किसान का दर्द:बारिश के कहर ने सब तबाह कर दिया “सब बह गया, मैं जीकर क्या करूं.
महाराष्ट्र के लातूर जिले में भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की मेहनत को पानी में बहा दिया। अहमदपुर तहसील के ब्रह्मवाडी गांव में 70 वर्षीय किसान मोतीराम मारुति घुगे अपनी डेढ़ एकड़ जमीन पर उगी फसल बर्बाद होने से टूट गए। रोते हुए उन्होंने कहा, “सब बह गया, अब जीकर क्या करूं?” हताशा में उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें बचा लिया। यह वायरल वीडियो किसानों की बदहाली की दर्दनाक तस्वीर पेश करता है। मोतीराम ने सरकार से मुआवजे की मांग की है, ताकि उनके जैसे किसान इस संकट से उबर सकें।

महाराष्ट्र के लातूर जिले में बेमौसम बारिश और बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। लगातार हो रही झमाझम बारिश ने नदियों को उफान पर ला दिया है, खेत तालाब में तब्दील हो गए हैं, और मेहनत से उगाई गई फसलें पानी में डूबकर पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों को आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव की गहरी खाई में धकेल दिया है। इसी बीच, लातूर की अहमदपुर तहसील के ब्रह्मवाडी गांव से एक ऐसी हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर दिया, बल्कि पूरे देश का ध्यान किसानों की दयनीय स्थिति की ओर खींचा है।
हताशा में टूटा किसान का दिल
70 वर्षीय किसान मोतीराम मारुति घुगे, जिनके पास महज डेढ़ एकड़ जमीन है, अपनी आंखों के सामने अपनी पूरी फसल को पानी में बहते देख पूरी तरह टूट गए। यह छोटा सा खेत उनके परिवार का एकमात्र सहारा था, जिससे उनके परिवार का गुजर-बसर होता था। लेकिन भारी बारिश और बाढ़ ने उनके खेत को पूरी तरह जलमग्न कर दिया, और उनकी मेहनत से उगाई गई फसलें चौपट हो गईं। एक वायरल वीडियो में मोतीराम अपने खेत के बीच खड़े हैं, जहां चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है। वे फूट-फूटकर रोते हुए कह रहे हैं, “सब कुछ बह गया… मेरी मेहनत पानी में बह गई… अब जीकर क्या करूं? घर में बच्चे भूखे हैं!” इस दृश्य ने हर देखने वाले का दिल दहला दिया।
हताशा और निराशा में डूबे मोतीराम पास बह रही नदी की ओर दौड़े और आत्महत्या की कोशिश की। उनकी चीखें और आंसुओं ने उनकी व्यथा को बयां कर दिया। गनीमत रही कि गांव के कुछ युवकों ने तुरंत उन्हें पकड़ लिया और नदी में कूदने से रोक लिया। ग्रामीणों ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत कराया, लेकिन यह घटना लातूर और आसपास के इलाकों में किसानों की गंभीर स्थिति का एक दर्दनाक चेहरा सामने लाई।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
मोतीराम की इस मार्मिक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह वीडियो न केवल ब्रह्मवाडी गांव के लोगों को झकझोर रहा है, बल्कि यह पूरे देश में किसानों के दर्द और उनकी बदहाली की कहानी बयां कर रहा है। वीडियो में मोतीराम की आंसुओं भरी आंखें और उनकी पुकार, “मेरी मेहनत पानी में बह गई, अब जीकर क्या करूं?” हर किसी के दिल को छू रही है। लोग इस वीडियो को देखकर भावुक हो रहे हैं और सरकार से किसानों की मदद की मांग कर रहे हैं।
बारिश और बाढ़ ने बढ़ाई मुश्किलें
लातूर जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने कई हेक्टेयर में खड़ी फसलों को पूरी तरह तबाह कर दिया है। खेतों में पानी भरने से सोयाबीन, कपास, मूंग और अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कई किसान पहले ही कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं, और अब फसल बर्बाद होने से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई है। मोतीराम जैसे छोटे किसानों के लिए यह नुकसान किसी बड़े संकट से कम नहीं है, क्योंकि उनकी आजीविका का आधार ही उनकी फसल थी।
किसान की मांग: मुआवजा और सहायता
मोतीराम घुगे ने सरकार से अपील की है कि उनके खेतों के नुकसान का पंचनामा किया जाए और उन्हें उचित आर्थिक मुआवजा प्रदान किया जाए। उनके जैसे कई किसान इस आपदा से प्रभावित हुए हैं और सरकार की ओर से तत्काल राहत की उम्मीद कर रहे हैं। लातूर और आसपास के इलाकों में स्थिति इतनी गंभीर है कि किसान अपनी मेहनत को पानी में बहते देख निराशा और हताशा के गहरे दलदल में फंस गए हैं। कई किसान मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं, और मोतीराम की घटना इस बात का सबूत है कि हालात कितने बदतर हो चुके हैं।
किसानों की बदहाली का आलम
लातूर और मराठवाड़ा के अन्य हिस्सों में बारिश और बाढ़ ने किसानों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। खेती पर निर्भर इन किसानों के लिए फसलें न केवल उनकी आजीविका हैं, बल्कि उनके परिवार के भविष्य का आधार भी हैं। लेकिन इस प्राकृतिक आपदा ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया है। कई किसानों ने कर्ज लेकर बीज, खाद और अन्य संसाधनों में निवेश किया था, लेकिन अब सब कुछ बर्बाद हो गया है।
समाज और सरकार से अपील
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो ने समाज और सरकार का ध्यान किसानों की इस दयनीय स्थिति की ओर खींचा है। लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि प्रभावित किसानों को तत्काल आर्थिक सहायता, मुआवजा और कर्ज माफी जैसे कदम उठाए जाएं।