थानेदार पर खुद के ही थाने में FIR: धमकी देकर 1 लाख रुपये हड़पने का गंभीर आरोप, अदालत के आदेश पर 6 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज
बीकानेर के खाजूवाला थाने में थानेदार सुरेंद्र कुमार प्रजापत सहित 6 पुलिसकर्मियों पर धमकी देकर 1 लाख रुपये हड़पने का आरोप; अदालत के आदेश पर खुद के थाने में FIR दर्ज।
बीकानेर, 13 नवंबर 2025: राजस्थान के बीकानेर जिले के खाजूवाला थाने में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है। थाने के ही इंचार्ज सहित छह पुलिसकर्मियों पर एक स्थानीय निवासी ने धमकी देकर एक लाख रुपये वसूलने का गंभीर आरोप लगाया है। पीड़ित की शिकायत पर अदालत के सख्त निर्देश के बाद थाने में ही एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला न केवल पुलिस की विश्वसनीयता को चुनौती दे रहा है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम को भी नई दिशा दे सकता है।
पीड़ित की शिकायत: जबरदस्ती और धमकी की पूरी कहानी घटना के पीड़ित चक 25 बीडी के निवासी राजेंद्र सिंह पुत्र हरिसिंह ने बताया कि थाने के इंचार्ज और उनके साथियों ने उसके खिलाफ मामले दर्ज करवाया। राजेंद्र सिंह ने खाजूवाला के अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट को एक इस्तगासा (शिकायत) देकर अपनी व्यथा बयां की। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि थानेदार सुरेंद्र कुमार प्रजापत और उनके सहयोगी लगातार दबाव डाल रहे थे। राजेंद्र के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने उसे धमकाया कि यदि वह 1 लाख रुपये नहीं देगा, तो उसके खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर दिया जाएगा, जिससे उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। आखिरकार, दबाव में आकर राजेंद्र ने राशि का भुगतान कर दिया। लेकिन जब धमकियां रुकने का नाम न लेने लगीं, तो उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया। मजिस्ट्रेट ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए तुरंत थाने को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
आरोपी पुलिसकर्मी: थानेदार से लेकर हेड कॉन्स्टेबल तक एफआईआर में कुल छह पुलिसकर्मियों के नाम शामिल किए गए हैं, जो सभी खाजूवाला थाने से जुड़े हैं। इनमें शामिल हैं:थाना प्रभारी (इंचार्ज): सुरेंद्र कुमार प्रजापत – मुख्य आरोपी के रूप में नामित, जिन्होंने कथित तौर पर पूरी साजिश का संचालन किया।हेड कॉन्स्टेबल: ईश्वर सिंह – सहयोगी के रूप में धमकी देने और दबाव बनाने का आरोप। कॉन्स्टेबल: राजकुमार,मुकेश,रामनिवास,मोनू सिंह
इसके अलावा, एक सिविलियन व्यक्ति प्रेम शर्मा पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। राजेंद्र सिंह ने दावा किया कि प्रेम शर्मा पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर इस सौदे में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था। एफआईआर में इन सभी पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें धमकी, जबरदस्ती वसूली, भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश जैसे अपराध शामिल हैं।
अदालत का हस्तक्षेप: थाने पर ही FIR का अनोखा मामला सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एफआईआर खुद उसी थाने में दर्ज की गई है, जहां आरोपी तैनात हैं। राजेंद्र सिंह की शिकायत पर अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट ने प्रारंभिक जांच के बाद आदेश जारी किया। मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और आरोपी पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित किया जाए। इस आदेश के बाद थाने में हड़कंप मच गया। उच्च अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में ले लिया है, और बीकानेर पुलिस मुख्यालय से एक विशेष टीम को जांच सौंपी गई है।
पृष्ठभूमि: खाजूवाला क्षेत्र में बढ़ते पुलिस भ्रष्टाचार के आरोप खाजूवाला बीकानेर जिले का एक सीमावर्ती क्षेत्र है, जहां किसान और छोटे व्यापारी मुख्य रूप से रहते हैं। हाल के वर्षों में इस इलाके से पुलिस पर भ्रष्टाचार के कई आरोप सामने आ चुके हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि थाना प्रबंधन अक्सर छोटे-मोटे विवादों को सुलझाने के नाम पर पैसे वसूलता रहा है। राजेंद्र सिंह का मामला इस समस्या को उजागर करता है, जहां एक आम नागरिक को अपनी ही सुरक्षा एजेंसी से खतरा महसूस हो रहा है। राजेंद्र ने अपनी शिकायत में यह भी जिक्र किया कि प्रारंभ में थाने में शिकायत दर्ज कराने गया था, लेकिन वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टे, आरोपी पक्ष ने उसे और दबाव में लाने की कोशिश की। अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही मामला आगे बढ़ा। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता इस घटना को पुलिस सुधार की मांग के रूप में देख रहे हैं। वे कहते हैं कि ऐसे मामलों में त्वरित निलंबन और कड़ी सजा जरूरी है ताकि भविष्य में दोहराव न हो।
आगे की कार्रवाई: जांच और संभावित परिणाम पुलिस मुख्यालय ने मामले को गंभीरता से लिया है। आरोपी थानेदार सुरेंद्र कुमार प्रजापत को तत्काल पद से हटा दिया गया है, जबकि अन्य पुलिसकर्मियों की जांच चल रही है। जांच टीम को निर्देश दिए गए हैं कि 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपे। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो आरोपी न केवल नौकरी से हाथ धो बैठेंगे, बल्कि लंबी सजा भी भुगत सकते हैं।