आदिवासियों के नाम पर फर्जी खाते, 1800 करोड़ की साइबर ठगी!: सरकारी योजनाओं का लालच देकर खोले खाते, ठगों को बेचे

राजस्थान के आदिवासी जिलों में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी खातों के जरिए 1800 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा, सांसद राजकुमार रोत ने डीजीपी से उच्च स्तरीय जांच की मांग की।

Jul 7, 2025 - 17:53
आदिवासियों के नाम पर फर्जी खाते, 1800 करोड़ की साइबर ठगी!: सरकारी योजनाओं का लालच देकर खोले खाते, ठगों को बेचे

राजस्थान के आदिवासी जिलों, खासकर डूंगरपुर और बांसवाड़ा में एक बड़े साइबर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जिसमें भोले-भाले लोगों को सरकारी योजनाओं का लालच देकर ठगा गया। इस घोटाले में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से सैकड़ों लोगों के नाम पर बिना उनकी जानकारी के फर्जी बैंक खाते खोले गए और इनका इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए किया गया। बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने इस मामले को उजागर करते हुए डीजीपी और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर 1800 करोड़ रुपये की ठगी का दावा किया है, जो डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर और दक्षिण राजस्थान के अन्य इलाकों में फैला हुआ है।

घोटाले का तरीका

  • झांसा और दस्तावेज संग्रह: इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे बैंकों के कुछ कर्मचारियों ने कॉलेज छात्रों और गरीब आदिवासी परिवारों को निशाना बनाया। उन्हें मुफ्त पैन कार्ड, छात्रवृत्ति, शिक्षा ऋण और सरकारी योजनाओं का लाभ देने का लालच दिया गया। इसके लिए आधार कार्ड, फोटो और हस्ताक्षर लिए गए।
  • फर्जी खाते और अवैध लेन-देन: इन दस्तावेजों का इस्तेमाल बिना खाताधारकों की जानकारी के बैंक खाते खोलने में किया गया। इन खातों की डायरी, एटीएम और चेकबुक आरोपियों ने अपने पास रखीं। ये खाते साइबर ठगों को बेचे गए, जो इनका इस्तेमाल अवैध लेन-देन के लिए करते थे।
  • खुलासा: डूंगरपुर में लालशंकर रोत के खाते से 82 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन का पता चलने पर मामला सामने आया। लालशंकर को नवंबर 2024 में विक्रम मालीवाड़ और उसके साथियों ने पैन कार्ड के लिए खाता खुलवाने का झांसा दिया था। बैंक स्टेटमेंट में ठगी का खुलासा होने पर खाता फ्रीज हुआ।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी

  • डूंगरपुर साइबर थाना पुलिस ने लालशंकर की शिकायत पर विक्रम मालीवाड़ और महावीर सिंह को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि उन्होंने 25-30 लोगों के खाते खुलवाकर साइबर ठगों को बेचे, जिनमें से एक खाते में 82 लाख रुपये की ठगी हुई।
  • आरोपियों ने बताया कि वे भोले-भाले लोगों को मुफ्त पैन कार्ड और सरकारी योजनाओं का लालच देकर खाते खुलवाते थे और मोटा कमीशन लेकर इन्हें ठगों को बेचते थे।
  • साइबर थाना प्रभारी गिरधारीलाल ने पुष्टि की कि ऐसे खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए किया जाता था, और खाताधारकों को इसकी कोई जानकारी नहीं होती थी।

सांसद राजकुमार रोत का दावा

  • सांसद रोत ने डीजीपी को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की, जिसमें दावा किया कि करीब 500 गरीब आदिवासी छात्रों और उनके परिवारों के नाम पर फर्जी खाते खोले गए, जिनके जरिए 1800 करोड़ रुपये की ठगी हुई।
  • उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस असली अपराधियों को पकड़ने के बजाय पीड़ितों को परेशान कर रही है।
  • रोत ने कहा कि यह घोटाला डूंगरपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सलूंबर और उदयपुर में भी फैला है।

बैंक कर्मचारियों की भूमिका

  • सांसद ने इंडसइंड, एचडीएफसी, एक्सिस, बैंक ऑफ महाराष्ट्र सहित कई बैंकों के कर्मचारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया।
  • बैंक कर्मियों ने कॉलेजों में शिविर लगाकर और निजी तौर पर छात्रों से संपर्क कर खाते खुलवाए। जब छात्रों ने एटीएम कार्ड मांगे, तो तकनीकी कारणों का हवाला देकर टालमटोल की गई।
  • खातों से अवैध लेन-देन का पता चलने पर बैंकों ने कर्मचारियों को हटाने की बात कही, लेकिन पीड़ितों को न्याय नहीं मिला।

पीड़ितों की स्थिति

  • ज्यादातर पीड़ित गरीब आदिवासी परिवारों और कॉलेज छात्रों से हैं, जिन्हें अपने खातों की जानकारी नहीं थी।
  • जब खाते फ्रीज हुए, तो पीड़ितों को ठगी का पता चला, लेकिन पुलिस कार्रवाई में पीड़ितों को ही परेशान किया जा रहा है।
  • सांसद रोत ने इसे गरीब आदिवासियों के साथ अन्याय बताया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
Yashaswani Journalist at The Khatak .