मानव तस्करी मामले में RPS अधिकारी राजीव दत्ता के खिलाफ जांच के आदेश
राजस्थान हाई कोर्ट ने मानव तस्करी मामले में RPS अधिकारी राजीव दत्ता के खिलाफ ADGP दिनेश एमएन के नेतृत्व में जांच के आदेश दिए। अधिवक्ता शेखर मेवाड़ा की याचिका पर यह कार्रवाई हुई, जिसमें दत्ता पर नाबालिगों की तस्करी और शोषण का आरोप है।

राजस्थान हाई कोर्ट ने एक हाई-प्रोफाइल मानव तस्करी मामले में RPS अधिकारी राजीव दत्ता के खिलाफ औपचारिक जांच के आदेश दिए हैं। वर्तमान में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के विशेष कर्तव्य अधिकारी (OSD) के रूप में कार्यरत दत्ता पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें नाबालिग बच्चों की तस्करी और शारीरिक-यौन शोषण का जिक्र है। यह आदेश जस्टिस समीर जैन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अधिवक्ता शेखर मेवाड़ा की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया।
मानव तस्करी का आरोप
अधिवक्ता शेखर मेवाड़ा ने अजमेर के क्रिश्चियन गंज पुलिस स्टेशन में राजीव दत्ता और उनके करीबी सहयोगियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में दावा किया गया कि दत्ता और उनके सहयोगी कई वर्षों से मानव तस्करी का रैकेट चला रहे हैं। आरोप है कि इस गिरोह ने नाबालिग बच्चों को बहला-फुसलाकर तस्करी की और उनका शारीरिक व यौन शोषण किया। शिकायत में यह भी कहा गया कि बच्चों को तस्करी का पता होने के बावजूद, आरोपियों ने उन्हें अपनी हिरासत में रखकर अत्याचार किए। इस रैकेट में कुछ अन्य अज्ञात व्यक्तियों के शामिल होने का भी दावा किया गया है।
पुलिस की निष्क्रियता और कोर्ट का हस्तक्षेप
मेवाड़ा ने अपनी याचिका में कहा कि गंभीर आरोपों के बावजूद स्थानीय पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद, उन्हें अपनी जान को खतरा होने और प्रभावशाली लोगों से दबाव का सामना करना पड़ा। मेवाड़ा ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बताया कि करीब दो महीने पहले उन पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वे राजीव दत्ता को मुख्य साजिशकर्ता मानते हैं। इसके अलावा, दत्ता पर मेवाड़ा के खिलाफ कोटा, बूंदी और पाली में कई फर्जी मामले दर्ज करवाने का भी आरोप है, जिन्हें उनकी शिकायत को दबाने की साजिश बताया गया है।
कोर्ट का सख्त रुख, ADGP को जिम्मेदारी
हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता और राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए ADGP दिनेश एमएन को जांच का नेतृत्व करने का निर्देश दिया है। दिनेश एमएन, जो हाई-प्रोफाइल और संवेदनशील मामलों को संभालने के लिए जाने जाते हैं, ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के सामने पेशी दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा:
"उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, और संबंधित पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद, यह कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि मामले पर समग्र विचार की आवश्यकता है।"
कोर्ट ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को अजमेर के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (नंबर 3) के समक्ष लंबित आपराधिक कार्यवाही से संबंधित रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही, राजीव दत्ता और शिकायत में नामित अन्य व्यक्तियों को मामले में औपचारिक रूप से पक्षकार बनाया गया है। ADGP दिनेश एमएन को भविष्य की सुनवाई में उपस्थित रहने और मूल शिकायत व उसके बाद दर्ज FIR से संबंधित सभी रिकॉर्ड के साथ विस्तृत स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया गया है।
राजीव दत्ता पर पहले भी विवाद
यह पहली बार नहीं है जब राजीव दत्ता विवादों में घिरे हैं। साल 2022 में राजस्थान कांग्रेस के विधायक भरत सिंह ने दत्ता पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। उस समय भी दत्ता लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के OSD के रूप में कार्यरत थे। विधायक ने तत्कालीन पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा को पत्र लिखकर दत्ता के आचरण पर सवाल उठाए थे।
मेवाड़ा की सुरक्षा पर सवाल
मेवाड़ा ने अपनी याचिका में बताया कि कोटा में पुलिस समन का पालन करने के बाद भी उनकी पूछताछ नहीं हुई और जयपुर लौटते समय उन पर हमला हुआ। उनकी सुरक्षा तब तक सुनिश्चित नहीं हुई, जब तक गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और कुछ अधिवक्ताओं के समूह ने हस्तक्षेप नहीं किया।