत पकड़ा जा सके।
प्रशासन की उच्चस्तरीय बैठक और निर्देश
पहलगाम हमले के बाद प्रशासन और पुलिस के उच्च अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक आपातकालीन बैठक की। इस बैठक में सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा बलों को चौकस रहने और किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए। बाड़मेर जिले में सभी सुरक्षा एजेंसियों को आपसी समन्वय के साथ काम करने और स्थानीय लोगों से सहयोग लेने को कहा गया है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में खुफिया तंत्र को और मजबूत किया जाए। सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान की किसी भी संभावित हरकत पर पैनी नजर रख रही हैं, खासकर उन आतंकी संगठनों पर जो सीमा पार से हमलों को अंजाम देने की फिराक में हो सकते हैं।
अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: बढ़ा तनाव
पहलगाम हमले के जवाब में भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए अटारी-वाघा बॉर्डर को आवाजाही के लिए तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। यह निर्णय 23 अप्रैल 2025 को कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक में लिया गया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि वैध दस्तावेजों के साथ सीमा पार कर चुके यात्रियों को 1 मई 2025 तक वापसी की अनुमति होगी, लेकिन इसके बाद यह मार्ग पूरी तरह बंद रहेगा।
इस फैसले से भारत-पाकिस्तान व्यापार और आवाजाही पर बड़ा असर पड़ा है। अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) के बंद होने से छोटे व्यापारी, कारीगर और लघु उद्योग प्रभावित होंगे। इसके अलावा, अफगानिस्तान से भारत आने वाला सामान, जो पाकिस्तान के रास्ते होकर आता है, भी अब समय पर नहीं पहुंच पाएगा।
आमजन से सहयोग की अपील
एसपी नरेंद्र सिंह मीणा ने बाड़मेर के नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति की सूचना तुरंत पुलिस को दें। उन्होंने कहा, “जनता का सहयोग हमारी सबसे बड़ी ताकत है। अगर कोई असामान्य गतिविधि नजर आए, तो बिना देर किए पुलिस को सूचित करें।”
उन्होंने सख्त चेतावनी भी दी कि सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने या सोशल मीडिया पर वैमनस्य फैलाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। “हम शांति और एकता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किसी भी तरह की अफवाह या भड़काऊ सामग्री फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा,”
पहलगाम हमले का व्यापक असर
पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। इस हमले में 28 पर्यटकों की मौत हुई, जिनमें दो विदेशी (एक यूएई और एक नेपाल) और दो स्थानीय नागरिक शामिल थे। बाकी मृतक उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के थे।
हमले के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर वापस लौटकर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उच्चस्तरीय बैठकों में हिस्सा लिया। सरकार ने आतंकियों और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने का संकल्प लिया है।
बाड़मेर में शांति बनाए रखने की कोशिश
बाड़मेर में प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां न केवल सीमा पर बल्कि जिले के अंदर भी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं। स्थानीय लोगों में हमले को लेकर आक्रोश है, लेकिन प्रशासन ने साफ कर दिया है कि किसी भी तरह की अशांति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जिले के सभी थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में नियमित गश्त करें और संवेदनशील इलाकों पर विशेष ध्यान दें। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए एक विशेष साइबर सेल भी सक्रिय है, जो अफवाहों और भड़काऊ सामग्री को रोकने के लिए काम कर रही है।