दिल्ली पुलिस की सब-इंस्पेक्टर नीतू बिष्ट 20 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार!"
दिल्ली के पश्चिम विहार में सब-इंस्पेक्टर नीतू बिष्ट को 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए विजिलेंस टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया। नीतू और तीन अन्य पुलिसकर्मियों ने एक शैक्षिक कंसल्टेंसी संचालक से धमकी देकर रिश्वत वसूली। विजिलेंस ने शिकायत पर जाल बिछाकर कार्रवाई की। जांच जारी है, और अन्य संलिप्त अधिकारियों की तलाश की जा रही है।

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के पश्चिम विहार थाना क्षेत्र में दिल्ली पुलिस की एक महिला सब-इंस्पेक्टर नीतू बिष्ट को 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक (विजिलेंस) टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इस सनसनीखेज मामले ने दिल्ली पुलिस की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नीतू बिष्ट पर आरोप है कि उन्होंने एक मामले में पक्षपात रहित कार्रवाई के बदले भारी-भरकम रकम की मांग की थी। इस मामले में उनके साथ तीन अन्य पुलिसकर्मियों और एक बिचौलिए को भी हिरासत में लिया गया है। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी और कैसे विजिलेंस विभाग ने इस घूसखोरी के जाल को तोड़ा।
यह घटना 25 जुलाई 2025 की है, जब दिल्ली में एक शैक्षिक कंसल्टेंसी कंपनी चलाने वाले डॉ. नीरज कुमार सिंह ने पश्चिम विहार ईस्ट थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर नीतू बिष्ट और उनके सहयोगियों के खिलाफ विजिलेंस विभाग में शिकायत दर्ज की। डॉ. नीरज ने आरोप लगाया कि नीतू बिष्ट और उनके साथी पुलिसकर्मियों ने उनसे अवैध रूप से 20.5 लाख रुपये की वसूली की। शिकायत के अनुसार, नीतू बिष्ट ने एक आपराधिक मामले में डॉ. नीरज को फंसाने की धमकी देकर उनसे रिश्वत की मांग की थी।शिकायत में बताया गया कि 25 जुलाई की सुबह करीब 10 बजे, तीन लोग डॉ. नीरज के कार्यालय में घुसे। इनमें से एक पुलिसकर्मी, विशाल चिल्लर, वर्दी में था, जबकि दो अन्य सादे कपड़ों में थे। इनमें से एक की पहचान रोहिणी सेक्टर-3 के निवासी अजय कश्यप के रूप में हुई, जो इस साजिश में बिचौलिया था। इन लोगों ने ऑफिस में घुसते ही जबरदस्ती सीसीटीवी कैमरे बंद करवाए और डीवीआर की तारें निकाल दीं। इसके बाद, उन्होंने डॉ. नीरज पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया और 50 लाख रुपये की मांग की।
कैसे हुई रिश्वत की वसूली?
आरोपियों ने डॉ. नीरज को धमकाया और उन्हें पीरागढ़ी के एक पुलिस बूथ में ले गए, जहां उनकी पिटाई की गई। दबाव में, डॉ. नीरज को 10 लाख रुपये बैंक ट्रांसफर करने पड़े और 6.5 लाख रुपये चेक के जरिए नकद निकालकर दिए गए। इसके अलावा, उनके एक जानकार रियाज़ ने 4 लाख रुपये अजय कश्यप को सौंपे। कुल मिलाकर 20.5 लाख रुपये की वसूली की गई। शेष रकम बाद में देने का वादा कर डॉ. नीरज को छोड़ा गया।डॉ. नीरज ने इस घटना की शिकायत विजिलेंस विभाग से की, जिसके बाद विभाग ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। विजिलेंस टीम ने एक जाल बिछाया और नीतू बिष्ट को 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। इस ऑपरेशन में नीतू के साथ दो कांस्टेबल (विशाल चिल्लर और प्रमोद कुमार), एक हेड कांस्टेबल (अजीत कुमार), और बिचौलिया अजय कश्यप को भी गिरफ्तार किया गया।
साजिश का मास्टरमाइंड कौन?
जांच में सामने आया कि इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड नीतू बिष्ट थीं, जो उस समय छुट्टी पर थीं। फिर भी, उन्होंने इस घटनाक्रम पर पर्दे के पीछे से नजर रखी और अन्य आरोपियों को निर्देश दिए। अजय कश्यप ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसने 10.5 लाख रुपये नीतू बिष्ट को सौंपे थे। सूत्रों के अनुसार, नीतू के खिलाफ पहले भी अनियमितताओं की शिकायतें मिल चुकी हैं, जिनकी अब गंभीरता से जांच की जा रही है।सोशल मीडिया पर सक्रिय थीं नीतूरोचक बात यह है कि नीतू बिष्ट सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम पर काफी सक्रिय थीं। उनकी यह ऑनलाइन मौजूदगी भी अब जांच के दायरे में है, क्योंकि यह सवाल उठ रहा है कि क्या उन्होंने अपनी छवि को चमकाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया।
विजिलेंस की कार्रवाई और आगे की जांच
विजिलेंस विभाग ने इस मामले में तत्काल प्रभाव से FIR (नंबर 0236) दर्ज की और जांच शुरू कर दी। सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और उन्हें निलंबित कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, और जांच पूरी होने के बाद विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ आपराधिक अभियोजन की संभावना है। विजिलेंस टीम यह भी जांच कर रही है कि इस भ्रष्टाचार में थाने के अन्य अधिकारी, जैसे कि SHO राधेश्याम, शामिल थे या नहीं, क्योंकि अजय कश्यप थाने में अक्सर देखा जाता था।
यह घटना दिल्ली पुलिस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब पुलिसकर्मी रिश्वतखोरी के मामले में पकड़े गए हैं। नीतू बिष्ट, जो 2014 बैच की अधिकारी हैं, और उनके सहयोगियों की इस हरकत ने वर्दी की गरिमा को दागदार किया है। प्रशासन ने साफ किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें सेवा से बर्खास्तगी भी शामिल हो सकती है।
यह मामला न केवल दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ अधिकारी अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर नागरिकों को डराने और उनसे उगाही करने का प्रयास करते हैं। विजिलेंस विभाग की त्वरित कार्रवाई ने इस साजिश को उजागर किया, लेकिन यह सवाल अभी भी बरकरार है कि क्या इस तरह के और मामले सामने आएंगे। फिलहाल, नीतू बिष्ट और उनके सहयोगियों से पूछताछ जारी है, और जांच के नतीजे इस मामले में और बड़े खुलासे कर सकते हैं।