पर्यावरण संरक्षण: अपने आप को पूछिए हम क्या कर रहे हैं प्रकृति के साथ 

विश्व पर्यावरण दिवस पर राजस्थान में पर्यावरण संरक्षण के दावों और जमीनी हकीकत की पड़ताल। औद्योगिकीकरण, अवैध खनन, और प्रदूषण से पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर चिंता, साथ ही दिखावे के बजाय सच्चे प्रयासों की जरूरत पर जोर। लेख व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी, योजनाओं की जवाबदेही, और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता की अपील करता है।

Jun 5, 2025 - 10:20
पर्यावरण संरक्षण: अपने आप को पूछिए हम क्या कर रहे हैं प्रकृति के साथ 

आज 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस। हर साल इस दिन हम पर्यावरण संरक्षण की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, पौधे लगाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, और सोशल मीडिया पर अपनी "जिम्मेदारी" का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सब केवल दिखावा है, या हम वाकई में धरती को बचाने के लिए कुछ कर रहे हैं? राजस्थान जैसे राज्य में, जहां सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन (NGO) पर्यावरण संरक्षण के लिए अभियान चला रहे हैं, क्या जमीनी स्तर पर कोई बदलाव आ रहा है? या यह सब केवल कागजी आंकड़ों और टेंडरों की बाजीगरी बनकर रह गया है?

औद्योगिकीकरण के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। अवैध खनन ने नदियों और नालों के रास्ते विलुप्त कर दिए हैं। शहरों में फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं हवा को दमघोंटू बना रहा है। सोलर प्रोजेक्ट्स और अन्य विकास योजनाओं के नाम पर हरियाली उजाड़ी जा रही है, और बदले में कागजों पर लाखों पेड़ लगाए जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये पेड़ वास्तव में धरती पर जड़ें जमा रहे हैं? क्या कोई उनकी देखभाल करता है? या वे केवल आंकड़ों में जिंदा हैं?

जीव-जंतुओं की प्रजातियां तेजी से लुप्त हो रही हैं। पक्षियों की चहचहाहट गायब हो रही है, और जंगलों की हरियाली सिमट रही है। हम एक पौधा लगाते हैं, दस फोटो खींचते हैं, और सोचते हैं कि हमने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। लेकिन उस पौधे का क्या, जो पानी और देखभाल के अभाव में सूख जाता है? क्या हमने कभी उसकी सुध ली?

सरकार और कई संस्थाएं पर्यावरण संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करती हैं। कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत फंड आवंटित होते हैं, टेंडर निकलते हैं, और बड़े-बड़े अभियान चलाए जाते हैं। लेकिन कितनी बार इन योजनाओं का फीडबैक लिया जाता है? कितनी बार यह देखा जाता है कि लगाए गए पौधे जीवित हैं या नहीं? कितनी बार अवैध खनन और प्रदूषण पर सख्ती से कार्रवाई की जाती है? सच तो यह है कि कई बार ये अभियान पर्यावरण के लिए कम, बल्कि कुछ लोगों के बैंक खातों के संरक्षण के लिए ज्यादा होते हैं।

हां, कुछ लोग हैं जिनका जज्बा और जिम्मेदारी जीवित है। कुछ पर्यावरण प्रेमी, कुछ सामाजिक कार्यकर्ता, और कुछ आम नागरिक जो दिल से धरती को बचाना चाहते हैं। लेकिन उनकी आवाज दबा दी जाती है। उनकी योजनाओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। सवाल यह है कि हम कब तक उनकी अनदेखी करते रहेंगे?

पर्यावरण का नुकसान प्रकृति का नहीं, हमारा और हमारी आने वाली पीढ़ियों का है। जब हवा जहरीली होगी, पानी सूख जाएगा, और पेड़ों की छांव गायब हो जाएगी, तब हमारी फोटो खींचने की आदत और कागजी आंकड़े हमें नहीं बचा पाएंगे। यह समय केवल ज्ञान देने या पढ़कर भूल जाने का नहीं है। यह समय है आत्ममंथन का, यह समय है जिम्मेदारी लेने का।

क्या करें हम?
- जिम्मेदारी लें, दिखावा नहीं: एक पौधा लगाएं, लेकिन उसकी देखभाल भी करें। उसे पेड़ बनते देखें।
- स्थानीय स्तर पर सक्रिय हों: अपने आसपास के पर्यावरण को बचाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं। कचरा प्रबंधन, जल संरक्षण, और प्रदूषण रोकने में योगदान दें।
- आवाज उठाएं: अवैध खनन, प्रदूषण, और पेड़ों की कटाई के खिलाफ स्थानीय प्रशासन और सरकार से सवाल करें।
- जागरूकता फैलाएं: अपने बच्चों को प्रकृति से जोड़ें। उन्हें पेड़ों, पक्षियों, और नदियों की अहमियत बताएं।
- सामूहिक प्रयास: पर्यावरण संरक्षण के लिए सामुदायिक स्तर पर काम करें। स्थानीय NGO और समूहों के साथ जुड़ें।

पर्यावरण दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं है। यह एक जिम्मेदारी है, एक संकल्प है कि हम अपनी धरती को, अपनी प्रकृति को, अपने बच्चों के भविष्य को बचाएंगे। यह समय है दिखावे को छोड़कर सच्चाई को अपनाने का। हमारी धरती मां की पुकार सुनें, क्योंकि अगर आज हमने उसकी नहीं सुनी, तो कल वह हमारी पुकार को अनसुना कर देगी। आइए, इस पर्यावरण दिवस पर एक सच्चा संकल्प लें—न केवल पौधा लगाने का, बल्कि उसे पेड़ बनने तक संरक्षित करने का, और अपनी धरती को जीवित रखने का।

क्या आप तैयार हैं इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए? क्योंकि प्रकृति के साथ छलावा नहीं, उसका संरक्षण ही हमारा असली कर्तव्य है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ