नागौर के जोधियासी गांव में धारा 163 लागू: महाराजा सूरजमल की मूर्ति स्थापना विवाद के बाद तनाव, 200 जवान तैनात
नागौर के जोधियासी गांव में महाराजा सूरजमल की मूर्ति लगाने की जगह को लेकर हुए विवाद के बाद पुलिस ने धरना खाली करवाया, धारा 163 लागू की और मूर्ति की सुरक्षा में 200 जवान तैनात किए। बुधवार को गांव में शांति है लेकिन तनाव बरकरार।
नागौर, 19 नवंबर 2025: राजस्थान के नागौर जिले के जोधियासी गांव में महाराजा सूरजमल की मूर्ति स्थापना को लेकर मंगलवार को दिन भर चला विवाद बुधवार को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझता नजर आ रहा है। विवाद के दौरान ग्रामीणों द्वारा आयोजित धरने को पुलिस ने देर रात जबरन समाप्त करवा दिया, जबकि प्रशासन ने क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए धारा 163 लागू कर दी है। मूर्ति की सुरक्षा के लिए करीब 200 जवानों को तैनात किया गया है। गांव में बुधवार को सामान्य शांति बनी हुई है, लेकिन तनाव की आशंका बनी हुई है।
विवाद की पृष्ठभूमि; जोधियासी गांव, जो नागौर जिले के डीडवाना तहसील क्षेत्र में स्थित है, ऐतिहासिक रूप से जाट समुदाय का प्रमुख केंद्र रहा है। महाराजा सूरजमल, जो 18वीं शताब्दी में भरतपुर राज्य के शासक थे, जाट इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। वे अपनी वीरता, न्यायप्रियता और सामाजिक सुधारों के लिए प्रसिद्ध हैं। गांववासी लंबे समय से महाराजा सूरजमल की स्मृति में एक मूर्ति स्थापित करने की मांग कर रहे थे, ताकि युवा पीढ़ी उनके योगदान से परिचित हो सके।विवाद की जड़ मूर्ति लगाने की जगह को लेकर है। ग्रामीणों का एक वर्ग चाहता था कि मूर्ति को गांव के मुख्य चौराहे या सामुदायिक भूमि पर स्थापित किया जाए, जबकि स्थानीय प्रशासन और कुछ अन्य पक्षकारों ने इसे सार्वजनिक सड़क या संवेदनशील स्थान पर लगाने से इनकार कर दिया। आरोप है कि मूर्ति स्थापना के प्रयास से स्थानीय स्तर पर जातिगत तनाव बढ़ गया, क्योंकि कुछ समुदायों ने इसे अपनी धार्मिक या सांस्कृतिक भावनाओं से जोड़ लिया। मंगलवार सुबह से ही ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना स्थल के पास जमा होना शुरू कर दिया, जो दोपहर तक एक बड़े विवाद में बदल गया।
मंगलवार का घटनाक्रम: धरना और पुलिस कार्रवाई मंगलवार को सुबह करीब 10 बजे ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना स्थल पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। वे नारे लगाते हुए प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे थे। दोपहर तक स्थिति बिगड़ गई, जब ग्रामीणों ने धरना शुरू कर दिया। सैकड़ों की संख्या में इकट्ठे हुए ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना की मांग को लेकर सड़क जाम कर लिया, जिससे क्षेत्र में यातायात ठप हो गया।प्रशासन ने शुरुआत में वार्ता का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने अपनी मांग पर अडिग रहने का फैसला किया। शाम ढलते-ढलते स्थिति तनावपूर्ण हो गई। नागौर जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेंद्र सिंह ने बताया कि विवाद के समाचार मिलते ही अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया था। रात करीब 11 बजे पुलिस ने धरना स्थल पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन जब वे नहीं माने, तो हल्का बल प्रयोग करते हुए उन्हें खदेड़ दिया गया।एक ग्रामीण ने बताया, "हम सिर्फ अपनी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देना चाहते थे। महाराजा सूरजमल जैसे महान शासक की मूर्ति लगाना हमारा अधिकार है। प्रशासन ने बिना सुनवाई के बल प्रयोग किया, जो दुखद है।" वहीं, पुलिस ने स्पष्ट किया कि कार्रवाई शांतिपूर्ण तरीके से की गई और किसी को चोट नहीं पहुंची। धरना समाप्त होने के बाद मूर्ति को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थान पर रख दिया गया है।
धारा 163 लागू: शांति के लिए कड़े कदम विवाद के बाद प्रशासन ने तत्काल कदम उठाते हुए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 163 के तहत क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी। यह धारा असामाजिक सभाओं को प्रतिबंधित करने और शांति भंग होने की आशंका वाले क्षेत्रों में सख्ती बरतने की अनुमति देती है। इसके तहत अगले 48 घंटों के लिए गांव में 5 या इससे अधिक व्यक्तियों की अनधिकृत सभा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने एक बयान में कहा, "हम शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। धारा 163 का उपयोग विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए किया गया है। हम वार्ता के माध्यम से मुद्दे का समाधान निकालेंगे।" इसके अलावा, मूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 200 से अधिक पुलिसकर्मियों को गांव में तैनात किया गया है। ये जवान रोटेशन में ड्यूटी करेंगे, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
बुधवार का परिदृश्य: शांति लेकिन सतर्कता बुधवार सुबह जोधियासी गांव में सामान्य शांति नजर आई। बाजार खुले रहे, बच्चे स्कूल गए और दैनिक जीवन पटरी पर लौट आया। हालांकि, ग्रामीणों में असंतोष की भावना बनी हुई है। कुछ युवाओं ने सोशल मीडिया पर विवाद को लेकर पोस्ट शेयर की हैं, जिसमें प्रशासन पर जातिवादी रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया है।स्थानीय विधायक ने मामले को विधानसभा में उठाने का वादा किया है। वे दोपहर में गांव पहुंचने वाले हैं, जहां ग्रामीणों से वार्ता करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में सांस्कृतिक प्रतीकों को लेकर बढ़ते तनाव का प्रतिबिंब है। ऐसे मामलों में संवाद ही समाधान का सबसे अच्छा माध्यम है।