हाफिज सईद के आतंकी संगठन का सनसनीखेज दावा: "हमने शेख हसीना को सत्ता से हटाया, 1971 का बदला लिया"

हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) ने दावा किया कि उन्होंने 2024 में बांग्लादेश के सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भूमिका निभाकर शेख हसीना को सत्ता से हटाया और 1971 का बदला लिया। जेयूडी नेता सैफुल्लाह कसूरी ने भारत के हवाई हमले में अपने साथी की मौत की बात कबूली और जिहाद की अगली पीढ़ी तैयार करने की धमकी दी। पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी ने इन बयानों पर सवाल उठाते हुए पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी दावों पर संदेह जताया।

Jun 1, 2025 - 12:08
हाफिज सईद के आतंकी संगठन का सनसनीखेज दावा: "हमने शेख हसीना को सत्ता से हटाया, 1971 का बदला लिया"

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) ने बांग्लादेश में 2024 के सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अपनी भूमिका का दावा कर सनसनी फैला दी है। संगठन के नेताओं ने कहा कि इन प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़कर भारत भागना पड़ा। जेयूडी के सरगना सैफुल्लाह कसूरी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित मुजम्मिल हाशमी ने अपने भड़काऊ भाषणों में यह भी दावा किया कि उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का बदला ले लिया है।

1971 का बदला और जिहादी बयानबाजी
सैफुल्लाह कसूरी ने पाकिस्तान के रहीम यार खान के इलाहाबाद में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, "1971 में जब पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तब मैं चार साल का था। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि उन्होंने दो-राष्ट्र सिद्धांत को बंगाल की खाड़ी में डुबो दिया। 10 मई को हमने 1971 का बदला ले लिया।" कसूरी ने 1971 के युद्ध का जिक्र किया, जिसमें पाकिस्तान को भारत और बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था।

कसूरी ने यह भी खुलासा किया कि उनके एक साथी मुदस्सर की मौत 7 मई को भारत के हवाई हमले में हुई, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, "मुझे मुदस्सर के जनाजे में शामिल होने की इजाजत नहीं मिली, उस दिन मैं बहुत रोया।" हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्हें किसने रोका। हैरानी की बात यह है कि मुदस्सर और दो अन्य जेयूडी सदस्यों के जनाजे में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के वरिष्ठ सैन्य, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हिस्सा लिया था।

जिहाद की तैयारी और बांग्लादेश में दखल
कसूरी ने अपने भाषण में जिहादी उन्माद भड़काते हुए कहा, "पहलगाम हमले में भारत ने मुझे मास्टरमाइंड बताया और मेरे शहर कसूर को दुनिया भर में मशहूर कर दिया। हम अगली पीढ़ी को जिहाद के लिए तैयार कर रहे हैं। हमें मौत का डर नहीं है।" वहीं, मुजम्मिल हाशमी ने गुजरांवाला में भारतीय नेतृत्व को निशाना बनाते हुए कहा, "हमने पिछले साल बांग्लादेश में तुम्हें हराया।" उनका इशारा 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के सत्ता से हटने और भारत भागने की घटना की ओर था, जिसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला।

पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल
पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी ने जेयूडी नेताओं के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "जिहादी चरमपंथियों की सार्वजनिक रैलियों में ऐसी बयानबाजी से यह विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि पाकिस्तान अब आतंकवाद को प्रायोजित या बर्दाश्त नहीं करता।" हक्कानी का बयान उन आधिकारिक दावों पर सवाल उठाता है, जिसमें पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहता है।

बांग्लादेश में क्या हुआ था?
2024 में बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुए प्रदर्शन सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ थे। ये प्रदर्शन जल्द ही व्यापक सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गए, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। शेख हसीना की सरकार पर अत्यधिक बल प्रयोग और दमनकारी नीतियों के आरोप लगे। 5 अगस्त 2024 को भारी दबाव के बाद हसीना ने इस्तीफा दे दिया और भारत भाग गईं। इसके बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी, जिसे सुधारों और स्थिरता बहाल करने का जिम्मा सौंपा गया।

जमात-उद-दावा की भूमिका पर सवाल
जेयूडी के दावों ने बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता में विदेशी हस्तक्षेप की आशंकाओं को बल दिया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा इस्लामी छत्र शिबिर ने प्रदर्शनों को भड़काने में भूमिका निभाई। इनका मकसद हसीना की सरकार को हटाकर पाकिस्तान और चीन के लिए अनुकूल सरकार स्थापित करना था। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।

जमात-उद-दावा के नेताओं के इन दावों ने दक्षिण एशिया की राजनीति में नया तनाव पैदा कर दिया है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के पीछे यदि आतंकी संगठनों की भूमिका सही है, तो यह क्षेत्रीय स्थिरता और भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अब सुधारों और चुनाव की चुनौतियों से जूझ रही है, जबकि हसीना के समर्थक और विरोधी दोनों ही देश में तनाव बढ़ा रहे हैं।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ