महाराष्ट्र की पाठ्यपुस्तक में ऐतिहासिक चूक: जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताने पर बवाल

जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार ने NCERT की 8वीं कक्षा की किताब में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने पर आपत्ति जताई, इसे ऐतिहासिक रूप से गलत बताते हुए तत्काल संशोधन की मांग की। चैतन्यराज सिंह ने इसे रियासत की गरिमा और जनभावनाओं पर आघात करार दिया।

Aug 5, 2025 - 12:11
Aug 5, 2025 - 12:17
महाराष्ट्र की पाठ्यपुस्तक में ऐतिहासिक चूक: जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताने पर बवाल

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की 8वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में एक नक्शे को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार ने इस नक्शे में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाए जाने पर कड़ा एतराज जताया है। पूर्व राजपरिवार के सदस्य चैतन्यराज सिंह ने इसे "ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गंभीर रूप से आपत्तिजनक" करार देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से तत्काल संशोधन की मांग की है।

नक्शे में क्या है गलत?

चैतन्यराज सिंह ने सोमवार, 4 अगस्त 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर अपनी आपत्ति दर्ज की। उन्होंने NCERT की सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तक (यूनिट 3, पृष्ठ 71) में छपे नक्शे का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाया गया है। उनके अनुसार, यह दावा ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है। उन्होंने लिखा, "जैसलमेर रियासत के प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों में मराठा आधिपत्य, आक्रमण, कराधान या प्रभुत्व का कोई उल्लेख नहीं है। हमारे राजकीय अभिलेखों में स्पष्ट है कि मराठाओं का जैसलमेर में कभी कोई दखल नहीं रहा।"

चैतन्यराज सिंह ने इस गलती को न केवल NCERT की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाला बताया, बल्कि इसे जैसलमेर की ऐतिहासिक गरिमा और जनभावनाओं पर आघात के रूप में भी देखा। उन्होंने इसे "हमारे पूर्वजों के बलिदान, संप्रभुता और शौर्य गाथा को धूमिल करने का प्रयास" करार दिया।

जैसलमेर का गौरवशाली इतिहास

जैसलमेर का इतिहास भारतीय मध्यकाल से गहराई से जुड़ा है। 1178 ईस्वी में यदुवंशी भाटी वंशज रावल जैसल द्वारा स्थापित यह रियासत 770 वर्षों तक अपने वंश क्रम को अक्षुण्ण रखने में सफल रही। यह अपने आप में एक अनूठी उपलब्धि है। इतिहासकारों के अनुसार, जैसलमेर ने न केवल खिलजी, राठौर, तुगलक और मुगल जैसे आक्रांताओं के हमलों का सामना किया, बल्कि अपनी स्वतंत्रता को भी बरकरार रखा। मुगल साम्राज्य के 300 वर्षों के शासनकाल में भी जैसलमेर ने अपनी संप्रभुता बनाए रखी।

भारत की स्वतंत्रता के बाद 1947 में जैसलमेर भारतीय गणतंत्र में विलीन हुआ। उस समय इसका भौगोलिक क्षेत्रफल 16,062 वर्ग मील था, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। चैतन्यराज सिंह ने अपने पोस्ट में इस बात पर जोर दिया कि जैसलमेर का इतिहास सत्ता के लिए संघर्ष का नहीं, बल्कि अस्तित्व को बनाए रखने का रहा है।

शिक्षा मंत्री से त्वरित कार्रवाई की मांग

चैतन्यराज सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को टैग करते हुए लिखा, "संपूर्ण जैसलमेर परिवार की ओर से मैं आपका ध्यान इस ज्वलंत मुद्दे की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। NCERT द्वारा की गई यह त्रुटिपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण प्रस्तुति केवल एक गलती नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक गरिमा और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की सत्यनिष्ठा से जुड़ा विषय है।" उन्होंने त्वरित और ठोस कार्रवाई की मांग की है।

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

इस मुद्दे ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। कई यूजर्स ने चैतन्यराज सिंह की आपत्ति का समर्थन किया और NCERT से तथ्यों की सटीकता सुनिश्चित करने की मांग की। वहीं, कुछ यूजर्स ने मराठा साम्राज्य के पक्ष में तर्क दिए। एक यूजर ने ग्वालियर के सिंधिया राजपरिवार के म्यूजियम में मौजूद एक नक्शे का हवाला देते हुए दावा किया कि यह मराठा साम्राज्य के विस्तार को दर्शाता है। हालांकि, इस दावे की प्रामाणिकता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि जैसलमेर के ऐतिहासिक अभिलेख इस दावे का समर्थन नहीं करते।

NCERT और ऐतिहासिक तथ्यों पर सवाल

यह पहली बार नहीं है जब NCERT की पाठ्यपुस्तकों पर सवाल उठे हैं। हाल के वर्षों में, NCERT के पाठ्यक्रम में संशोधनों को लेकर कई विवाद सामने आए हैं, जिनमें मध्यकालीन भारतीय इतिहास, विशेष रूप से मुगल और मराठा साम्राज्य से संबंधित सामग्री शामिल है। कुछ आलोचकों का मानना है कि ये संशोधन ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने का प्रयास हैं, जबकि सरकार और NCERT का कहना है कि ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत पाठ्यक्रम को अद्यतन करने का हिस्सा हैं।

Yashaswani Journalist at The Khatak .