मूंगफली की महक से महक उठी निवाई मंडी 5000 बोरी की रिकॉर्ड आवक, किसानों की उम्मीदें जगाईं.

निवाई कृषि मंडी में शुक्रवार को 5000 बोरी मूंगफली की रिकॉर्ड आवक से रौनक लौटी। शुभ मुहूर्त पर पूजा-अर्चना के साथ नीलामी शुरू हुई। किसानों की मेहनत के बावजूद बारिश से फसल की क्वालिटी कमजोर, दाना कम और तेल रिकवरी घटने की आशंका। कीमतें उम्मीद से कम (4000-5000 रुपये/क्विंटल), किसानों को 40-50% नुकसान। प्रशासन ने सुविधाएं बढ़ाईं, लेकिन आर्थिक चिंता बरकरार।

Oct 28, 2025 - 15:24
मूंगफली की महक से महक उठी निवाई मंडी 5000 बोरी की रिकॉर्ड आवक, किसानों की उम्मीदें जगाईं.

टोंक (निवाई), 28 अक्टूबर 2025: बरसात की मार झेल चुकी निवाई कृषि उपज मंडी में शुक्रवार को मूंगफली की लहर ने रौनक लौटा दी। किसानों की कड़ी मेहनत और मौसम की आखिरकार मेहरबानी से करीब 5000 बोरी मूंगफली की जबरदस्त आवक दर्ज की गई। सुबह होते ही मंडी परिसर में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लंबी कतारें लग गईं, खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी और पूरे इलाके में उत्सव का माहौल छा गया। यह आवक न केवल मंडी को जीवंत बनाने वाली है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति देने वाली भी साबित हो रही है। हालांकि, फसल की गुणवत्ता में कमी के कारण किसानों की जेबें पूरी तरह न भर सकें, फिर भी यह मौसम की पहली बड़ी फसल ने उम्मीद की किरण जगा दी है।

शुभ मुहूर्त पर पूजा-अर्चना के साथ नीलामी का धमाकेदार आगाज

मंडी में खरीफ सीजन की शुरुआत हमेशा की तरह शुभ मुहूर्त पर हुई। भगवान लक्ष्मीनारायण मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ नीलामी प्रक्रिया का शुभारंभ किया गया। व्यापार मंडल संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश चंवरिया ने नारियल फोड़कर पहली बोली लगाई, जिसके साथ ही मंडी में जयकारों की गूंज सुनाई दी। पूरा परिसर उत्साह से भर उठा, मानो दीवाली का त्योहार फिर लौट आया हो। स्थानीय व्यापारियों ने इसे न केवल परंपरा का हिस्सा बताया, बल्कि व्यापारिक आस्था का प्रतीक भी करार दिया। हर साल की तरह इस बार भी यह रस्म किसानों और व्यापारियों के बीच विश्वास का पुल बन गई।

आवक ने मंडी को गुलजार किया, लेकिन गुणवत्ता की चिंता बरकरार

किसानों की मेहनत रंग लाई और बरसात के बाद पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में मूंगफली मंडी पहुंची। सुबह 8 बजे से ही ट्रैक्टरों पर लदी बोरी सड़कों पर सवार हो गईं, जिससे मुख्य द्वार पर कई बार जाम जैसी स्थिति बन गई। मंडी कर्मचारियों ने वाहनों को व्यवस्थित करने के लिए अतिरिक्त मेहनत की। व्यापारी पवन पारीक, दीपक गुप्ता, सुनील अग्रवाल, राजेश नाटाणी और रोहित टोडवाल जैसे प्रमुख नामों ने खुली बोली में हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि इस सीजन में मूंगफली की कुल आवक 40-50 हजार बोरी प्रतिदिन तक पहुंच सकती है, जैसा कि पिछले वर्षों में देखा गया था। लेकिन खुशी के बीच एक कड़वी सच्चाई भी उजागर हुई। व्यापारियों के मुताबिक, इस बार फसल में दाना कम और क्वालिटी औसत से नीचे रही। बरसात की वजह से मिट्टी में नमी और जलभराव ने फसल को नुकसान पहुंचाया, जिससे तेल की रिकवरी (तेल निकालने की क्षमता) में 10-15 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है। तेल मिल मालिकों ने गुणवत्ता जांच के बाद ही खरीदारी की, लेकिन मात्रा में कोई कमी नहीं रखी। पिछले वर्ष की तुलना में उपज में 20-25 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

कीमतों ने मायूसी बढ़ाई, 40-50% नुकसान का सामना कर रहे किसान

मंडी में मूंगफली का औसत भाव 4000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो किसानों की उम्मीदों से 1000-1500 रुपये कम था। वर्तमान बाजार दरों के अनुसार, निवाई में मूंगफली का न्यूनतम भाव 4000 रुपये और अधिकतम भी यही रहा, जबकि अप्रैल 2025 में यह 4000 रुपये तक पहुंचा था। जनवरी 2025 में यह 4671 रुपये तक गया था, लेकिन बरसात की मार ने इस बार सब कुछ बदल दिया। एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमने पूरे मानसून में फसल की देखभाल की, लेकिन बारिश ने सब बर्बाद कर दिया। हर बोरी पर 40 से 50 प्रतिशत का नुकसान हो गया।" कई किसान फसल बेचने के बाद भी चिंतित नजर आए, क्योंकि यह नुकसान उनकी आर्थिक स्थिति पर सीधा असर डाल रहा है। प्रदेश की श्रेष्ठ मानी जाने वाली मूंगफली फसल इस बार प्रभावित हुई, जिससे छोटे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गईं।

प्रशासन की मुस्तैदी से सुचारू व्यवस्था, किसानों की सुविधा पर जोर

मूंगफली की बढ़ती आवक को भांपते हुए स्थानीय प्रशासन ने पहले से ही तैयारी कर ली थी। मंडी परिसर में सफाई व्यवस्था को मजबूत किया गया, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए और किसानों की सुविधा के लिए अलग-अलग शेड तैयार करवाए गए। बारिश या तेज धूप से परेशानी न हो, इसके लिए छायादार स्थल बनाए गए। मंडी सचिव ने बताया कि e-NAM प्लेटफॉर्म के जरिए किसान अब देशभर के खरीदारों से सीधे जुड़ सकते हैं, जिससे भावों में पारदर्शिता बढ़ेगी। वाहनों के जमावड़े को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की गई, जिससे जाम की स्थिति कम हुई।

आर्थिक प्रभाव: मंडी की कमर सीधी, लेकिन किसानों की चिंता बरकरार

यह आवक मंडी की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाली है। पिछले सीजनों की तरह, यदि आवक 40-50 हजार बोरी प्रतिदिन पहुंची, तो मंडी टैक्स से करोड़ों की आय हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, 2021 में 40 हजार बोरी की दैनिक आवक से एक महीने में ही 18 करोड़ का कारोबार हुआ था और 9 लाख का टैक्स जमा हुआ था। निवाई मंडी अब मूंगफली की पहचान बन चुकी है, जहां जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर और टोंक जिले से किसान आते हैं। लेकिन किसानों की आर्थिक स्थिति पर असर गहरा है। मिट्टी की नमी ने फसल को कमजोर किया, जिससे कई परिवारों का साल भर का खर्च प्रभावित हो गया। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी सहायता योजनाओं जैसे पीएम किसान और फसल बीमा से किसानों को राहत मिल सकती है।