जयपुर में सट्टेबाजी कार्रवाई के दौरान 3 लाख रुपये की हेराफेरी: तीन पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप, तत्काल निलंबन का आदेश

जयपुर के जयसिंहपुरा खोर थाने के तीन कांस्टेबल रमेश, ग्यारसी लाल और दिनेश सिंह को सट्टा छापे में बरामद 3 लाख रुपये की हेराफेरी के आरोप में DCP करन शर्मा ने तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। मामले की जांच ACP सुरेंद्र सिंह राणावत को सौंपी गई है।

Nov 21, 2025 - 11:56
जयपुर में सट्टेबाजी कार्रवाई के दौरान 3 लाख रुपये की हेराफेरी: तीन पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप, तत्काल निलंबन का आदेश

जयपुर, 21 नवंबर 2025: राजस्थान की राजधानी जयपुर में पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है, जिसमें तीन पुलिस कांस्टेबलों को सट्टेबाजी के खिलाफ की गई कार्रवाई के दौरान 3 लाख रुपये की हेराफेरी करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई गुरुवार रात जारी एक आधिकारिक आदेश के तहत की गई, जो विभागीय अनुशासन और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रही है। मामला जयसिंहपुरा खोर थाने से जुड़ा है, जहां इन पुलिसकर्मियों ने चार दिन पहले एक सट्टेबाजी के अड्डे पर छापा मारा था।

घटना का विवरण:  चार दिन पूर्व, जयपुर के जयसिंहपुरा खोर थाने की पुलिस टीम ने शहर के एक इलाके में सट्टेबाजी के एक बड़े रैकेट पर छापा मारा था। इस कार्रवाई के दौरान टीम ने सट्टेबाजों के पास से नकदी, दांव लगाने के रजिस्टर और अन्य सामग्री बरामद की थी। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, छापे में करीब 3 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई थी, जो सट्टेबाजी से संबंधित थी। हालांकि, जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि जब्त नकदी में से एक बड़ा हिस्सा गायब हो गया था। पीड़ित पक्ष या गवाहों के बयानों से संकेत मिला कि पुलिसकर्मियों ने इस राशि में हेराफेरी की, जिसका मतलब है कि वे रुपये को अपने पास रख लेने या अन्यत्र हस्तांतरित करने के दोषी पाए गए।यह मामला जयपुर पुलिस के लिए शर्मिंदगी का विषय बन गया है, क्योंकि सट्टेबाजी जैसी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के बजाय, कार्रवाई करने वाले ही भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए। स्थानीय निवासियों के बीच यह खबर तेजी से फैल रही है, और सोशल मीडिया पर कई यूजर्स पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "पुलिस जब अपराधियों पर कार्रवाई करती है, तो खुद ही अपराधी बन जाती है। ऐसे मामलों से अपराधियों का मनोबल बढ़ता है।"

निलंबन का आदेश और आरोपी पुलिसकर्मी;   निलंबन का आदेश जयपुर के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) करन शर्मा ने जारी किया है। आदेश के अनुसार, जयसिंहपुरा खोर थाने के तीन कांस्टेबल—रमेश, ग्यारसी लाल और दिनेश सिंह—को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। ये तीनों ही उस छापामार टीम का हिस्सा थे, जिसने सट्टेबाजी कार्रवाई को अंजाम दिया था। निलंबन के दौरान इनकी वर्दी और हथियार जब्त कर लिए गए हैं, और विभागीय जांच शुरू हो गई है।DCP करन शर्मा ने एक बयान में कहा, "पुलिस विभाग में शून्य सहनशीलता की नीति है। किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार की शिकायत मिलते ही कड़ी कार्रवाई की जाती है। यह निलंबन जांच के दौरान लिया गया प्रारंभिक कदम है, और दोषी पाए जाने पर आगे की अनुशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।" आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि निलंबित कांस्टेबलों को विभागीय वेतन का केवल आधा हिस्सा मिलेगा, और वे किसी भी आधिकारिक ड्यूटी पर तैनात नहीं किए जाएंगे।

जांच की जिम्मेदारी;   मामले की गहन जांच के लिए जयपुर के असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ACP) सुरेंद्र सिंह राणावत को निर्देश जारी किए गए हैं। ACP राणावत को चार दिनों के अंदर प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है। जांच में जब्त नकदी के रिकॉर्ड, छापे के दौरान मौजूद गवाहों के बयान, सीसीटीवी फुटेज (यदि उपलब्ध हो) और आरोपी कांस्टेबलों की वित्तीय स्थिति की पड़ताल शामिल होगी। यदि हेराफेरी की पुष्टि हुई, तो यह मामला राजस्थान पुलिस की आंतरिक शिकायत समिति के समक्ष भी जाएगा, और आपराधिक धाराओं के तहत FIR दर्ज की जा सकती है।ACP सुरेंद्र सिंह राणावत ने जांच शुरू करते हुए कहा, "हम सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच करेंगे। साक्ष्य आधारित रिपोर्ट तैयार की जाएगी, और कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।" यह मामला जयपुर पुलिस के लिए एक सबक साबित हो सकता है, जहां हाल के वर्षों में सट्टेबाजी और जुआ जैसे अपराधों पर सख्ती बढ़ाई गई है।

पृष्ठभूमि और प्रभाव;   राजस्थान में सट्टेबाजी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, खासकर फेस्टिवल सीजन या बड़े खेल आयोजनों के दौरान। जयपुर जैसे शहरों में पुलिस नियमित रूप से ऐसे रैकेट्स पर छापे मारती है, लेकिन कभी-कभी आंतरिक भ्रष्टाचार के कारण कार्रवाई कमजोर पड़ जाती है। इस घटना से न केवल विभाग की छवि धूमिल हुई है, बल्कि सट्टेबाजों के बीच यह संदेश जा रहा है कि पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।