जानिए, सजा से सुधार तक का सफर: जेल का अनोखा प्रयोग ..
प्रतापगढ़ की खुली जेल में बंदियों के लिए पेट्रोल पंप खोला जा रहा है, जिससे उन्हें जेल परिसर में ही सम्मानजनक रोजगार मिलेगा। यह पहल सामाजिक पुनर्वास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, जिसे राजस्थान के अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।

प्रतापगढ़ की खुली जेल में एक ऐसी क्रांतिकारी पहल शुरू हो रही है, जो जेल की दीवारों को केवल सजा का प्रतीक नहीं, बल्कि नई संभावनाओं और सुधार का गवाह बनाएगी। अब बंदियों को मजदूरी के लिए रोजाना जेल से बाहर नहीं जाना पड़ेगा, क्योंकि उनके लिए जेल परिसर में ही एक पेट्रोल पंप खोला जा रहा है। यह न केवल प्रशासनिक नवाचार है, बल्कि सामाजिक पुनर्वास की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।
क्या है यह पहल?
प्रतापगढ़ की खुली जेल में वर्तमान में 15 बंदी सजा काट रहे हैं, जिनमें अधिकांश हत्या जैसे गंभीर मामलों में दोषी हैं। पहले इन बंदियों को मजदूरी के लिए सुबह 6 बजे हाजिरी देकर जेल से बाहर जाना पड़ता था और शाम 7 बजे लौटकर दोबारा हाजिरी देनी पड़ती थी। लेकिन अब इस पेट्रोल पंप के शुरू होने से उन्हें जेल परिसर में ही सम्मानजनक रोजगार मिलेगा। यह पंप एक तेल कंपनी द्वारा संचालित होगा, जिसकी लागत लगभग 1.5 से 2 करोड़ रुपये होगी। संचालन की जिम्मेदारी कंपनी की होगी, जबकि जेल प्रशासन इसकी निगरानी करेगा।
बंदियों को कैसे मिलेगा रोजगार?
पेट्रोल पंप पर सबसे पहले खुली जेल के 15 बंदियों को उनकी योग्यता के आधार पर काम दिया जाएगा। ये बंदी जेल परिसर में आने-जाने वाले वाहनों में पेट्रोल और डीजल भरने का काम करेंगे। जरूरत पड़ने पर अन्य जिलों से भी बंदियों को बुलाकर उन्हें रोजगार का अवसर दिया जाएगा। जेल अधीक्षक किशनचंद मीणा के अनुसार, केवल उन बंदियों को काम पर रखा जाएगा, जिन्हें अदालत से सजा मिल चुकी है। यह पहल बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और समाज में उनकी उपयोगिता को बढ़ाने का अवसर देगी।
प्रशासनिक तैयारी और प्रगति
इस परियोजना के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे स्वीकृति मिल चुकी है। खुली जेल में पेट्रोल पंप के लिए जमीन का आवंटन हो चुका है और निर्माण कार्य शुरू हो गया है। बहुत जल्द यह सुविधा शुरू होने की उम्मीद है। अधीक्षक किशनचंद मीणा ने बताया कि यह योजना बंदियों के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगी, जिससे वे सजा भुगतते हुए भी बेहतर इंसान बनने की राह पर आगे बढ़ सकेंगे।
प्रदेश के अन्य जिलों में भी विस्तार
यह पहल केवल प्रतापगढ़ तक सीमित नहीं है। राजस्थान के पांच अन्य जिलों—झुंझुनूं, बारां, चूरू, सीकर और अजमेर—में भी इसी मॉडल पर खुली जेलों में पेट्रोल पंप खोले जा रहे हैं। इसका उद्देश्य बंदियों को सुरक्षित, संरक्षित और सम्मानजनक रोजगार प्रदान करना है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें। बारां जेल में हाल ही में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पेट्रोल पंप का उद्घाटन किया गया है, जो इस दिशा में एक सफल उदाहरण है।
सामाजिक पुनर्वास की दिशा में मील का पत्थर
यह परियोजना न केवल बंदियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने और आत्मसम्मान हासिल करने का मौका भी देगी। सजा को सुधार का पर्याय बनाने की यह पहल, बंदियों को नई पहचान और सम्मान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जैसे कि सेवर जेल में फिनायल निर्माण के जरिए बंदियों को आत्मनिर्भरता और सम्मान मिल रहा है, वैसे ही यह पेट्रोल पंप परियोजना भी बंदियों के लिए एक नया जीवन उद्देश्य प्रदान करेगी।