जोजरी नदी बना जहरीली नाली, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - गांवों में नहीं बचा पीने लायक पानी

सुप्रीम कोर्ट ने जोजरी नदी में फैक्ट्रियों के जहरीले अपशिष्ट से उत्पन्न पर्यावरण संकट पर स्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

Sep 16, 2025 - 13:18
जोजरी नदी बना जहरीली नाली, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - गांवों में नहीं बचा पीने लायक पानी

सुप्रीम कोर्ट ने जोधपुर की जोजरी नदी में औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट के कारण उत्पन्न भयावह पर्यावरणीय संकट पर स्वत: संज्ञान लिया है। मंगलवार को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए गहरी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि फैक्ट्रियों और घरेलू कचरे से नदी का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि आसपास के गांवों में पीने योग्य पानी तक उपलब्ध नहीं है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उपयुक्त आदेश के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

नदी में जहर, गांवों में तबाही

जोजरी नदी, जो नागौर जिले की पंडालू पहाड़ियों से निकलकर जोधपुर जिले में लूणी नदी से मिलती है, अब एक जहरीली धारा में तब्दील हो चुकी है। बारिश के बाद स्थिति और भी बदतर हो गई है, जहां नदी के किनारे काले, जहरीले पानी के तालाब बन गए हैं। जोधपुर, बालोतरा, जालोर और पाली जिलों की टेक्सटाइल और स्टील रीरोलिंग इकाइयों से निकलने वाला अनुपचारित रासायनिक अपशिष्ट बिना किसी रोक-टोक के नदी में डाला जा रहा है। इसका असर न केवल पर्यावरण पर पड़ा है, बल्कि 50 से अधिक गांवों और बस्तियों के लगभग 15-20 लाख लोग इस संकट की चपेट में हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रदूषित पानी के कारण पशु-पक्षी असमय मर रहे हैं, और कई गांवों में स्वच्छ पानी की कमी ने स्वास्थ्य संकट को जन्म दिया है। खेतों में सिंचाई के लिए भी यही प्रदूषित पानी उपयोग हो रहा है, जिससे फसलों और मिट्टी की उर्वरता पर बुरा असर पड़ रहा है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नाकामी

राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरपीसीबी) के आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को और उजागर करते हैं। जोधपुर में प्रतिदिन लगभग 230 मेगालीटर घरेलू अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें से केवल 120 मेगालीटर का ही शोधन हो पाता है। शेष 110 मेगालीटर अपशिष्ट सीधे नदी में बहा दिया जाता है। औद्योगिक अपशिष्ट की बात करें तो रोजाना 20 मेगालीटर कचरा निकलता है, जिसमें से केवल 11 मेगालीटर ही शोधन संयंत्रों तक पहुंचता है। बाकी अपशिष्ट पाइपलाइन की खराबी और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के कारण नदी में रिस जाता है।

कोर्ट का सख्त रुख, स्थायी समाधान की उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए स्वत: संज्ञान केस दर्ज करने का आदेश दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्देश से न केवल स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर दबाव बढ़ेगा, बल्कि औद्योगिक इकाइयों को भी अपने अपशिष्ट प्रबंधन को बेहतर करना होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित और ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।

जोजरी नदी के प्रदूषण ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि लाखों लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल दिया है। स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता लंबे समय से इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप से उम्मीद जगी है कि नदी को उसके मूल स्वरूप में लौटाने और प्रभावित गांवों के लिए स्वच्छ पानी सुनिश्चित करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

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