"CRPF जवान से देशद्रोही तक: पाकिस्तान को गोपनीय जानकारी बेचने का खुलासा, NIA की सनसनीखेज गिरफ्तारी"
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने CRPF के जवान मोती राम जाट को दिल्ली से गिरफ्तार किया, जो 2023 से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी कर रहा था। जम्मू-कश्मीर में तैनात इस असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर ने सेना की तैनाती और सुरक्षा ऑपरेशनों जैसी संवेदनशील जानकारी सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान को भेजी। बदले में उसे हवाला के जरिए पैसे मिले। NIA ने साइबर फॉरेंसिक जांच, सोशल मीडिया निगरानी और हवाला लेनदेन के आधार पर उसे पकड़ा। यह गिरफ्तारी ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा है, जिसके तहत 19 अन्य लोग भी पकड़े गए। मोती राम को CRPF से बर्खास्त कर दिया गया, और उसे 15 दिन की हिरासत में भेजा गया। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा और सोशल मीडिया के दुरुपयोग को उजागर करता है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक चौंकाने वाले मामले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक जवान, मोती राम जाट, को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोप है कि यह जवान 2023 से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (PIO) के लिए जासूसी कर रहा था और देश की संवेदनशील जानकारी, विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेज, साझा कर रहा था। इस मामले ने न केवल सुरक्षा बलों को हिलाकर रख दिया है, बल्कि यह भी सवाल उठाए हैं कि आखिर कैसे एक जवान, जिस पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, दुश्मन देश के लिए गद्दारी करने लगा।
मोती राम जाट, जो CRPF में असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) के पद पर जम्मू-कश्मीर में तैनात था, पर आरोप है कि वह 2023 से पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के संपर्क में था। जांच में पता चला कि उसने सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल माध्यमों के जरिए भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारियां, जैसे सेना की तैनाती, सुरक्षा ऑपरेशन और अन्य संवेदनशील सूचनाएं, पाकिस्तान को भेजीं। बदले में, उसे विभिन्न माध्यमों, विशेष रूप से हवाला के जरिए, पैसे प्राप्त हो रहे थे। इस गतिविधि ने देश की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया।
NIA ने मोती राम को दिल्ली से गिरफ्तार किया और पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया, जहां उसे 6 जून, 2025 तक 15 दिन की हिरासत में भेज दिया गया। इसके साथ ही, CRPF ने उसे तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया, यह कहते हुए कि उसका आचरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा था।
NIA ने कैसे पकड़ा?
NIA की इस सनसनीखेज गिरफ्तारी के पीछे एक लंबी और सावधानीपूर्वक जांच प्रक्रिया थी। जांच एजेंसी ने निम्नलिखित तरीकों से मोती राम को पकड़ा:
- सोशल मीडिया की निगरानी: CRPF और केंद्रीय एजेंसियां नियमित रूप से अपने कर्मियों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रखती हैं। इस दौरान मोती राम के सोशल मीडिया हैंडल पर संदिग्ध गतिविधियां पकड़ी गईं, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों से संपर्क का संकेत दे रही थीं।
- साइबर फॉरेंसिक जांच: NIA ने मोती राम के डिजिटल उपकरणों, जैसे मोबाइल फोन और कंप्यूटर, की गहन जांच की। इसमें चैट लॉग्स, ईमेल, और अन्य संचार माध्यमों की पड़ताल की गई, जिससे पता चला कि वह लगातार पाकिस्तानी हैंडलर्स के साथ संपर्क में था।
- वित्तीय लेनदेन का पता: जांच में सामने आया कि मोती राम को हवाला और अन्य गुप्त चैनलों के जरिए पाकिस्तान से पैसे मिल रहे थे। NIA ने बैंक लेनदेन और हवाला नेटवर्क की जांच कर इस पैसे के स्रोत का पता लगाया।
- खुफिया जानकारी का उपयोग: NIA ने खुफिया एजेंसियों से मिली सूचनाओं के आधार पर मोती राम की गतिविधियों पर नजर रखी। यह भी पता चला कि वह ISI के निशाने पर था और उसे पैसे का लालच देकर जासूसी नेटवर्क में शामिल किया गया था।
- ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा: यह गिरफ्तारी NIA के ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा है, जिसके तहत देश में पाकिस्तान से जुड़े जासूसी नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। इस ऑपरेशन के तहत हाल ही में पंजाब, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश से 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा भी शामिल हैं।
रहस्य और सवाल
इस मामले में कई रहस्यमयी पहलू हैं, जो इसे और भी गंभीर बनाते हैं:
- कैसे फंसा जवान? जांच से पता चला कि मोती राम को ISI ने टारगेट किया और संभवतः हनी ट्रैप या पैसे के लालच में फंसाया गया। सोशल मीडिया के जरिए संपर्क साधकर उसे जासूसी के लिए तैयार किया गया।
- जासूसी नेटवर्क का दायरा: NIA को शक है कि यह एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि क्या अन्य लोग भी इस नेटवर्क से जुड़े हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा: मोती राम ने जो जानकारी लीक की, उसमें सेना की तैनाती और सुरक्षा ऑपरेशन से जुड़े विवरण शामिल थे, जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते थे।
आरोपी का प्रोफाइल
मोती राम जाट CRPF में असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत था और जम्मू-कश्मीर में तैनात था। उसकी गतिविधियां 2023 से शुरू हुईं, जब वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के संपर्क में आया। NIA की जांच में पाया गया कि उसने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर संवेदनशील जानकारी साझा की और इसके बदले पैसे लिए।
कानूनी कार्रवाई और बर्खास्तगी
NIA ने मोती राम के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत मामला दर्ज किया। पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 15 दिन की हिरासत मंजूर की, ताकि NIA गहन पूछताछ कर सके। कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बल देश की सुरक्षा का आधार हैं, और ऐसी गतिविधियों की गंभीरता से जांच जरूरी है।
CRPF ने 21 मई, 2025 को मोती राम को भारत के संविधान और CRPF नियमों के तहत तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। CRPF ने इसे सेवा आचरण का उल्लंघन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना।
इस मामले का व्यापक प्रभाव
- सुरक्षा बलों में सतर्कता: इस घटना ने सुरक्षा बलों को अपने कर्मियों की गतिविधियों पर और सख्त निगरानी रखने के लिए मजबूर किया है। खासकर सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नजर रखने की जरूरत बढ़ गई है
- पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क: ऑपरेशन सिंदूर के तहत हाल के महीनों में 19 लोगों की गिरफ्तारी से पता चलता है कि पाकिस्तान उत्तर भारत में एक सक्रिय जासूसी नेटवर्क चला रहा है। इसमें सैन्य कर्मियों से लेकर आम नागरिक, जैसे यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, तक शामिल हैं।
- सामाजिक जागरूकता: यह मामला सोशल मीडिया के दुरुपयोग और हनी ट्रैप जैसे खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक उदाहरण है।
मोती राम जाट की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह साबित किया है कि दुश्मन देश भारत की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। NIA की त्वरित कार्रवाई और साइबर फॉरेंसिक जांच ने इस जासूसी नेटवर्क को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, यह मामला देश के लिए एक चेतावनी है कि सुरक्षा बलों के भीतर भी सतर्कता और निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत है। NIA अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में गहन जांच कर रही है, ताकि देश की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके।
यह घटना न केवल एक जवान की गद्दारी की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है