हाईवे पर बनी हवाई पट्टी पर गरजे फाइटर प्लेन: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला बड़ा युद्धाभ्यास 'ऑपरेशन त्रिशुल' शुरू, सभी तैयारी पूरी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद राजस्थान में सबसे बड़ा युद्धाभ्यास 'ऑपरेशन त्रिशूल' शुरू; बाड़मेर-जालौर सीमा पर गांधव बांकासर हाईवे एयर स्ट्रिप पर फाइटर प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग, सुबह 9 बजे से डेढ़ घंटे तक गर्जना, हाईवे बंद, वायुसेना की पूरी तैयारी

Nov 11, 2025 - 10:07
हाईवे पर बनी हवाई पट्टी पर गरजे फाइटर प्लेन: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला बड़ा युद्धाभ्यास 'ऑपरेशन त्रिशुल' शुरू, सभी तैयारी पूरी

बाड़मेर/जोधपुर, 11 नवंबर 2025: राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में भारतीय वायुसेना की ताकत का एक और जोरदार प्रदर्शन होने जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के सफलतापूर्वक समापन के बाद राज्य में आयोजित हो रहे सबसे बड़े युद्धाभ्यास 'ऑपरेशन त्रिशुल' के तहत मंगलवार को बाड़मेर-जालौर सीमा पर स्थित गांधव बांकासर एयर स्ट्रिप पर फाइटर प्लेन उतरेंगे। यह अभ्यास न केवल वायुसेना की तत्परता का परीक्षण करेगा, बल्कि पड़ोसी देश को भी अपनी सैन्य क्षमता की चेतावनी देगा। सुबह करीब 9 बजे शुरू होने वाले इस अभ्यास में हाईवे पर बनी आपातकालीन हवाई पट्टी पर इमरजेंसी लैंडिंग का ड्रामा होगा, जो लगभग डेढ़ घंटे तक चलेगा। इस दौरान बॉर्डर के पास फाइटर प्लेन की गर्जना गूंजेगी, जो दूर तक सुनाई देगी।

ऑपरेशन त्रिशुल: रणनीतिक तैयारी का महाभियान ऑपरेशन त्रिशुल भारतीय वायुसेना का एक बहुआयामी युद्धाभ्यास है, जो राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान में आयोजित किया जा रहा है। यह अभ्यास पिछले साल अक्टूबर में संपन्न हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद राज्य स्तर पर सबसे बड़ा सैन्य मंसूबा है। ऑपरेशन सिंदूर, जो भारत-पाक सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति के दौरान वायुसेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करने के लिए चलाया गया था, ने देश की हवाई सीमा की सुरक्षा में नई ऊंचाइयां छुई थीं। उसके बाद अब ऑपरेशन त्रिशुल का फोकस आपातकालीन परिस्थितियों में हाईवे-आधारित हवाई पट्टियों पर विमानों की लैंडिंग, टेकऑफ और रिफ्यूलिंग पर है।वायुसेना के अधिकारियों के अनुसार, यह अभ्यास 'एक्टिव एयर डिफेंस' और 'रैपिड डिप्लॉयमेंट' की रणनीति पर आधारित है। इसमें राफेल, सुखोई-30 एमकेआई और मिग-29 जैसे उन्नत फाइटर जेट्स शामिल होंगे। अभ्यास का मुख्य उद्देश्य युद्धक स्थिति में सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर को तुरंत सैन्य उपयोग में बदलने की क्षमता को परखना है। गांधव बांकासर एयर स्ट्रिप, जो राष्ट्रीय राजमार्ग-68 पर स्थित है, को विशेष रूप से आपातकालीन लैंडिंग के लिए विकसित किया गया है। यह पट्टी लगभग 3 किलोमीटर लंबी है और भारी फाइटर प्लेन को सहजता से उतारने में सक्षम है।

मंगलवार का ड्रामा: हाईवे बंद, आसमान गूंजेगा मंगलवार सुबह 9 बजे अभ्यास की शुरुआत होगी। सबसे पहले, हाईवे के दोनों ओर से यातायात पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। बाड़मेर-जालौर सीमा पर लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में सड़क परिवहन निलंबित रहेगा, ताकि कोई नागरिक वाहन अभ्यास क्षेत्र में प्रवेश न कर सके। स्थानीय प्रशासन ने यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की सलाह दी है। वायुसेना की इंजीनियरिंग यूनिट्स ने एयर स्ट्रिप पर सभी तकनीकी जांच पूरी कर ली है—रनवे की मजबूती, लाइटिंग सिस्टम, फ्यूल डिपो और मेडिकल यूनिट्स सब कुछ तैयार है।अभ्यास के दौरान, फाइटर प्लेन हवा में उड़ान भरेंगे, मॉक अटैक सिमुलेशन करेंगे और फिर इमरजेंसी लैंडिंग के लिए हाईवे पट्टी पर उतरेंगे। लैंडिंग के बाद पायलट्स को तुरंत रिफ्यूलिंग और रनवे क्लियरेंस मिलेगा, जिससे वे दोबारा उड़ान भर सकेंगे। यह प्रक्रिया करीब 90 मिनट चलेगी, जिसमें आसमान में लगातार गर्जना और धमाके जैसी आवाजें सुनाई देंगी। बॉर्डर के पास स्थित होने के कारण, यह शोर पाकिस्तानी क्षेत्र तक पहुंच सकता है, जो एक तरह से कूटनीतिक संदेश भी होगा। वायुसेना ने स्पष्ट किया है कि यह शुद्ध अभ्यास है, कोई वास्तविक खतरा नहीं है।

तैयारी में जुटी वायुसेना: सुरक्षा और समन्वय का पाठ वायुसेना ने अभ्यास के लिए व्यापक तैयारी की है। जयपुर स्थित साउथ वेस्टर्न एयर कमांड के तहत यह ऑपरेशन चल रहा है, जिसमें थार रेगिस्तान के विभिन्न एयरबेस से विमान शामिल हैं। ग्राउंड पर आर्मी और बीएसएफ की यूनिट्स भी सहयोग कर रही हैं, जो एयर स्ट्रिप की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी। ड्रोन सर्विलांस और रडार सिस्टम्स के माध्यम से पूरे इलाके पर नजर रखी जा रही है।स्थानीय स्तर पर, बाड़मेर जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को अभ्यास के बारे में जागरूक किया है। गांधव बांकासर जैसे सीमावर्ती गांवों में स्कूल और बाजार सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक बंद रहेंगे। यातायात पुलिस ने चेकपॉस्ट्स बढ़ा दिए हैं, और हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "ऑपरेशन त्रिशूल हमारी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करेगा। हाईवे पट्टियां युद्ध में गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं।"

पिछले साल ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय वायुसेना की 'इंटीग्रेटेड एयर पावर' को साबित किया था। उस अभ्यास में पहली बार हाईवे पर राफेल जेट्स की लैंडिंग हुई थी, जिसने दुश्मन की घुसपैठ को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑपरेशन त्रिशुल उसी की कड़ी है, लेकिन इसका दायरा बड़ा है। इसमें नाइट लैंडिंग, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और साइबर डिफेंस के एलिमेंट्स भी जोड़े गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे अभ्यास सीमा पर शांति बनाए रखने में सहायक होते हैं, क्योंकि वे पड़ोसी देश को हमारी सैन्य तैयारी की झलक देते हैं