पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर ईडी का कड़ा रुख, जेजेएम घोटाले में जांच तेज
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के सबूतों का हवाला देकर जमानत का विरोध किया, गुरुवार को होगी अगली सुनवाई

जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर मंगलवार को ईडी की विशेष अदालत में सुनवाई हुई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जोशी की जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के पर्याप्त सबूत हैं। ईडी के वकील अजातशत्रु ने तर्क दिया कि जोशी को जमानत देने से मामले की जांच पर विपरीत असर पड़ सकता है।
इससे पहले 27 मई को जोशी के वकील विवेक राज बाजवा ने दलील दी थी कि एसीबी की प्राथमिकी में जोशी का नाम तक नहीं था। उन्होंने बताया कि जुलाई 2023 में जोशी के बेटे की कंपनी में लोन के रूप में हुए लेन-देन को ईडी ने आधार बनाया, जो कुछ महीनों बाद लौटा दिया गया था। इसके बावजूद, ईडी ने एक साल बाद मार्च 2024 में समन जारी किया और अब राजनीतिक द्वेष के चलते जोशी को फंसाने का आरोप लगाया जा रहा है। जोशी को 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। अब गुरुवार को जोशी के वकील ईडी की दलीलों का जवाब देंगे।
जेजेएम घोटाले का पर्दाफाश
जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की 'हर घर नल' योजना से जुड़ा है। श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के जरिए जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपये के टेंडर हासिल किए थे। श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने 68 निविदाओं में हिस्सा लेकर 31 टेंडर में 859.2 करोड़ रुपये के ठेके हासिल किए, जबकि श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में हिस्सा लेकर 73 टेंडर में 120.25 करोड़ रुपये के ठेके प्राप्त किए।
घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की और कई भ्रष्ट अधिकारियों को गिरफ्तार किया। ईडी ने भी इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की। सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया, और ईडी ने 4 मई को अपनी जांच के सबूत एसीबी को सौंप दिए। अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है।
जेजेएम घोटाले की गूंज राजस्थान की सियासत में तेजी से फैल रही है, और इस मामले में आगे की सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।