सुवा दाई मां : मातृत्व की मिसाल बनीं मूक नायिका का उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया सम्मान ।

मातृ दिवस 2025 के अवसर पर राजस्थान के अजमेर जिले के कोटड़ी गांव की 85 वर्षीय सुवा दाई मां को उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने सम्मानित किया। 61 वर्षों में 2800 से अधिक सुरक्षित प्रसव करवाने वाली सुवा दाई मां को मातृत्व की मूक नायिका और मातृ सेवा की जीवंत प्रतिमा बताया गया। उनके निःस्वार्थ समर्पण और त्याग ने हजारों परिवारों में खुशियाँ बिखेरीं। यह कहानी मातृत्व, सेवा और सामाजिक बदलाव की प्रेरक मिसाल है

May 12, 2025 - 11:42
सुवा दाई मां : मातृत्व की मिसाल बनीं मूक नायिका का उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया सम्मान ।

सुवा दाई मां: मातृत्व की मूक नायिका, जिन्होंने रचे जीवन के हजारों अध्याय

अजमेर, 11 मई 2025: मातृ दिवस के अवसर पर राजस्थान के अजमेर जिले के रूपनगढ़ के कोटड़ी गांव में एक ऐसी शख्सियत को सम्मानित किया गया, जिनके हाथों ने न केवल जीवन को जन्म दिया, बल्कि हजारों परिवारों में खुशियों की सौगात बिखेरी। 85 वर्षीय सुवा दाई मां, जिन्हें मातृत्व की जीवंत प्रतिमा कहा जा रहा है, अपने छह दशकों के निःस्वार्थ सेवा के सफर में 2800 से अधिक बच्चों का सुरक्षित प्रसव करवाकर एक अनुपम मिसाल कायम की है। इस खास मौके पर राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने सुवा दाई मां को सम्मानित कर उनके त्याग, समर्पण और मातृ शक्ति को नमन किया।

एक मूक नायिका की प्रेरक कहानी

सुवा दाई मां की कहानी किसी परीकथा से कम नहीं है। 24 वर्ष की उम्र से उन्होंने मातृ सेवा का यह सफर शुरू किया था, जब चिकित्सा सुविधाएं गाँवों में न के बराबर थीं। उस दौर में, जब प्रसव के दौरान जोखिम अधिक होते थे, सुवा दाई मां ने अपने अनुभव, धैर्य और ममता से न केवल बच्चों को सुरक्षित जन्म दिया, बल्कि माताओं को भी जीवनदान दिया। उनके हाथों ने नन्हे-मुन्हे बच्चों की किलकारियों से असंख्य घरों को आबाद किया।

सुवा दाई मां की सेवा का दायरा केवल प्रसव तक सीमित नहीं रहा। वह हर उस माँ के लिए एक सहारा बनीं, जो गर्भावस्था के दौरान डर और अनिश्चितता से घिरी होती थी। उनकी सादगी, सहानुभूति और समर्पण ने उन्हें गाँव की हर गली में "मां" का दर्जा दिलाया। उनके इस योगदान ने उन्हें एक ऐसी नायिका बना दिया, जो बिना किसी शोर-शराबे के समाज के लिए अनमोल कार्य करती रही।

उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने किया सम्मान

मातृ दिवस के अवसर पर उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कोटड़ी गांव पहुँचकर सुवा दाई मां के घर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने सुवा दाई मां को शॉल ओढ़ाकर और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। दीया कुमारी ने सुवा दाई मां को "मातृत्व की मूक नायिका" और "त्याग, समर्पण की जीवंत मूर्ति" करार देते हुए कहा:

"सुवा दाई मां ने अपने जीवन के 61 वर्ष मातृ सेवा को समर्पित किए। 2800 से अधिक बच्चों का सुरक्षित प्रसव करवाकर उन्होंने न केवल जीवन रचे, बल्कि मातृत्व की उस शक्ति को उजागर किया, जो बिना किसी अपेक्षा के समाज को समृद्ध करती है। वह सही मायनों में मातृ शक्ति की प्रतीक हैं।"

इस अवसर पर दीया कुमारी ने सुवा दाई मां के पहले प्रसव से जन्मे व्यक्ति और उनके परिवार से भी मुलाकात की, जो इस बात का जीवंत प्रमाण है कि सुवा दाई मां का योगदान पीढ़ियों तक याद किया जाएगा।

मातृत्व की मिसाल: सुवा दाई मां का योगदान

सुवा दाई मां का जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची सेवा वही है, जो निःस्वार्थ भाव से की जाए। आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में उन्होंने अपने पारंपरिक ज्ञान और अनुभव के बल पर हजारों बच्चों को इस दुनिया में लाने का कार्य किया। उनके इस कार्य ने न केवल गाँव की महिलाओं को सशक्त किया, बल्कि समाज में मातृत्व के महत्व को भी रेखांकित किया।

उनके योगदान की कुछ खास बातें:

  • 2800 से अधिक सुरक्षित प्रसव: छह दशकों में सुवा दाई मां ने हजारों बच्चों को जन्म दिलवाया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
  • निःस्वार्थ सेवा: उन्होंने कभी भी अपनी सेवा के लिए आर्थिक लाभ को प्राथमिकता नहीं दी, बल्कि इसे अपनी जिम्मेदारी माना।
  • माताओं का सहारा: प्रसव के दौरान माताओं को मानसिक और भावनात्मक सहयोग देकर उन्होंने उनकी हिम्मत बढ़ाई।
  • सामाजिक बदलाव: उनके कार्य ने ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित प्रसव के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मातृ दिवस पर सुवा दाई मां को नमन

मातृ दिवस, जो हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, माताओं के प्रेम, त्याग और समर्पण को सम्मान देने का अवसर होता है। इस वर्ष, सुवा दाई मां जैसी मूक नायिका को सम्मानित करना इस दिन को और भी खास बनाता है। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हम सभी यह सीख सकते हैं कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने अपने संदेश में कहा, "सुवा दाई मां जैसी महिलाएँ हमारी संस्कृति और समाज की नींव हैं। हमें ऐसी शख्सियतों से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए।"

एक सकारात्मक कहानी, जो दिल को छूती है

सुवा दाई मां की कहानी मातृ दिवस 2025 की सबसे सकारात्मक और प्रेरक कहानियों में से एक है। यह हमें याद दिलाती है कि मातृत्व केवल बच्चों को जन्म देना नहीं, बल्कि जीवन को संवारना और समाज को समृद्ध करना भी है। सुवा दाई मां ने अपने कार्यों से यह साबित किया कि सच्ची मातृ शक्ति वही है, जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों के लिए जीती है।

इस मातृ दिवस पर, आइए हम सभी सुवा दाई मां को सलाम करें और उनके जैसे नायकों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें, जिन्होंने अपने हाथों से जीवन के हजारों अध्याय रचे।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ