अजमेर में दहशत: दरगाह शरीफ और कलेक्ट्रेट को बम से उड़ाने की धमकी, पुलिस अलर्ट पर, सर्च ऑपरेशन जारी
अजमेर की प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह और जिला कलेक्ट्रेट को बम से उड़ाने की ईमेल धमकी मिलने से हड़कंप, पूरा परिसर खाली करवाया गया, चार थानों की पुलिस के साथ बॉम्ब स्क्वॉड और डॉग स्क्वॉड तैनात, सर्च ऑपरेशन जारी।
अजमेर, 4 दिसंबर 2025: राजस्थान के अजमेर शहर में गुरुवार दोपहर एक अज्ञात ईमेल से मिली बम धमकी ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह शरीफ और जिला कलेक्ट्रेट को निशाना बनाकर दी गई इस धमकी के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस महकमा पूरी तरह से सतर्क हो गया है। सूचना मिलते ही दरगाह परिसर को तुरंत खाली करवा दिया गया, जबकि कलेक्ट्रेट में व्यापक सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। चार थानों की फोर्स तैनात कर दी गई है, और इंटेलिजेंस एजेंसियां भी घटना की गहन जांच में जुड़ गई हैं।
धमकी की जानकारी कैसे मिली? दोपहर करीब 2 बजे जिला कलेक्ट्रेट के आधिकारिक ईमेल पर एक संदिग्ध मेल प्राप्त हुआ। इस ईमेल में साफ-साफ लिखा था कि "अजमेर दरगाह और कलेक्ट्रेट को बम से उड़ा दिया जाएगा।" धमकी देने वाले ने अपना नाम या कोई अन्य पहचान नहीं बताई, लेकिन भाषा हिंदी में थी और टोन बेहद आक्रामक। ईमेल की प्राप्ति की पुष्टि कलेक्ट्रेट के आईटी सेल ने की, जिसके बाद तुरंत एसएसपी (सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस) कार्यालय को सूचित किया गया।एसपी अजमेर, ने बताया, "हमें दोपहर में एक ईमेल के जरिए धमकी मिली। हमने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। दरगाह परिसर को सुरक्षित रूप से खाली करवा लिया गया है, और वहां सर्च ऑपरेशन चल रहा है। कलेक्ट्रेट में भी डॉग स्क्वाड और बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड की टीम मौजूद है।" उन्होंने आगे कहा कि धमकी को गंभीरता से लिया जा रहा है, और कोई भी संभावित खतरा होने पर तुरंत काउंटर मेजर लिया जाएगा।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई ईमेल मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम से अलर्ट जारी कर दिया गया। कलेक्ट्रेट परिसर को पूरी तरह सील कर दिया गया, और वहां कार्यरत सभी अधिकारी व कर्मचारियों को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया। मेटल डिटेक्टरों से स्कैनिंग की जा रही है, जबकि विशेष प्रशिक्षित डॉग स्क्वाड बम या विस्फोटक सामग्री की तलाश में जुटी हुई है। कलेक्ट्रेट के हर कोने-कोने, जिसमें कलेक्टर का कक्ष, रिकॉर्ड रूम, मीटिंग हॉल और पार्किंग एरिया शामिल हैं, की बारीकी से जांच की जा रही है।इसी बीच, अजमेर शरीफ दरगाह परिसर में भी हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। दरगाह के मुख्य द्वारों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है, और श्रद्धालुओं को अस्थायी रूप से बाहर निकाल दिया गया। सर्च टीम ने दरगाह के आंगन, मस्जिद क्षेत्र और आसपास के भवनों की जांच शुरू कर दी है। चार थानों—सदर, गुजरातगेट, रामगढ़ और केकड़ी—की पुलिस टीमें पूरे इलाके में गश्त बढ़ा रही हैं। ट्रैफिक पुलिस ने भी मुख्य सड़कों पर वाहनों की चेकिंग तेज कर दी है।
सुरक्षा व्यवस्था में इजाफा घटना के बाद अजमेर शहर की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और राज्य की एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) की टीमें भी मौके पर पहुंच चुकी हैं। सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की जा रही है, और ईमेल के आईपी एड्रेस व स्रोत की ट्रेसिंग के लिए साइबर सेल सक्रिय हो गया है। कलेक्टर अजमेर, नेहा गर्ब्याल ने कहा, "हमारी प्राथमिकता जनता की सुरक्षा है। सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, और स्थिति नियंत्रण में है।"दरगाह प्रशासन ने भी सहयोग का भरोसा जताया है। दीवान सैयद निजामुद्दीन औलिया ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए दरगाह कमेटी पूर्ण सहयोग कर रही है, और लंगर व अन्य सेवाएं अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई हैं।
अतीत की घटनाओं से सबक अजमेर दरगाह को पहले भी कई बार धमकियां मिल चुकी हैं। 2007 में दरगाह के बाहर हुए बम विस्फोट की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जिसमें तीन निर्दोषों की जान चली गई थी। उसके बाद से सुरक्षा व्यवस्था में कई सुधार किए गए, लेकिन ऐसी धमकियां अब भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया और ईमेल के जरिए दी जाने वाली ऐसी धमकियां अक्सर फर्जी साबित होती हैं, लेकिन इन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता।