इंस्टाग्राम का ऑटो स्क्रॉल फीचर: रील्स की लत को बढ़ाने वाली नई चाल या मेंटल हेल्थ का नया खतरा?

इंस्टाग्राम का कथित ऑटो स्क्रॉल फीचर रील्स की लत को और बढ़ा सकता है, जिससे युवाओं की मेंटल हेल्थ और स्क्रीन टाइम पर गंभीर असर पड़ सकता है। अभी यह फीचर सिर्फ अफवाहों में है, लेकिन इसने सोशल मीडिया की आदतों पर बहस छेड़ दी है।

Jul 19, 2025 - 15:22
इंस्टाग्राम का ऑटो स्क्रॉल फीचर: रील्स की लत को बढ़ाने वाली नई चाल या मेंटल हेल्थ का नया खतरा?

भारत में जब से टिकटॉक पर बैन लगा, तब से इंस्टाग्राम रील्स ने सोशल मीडिया की दुनिया में तहलका मचा रखा है। हर उम्र के लोग, खासकर युवा, दिन-रात रील्स स्क्रॉल करते नजर आते हैं। लेकिन इस आदत ने न सिर्फ हमारा स्क्रीन टाइम बढ़ाया, बल्कि हमारी मानसिक सेहत पर भी गहरा असर डाला है। अब इसी बीच एक नई खबर सोशल मीडिया पर तैर रही है, जो यूजर्स की इस लत को और बढ़ा सकती है। खबर है कि इंस्टाग्राम एक नया ऑटो स्क्रॉल फीचर लाने की तैयारी में है, जो रील्स को और भी ज्यादा adictive बना सकता है। आइए, इस खबर को और गहराई से समझते हैं।

क्या है ऑटो स्क्रॉल फीचर?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, थ्रेड्स और X पर कुछ यूजर्स ने स्क्रीनशॉट्स शेयर किए हैं, जिनमें इंस्टाग्राम पर एक नया ऑप्शन "ऑटो स्क्रॉल" दिखाई दे रहा है। इस फीचर को ऑन करने पर यूजर्स को रील्स को मैनुअली स्क्रॉल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्क्रीन अपने आप एक रील से दूसरी रील पर चली जाएगी, बिल्कुल नेटफ्लिक्स के ऑटो-प्ले फीचर की तरह। यानी, एक बार फीचर ऑन कर लिया, तो रील्स की दुनिया में खो जाना और भी आसान हो जाएगा।

हालांकि, इंस्टाग्राम की ओर से अभी तक इस फीचर को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। फिलहाल ये सिर्फ अफवाहों और स्क्रीनशॉट्स के जरिए चर्चा में है। लेकिन अगर ये फीचर सच में लॉन्च होता है, तो ये सोशल मीडिया की दुनिया में एक बड़ा बदलाव ला सकता है, खासकर भारत जैसे देश में, जहां इंस्टाग्राम रील्स की दीवानगी पहले ही चरम पर है।

मेंटल हेल्थ पर क्या होगा असर?

सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल पहले ही मानसिक सेहत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। स्टडीज बताती हैं कि भारत में युवा रोजाना औसतन 2-3 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं, जिसमें इंस्टाग्राम रील्स का बड़ा हिस्सा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (NIMHANS) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 27% टीनएजर्स में सोशल मीडिया की लत के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिससे ध्यान भटकना, पढ़ाई में कमी, और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

ऑटो स्क्रॉल फीचर के आने से ये समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं। इस फीचर के साथ यूजर्स को रील्स देखने के लिए कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, जिससे स्क्रीन टाइम और बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे फीचर्स दिमाग के रिवॉर्ड सिस्टम को और ज्यादा उत्तेजित करते हैं, क्योंकि ये डोपामाइन (खुशी का हॉर्मोन) रिलीज करने का सिलसिला बनाए रखते हैं। इससे यूजर्स को रील्स देखने की लत और गहरी हो सकती है।

खासकर युवाओं और बच्चों के लिए खतरा

भारत में इंस्टाग्राम का यूजर बेस ज्यादातर युवा और टीनएजर्स हैं। ऑटो स्क्रॉल जैसे फीचर उनकी मेंटल हेल्थ पर कई तरह से असर डाल सकते हैं:

  • बढ़ता स्क्रीन टाइम: ऑटो स्क्रॉल से यूजर्स बिना रुके घंटों रील्स देख सकते हैं, जिससे नींद की कमी, आंखों पर जोर, और मानसिक थकान बढ़ सकती है।

  • तनाव और चिंता: लगातार रील्स देखने से FOMO (Fear of Missing Out) बढ़ता है, जो चिंता और डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

  • सोशल मीडिया की लत: ऑटो स्क्रॉल फीचर यूजर्स को प्लेटफॉर्म से चिपकाए रखने की एक और चाल हो सकता है, जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी, पढ़ाई, और रिश्तों पर बुरा असर पड़ सकता है।

  • कमजोर आत्मसम्मान: रील्स में दिखने वाली परफेक्ट जिंदगी और बॉडी इमेज की तुलना करने से युवाओं में आत्मसम्मान की कमी और बॉडी इमेज से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

क्या कहते हैं यूजर्स?

X पर इस फीचर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ यूजर्स इसे मजेदार और सुविधाजनक बता रहे हैं, तो कुछ इसे मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक मान रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "इंस्टाग्राम का ऑटो स्क्रॉल फीचर? अब तो मेरी डेली कार्डियो भी छूट जाएगी!" वहीं, एक अन्य यूजर ने चिंता जताते हुए कहा, "लोग पहले ही रील्स में डूबे रहते हैं, अब ये फीचर उनकी लत को और बढ़ाएगा।"

इंस्टाग्राम की रणनीति या गलती?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हमेशा से अपने यूजर्स को ज्यादा से ज्यादा समय तक जोड़े रखने की कोशिश करते हैं। ऑटो स्क्रॉल फीचर भी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे फीचर्स प्लेटफॉर्म्स की कमाई बढ़ाने के लिए डिजाइन किए जाते हैं, क्योंकि ज्यादा स्क्रीन टाइम का मतलब है ज्यादा विज्ञापन और डेटा कलेक्शन। लेकिन इसका नुकसान यूजर्स की मेंटल हेल्थ को उठाना पड़ सकता है।

हालांकि, कुछ लोग मानते हैं कि अगर इंस्टाग्राम इस फीचर को लाता है, तो उसे यूजर्स को स्क्रीन टाइम मैनेज करने के लिए टूल्स भी देना चाहिए, जैसे टाइम लिमिट सेट करने का ऑप्शन या डिजिटल डिटॉक्स को बढ़ावा देने वाले नोटिफिकेशंस।

क्या है रास्ता?

अगर ऑटो स्क्रॉल फीचर सच में आता है, तो यूजर्स को अपनी मेंटल हेल्थ की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाने होंगे:

  • स्क्रीन टाइम लिमिट करें: रोजाना सोशल मीडिया के लिए समय सीमा तय करें। फोन में बिल्ट-इन स्क्रीन टाइम फीचर्स का इस्तेमाल करें।

  • डिजिटल डिटॉक्स: हफ्ते में एक दिन या कुछ घंटे डिवाइस-फ्री रखें।

  • ऑफलाइन एक्टिविटीज: किताब पढ़ना, दोस्तों से मिलना, या कोई हॉबी अपनाना जैसे काम मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाते हैं।

  • जागरूकता: सोशल मीडिया के नेगेटिव असर के बारे में खुद को और बच्चों को शिक्षित करें।

Yashaswani Journalist at The Khatak .