आयुष्मान भारत योजना: महिला विरोधी विवाद का सच या सियासी खेल?

आयुष्मान भारत योजना (PM-JAY) पर हाल ही में विवाद खड़ा हुआ है, जिसमें दावा किया गया कि महिलाओं को निजी अंगों (प्राइवेट पार्ट्स) से संबंधित इलाज के लिए क्लेम हेतु तस्वीरें अपलोड करने की आवश्यकता है। इस खबर ने इसे "महिला विरोधी" करार देते हुए निजता और सम्मान पर सवाल उठाए। भारी आक्रोश के बावजूद, कुछ दावों ने इसे गलत जानकारी करार दिया, जिसमें कहा गया कि केवल आधार और मेडिकल दस्तावेज ही जरूरी हैं। सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह विवाद योजना की विश्वसनीयता और महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित कर सकता है।

May 16, 2025 - 11:16
आयुष्मान भारत योजना: महिला विरोधी विवाद का सच या सियासी खेल?

आयुष्मान भारत योजना, जिसे भारत सरकार ने गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए 2018 में शुरू किया था, अब एक विवादास्पद मुद्दे के कारण सुर्खियों में है। हाल के कुछ दावों के अनुसार, इस योजना के तहत इलाज के लिए दावा (क्लेम) करने की प्रक्रिया में महिलाओं से उनके निजी अंगों (प्राइवेट पार्ट्स) की तस्वीरें मांगने का आरोप लगाया गया है। इस खबर ने न केवल महिलाओं के बीच आक्रोश पैदा किया है, बल्कि इसे "महिला विरोधी" करार देते हुए योजना की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। 

आयुष्मान भारत योजना: एक नजर

आयुष्मान भारत योजना, जिसे औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के नाम से जाना जाता है, दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य 50 करोड़ से अधिक लोगों, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों, को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त अस्पताल उपचार प्रदान करना है। यह योजना 1,961 चिकित्सा प्रक्रियाओं को कवर करती है, जिसमें दवाएं, डायग्नोस्टिक सेवाएं, अस्पताल में भर्ती, सर्जरी और आईसीयू देखभाल शामिल हैं। हाल ही में, दिल्ली में इस योजना को लागू किया गया, जहां प्रति परिवार 10 लाख रुपये तक की कवरेज (5 लाख केंद्र सरकार और 5 लाख दिल्ली सरकार से) की घोषणा की गई है।

इसके अलावा, आयुष्मान वय वंदना योजना के तहत 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को 5 लाख रुपये की अतिरिक्त स्वास्थ्य कवरेज दी जा रही है, जिसे दिल्ली और ओडिशा जैसे राज्यों में लागू किया गया है।

हाल ही में, सोशल मीडिया और कुछ समाचार रिपोर्टों में दावा किया गया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत महिलाओं को अपने निजी अंगों से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए दावा करने हेतु प्राइवेट पार्ट्स की तस्वीरें अपलोड करने की आवश्यकता होती है।  @INCIndia ने 13 फरवरी 2025 को एक पोस्ट में आरोप लगाया कि यह योजना "महिलाओं का अपमान" कर रही है और उनकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही है।  अगर कोई महिला अपने प्राइवेट पार्ट्स से संबंधित इलाज करवाना चाहती है, तो उसे शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है।

हालांकि, इस दावे की सत्यता पर सवाल उठे हैं।  जो एक तमिलनाडु सरकारी डॉक्टर होने का दावा करते हैं, ने 3 मई 2025 को  इसे "झूठा दावा" करार दिया। उन्होंने कहा कि PM-JAY के तहत सर्जरी के लिए केवल आधार कार्ड या अन्य सरकारी पहचान पत्र की आवश्यकता होती है ताकि धोखाधड़ी से बचा जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिलाओं के संवेदनशील अंगों की तस्वीरें रिकॉर्ड करने या अपलोड करने की कोई अनिवार्यता नहीं है।

इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना की आधिकारिक वेबसाइट और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के दिशानिर्देशों में भी ऐसी किसी शर्त का उल्लेख नहीं है। क्लेम प्रक्रिया में आमतौर पर आधार-आधारित ई-केवाईसी, मेडिकल दस्तावेज, और अस्पताल द्वारा सत्यापित जानकारी की आवश्यकता होती है।

यह विवाद संभवतः कुछ स्थानीय स्तर पर गलत प्रक्रियाओं, गलतफहमियों, या गलत जानकारी के प्रसार के कारण उत्पन्न हुआ हो। कुछ संभावित कारण हो सकते हैं:

  1. गलत व्याख्या: कुछ अस्पतालों या कर्मचारियों द्वारा मेडिकल दस्तावेजों के लिए अनुचित मांग की गई हो, जिसे सामान्य नियम समझ लिया गया।
  2. राजनीतिक विवाद: विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को सरकार के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, जैसा कि INC की पोस्ट से स्पष्ट है।

 महिलाओं के बीच डर और असुरक्षा की भावना पैदा की है। खासकर ग्रामीण और रूढ़िवादी क्षेत्रों में, जहां निजता और सम्मान को लेकर संवेदनशीलता अधिक है, ऐसी अफवाहें महिलाओं को इस योजना का लाभ लेने से रोक सकती हैं। यह न केवल योजना की विश्वसनीयता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि उन लाखों महिलाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिन्हें मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त जरूरत है।

अभी तक, केंद्र सरकार या राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, दिल्ली में योजना के कार्यान्वयन के दौरान, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसे "क्रांतिकारी कदम" करार दिया था, जिससे दिल्ली के 36 लाख निवासियों को लाभ मिलेगा।

इस विवाद को सुलझाने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. आधिकारिक स्पष्टीकरण: सरकार को तुरंत एक बयान जारी कर यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसी कोई शर्त नहीं है और गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
  2. जागरूकता अभियान: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को योजना की प्रक्रिया और लाभों के बारे में सही जानकारी दी जाए।
  3. निजता की सुरक्षा: क्लेम प्रक्रिया में डेटा और निजता की सुरक्षा के लिए और सख्त दिशानिर्देश लागू किए जाएं।
  4. स्थानीय स्तर पर निगरानी: अस्पतालों और कर्मचारियों की प्रक्रियाओं पर नजर रखी जाए ताकि ऐसी गलतियां दोबारा न हों।

आयुष्मान भारत योजना, जो लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हुई है, अब एक गंभीर विवाद के कारण "महिला विरोधी" होने का आरोप झेल रही है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों के दावों के अनुसार, प्राइवेट पार्ट्स की तस्वीरों की मांग एक गलतफहमी या स्थानीय स्तर की गलती हो सकती है। फिर भी, इस मुद्दे ने महिलाओं की निजता और सम्मान के प्रति समाज की संवेदनशीलता को उजागर किया है। सरकार को इस मामले में त्वरित कार्रवाई कर जनता का भरोसा बहाल करना होगा, ताकि यह योजना अपने मूल उद्देश्य—सभी के लिए स्वास्थ्य—को पूरा कर सके।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ