बुलेट ट्रेन कॉरिडोर: पहला रूट प्रगति पर, नए शहरों को जोड़ते हुए राजधानी तक विस्तार की योजना
जोधपुर को अहमदाबाद-दिल्ली बुलेट ट्रेन कॉरिडोर से बाहर रखा गया है, जो रेलवे से जुड़ा दूसरा बड़ा झटका है। इस कॉरिडोर से उदयपुर, अजमेर, जयपुर जुड़ेंगे, लेकिन जोधपुर के शामिल न होने से कनेक्टिविटी और विकास की संभावनाएं प्रभावित होंगी।

जोधपुर, जो पहले ही शताब्दी और राजधानी जैसी तेज रफ्तार ट्रेनों की सुविधा से वंचित है, अब बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से भी बाहर हो गया है। पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से चूकने के बाद यह रेलवे से जुड़ा जोधपुर के लिए दूसरा बड़ा झटका है। अहमदाबाद से उदयपुर, अजमेर, जयपुर होते हुए दिल्ली तक प्रस्तावित बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के प्रारंभिक सर्वे और डीपीआर की अंतिम रिपोर्ट में जोधपुर का नाम शामिल नहीं है।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की प्रगति
देश में अभी मुंबई-अहमदाबाद के बीच 508 किमी लंबे बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का निर्माण तेजी से चल रहा है। इसमें से 300 किमी ट्रैक बनकर तैयार हो चुका है और केवल पटरियां बिछाने का काम शेष है। इस ट्रैक को अहमदाबाद से उदयपुर, अजमेर, जयपुर के रास्ते दिल्ली तक विस्तार देने की योजना है। यह 886 किमी लंबा कॉरिडोर होगा, जहां बुलेट ट्रेन 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। इस कॉरिडोर से राजस्थान के उदयपुर, अजमेर और जयपुर तो जुड़ेंगे, लेकिन जोधपुर को इससे जोड़ा नहीं जाएगा।
सांसदों के बयान
राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत ने दावा किया कि जोधपुर को भी बुलेट ट्रेन कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में रेल मंत्री से पुष्कर-मेड़ता नई रेल लाइन को लेकर बातचीत में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी और जोधपुर को शामिल करने की बात प्रमुखता से चल रही है। दूसरी ओर, पाली सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि उन्हें अहमदाबाद-दिल्ली बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रोजेक्ट महंगे होते हैं और सभी संभावनाओं को ध्यान में रखकर फैसले लिए जाते हैं।
जोधपुर के लिए बुलेट ट्रेन का महत्व
यदि जोधपुर इस कॉरिडोर का हिस्सा होता, तो यह देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और राजधानी दिल्ली से सीधे जुड़ जाता। इससे जोधपुर से मुंबई और दिल्ली का सफर, जो अभी 11 से 16 घंटे लेता है, मात्र 3 से 5 घंटे में पूरा हो पाता। साथ ही, जोधपुर के एम्स की कनेक्टिविटी बेहतर होने से गंभीर मरीजों को उन्नत उपचार मिल पाता, क्योंकि वर्तमान में त्वरित कनेक्टिविटी के अभाव में उच्च स्तरीय चिकित्सा विशेषज्ञ यहां नहीं आ पा रहे हैं। इसके अलावा, राजस्थान हाईकोर्ट, आईआईटी, एनएलयू जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों को भी गति मिलती।