जोधपुर:मंडोर क्षेत्र में देर रात हुए गैस सिलेंडर रिसाव से लगी भीषण आग से, बल्कि देवी का आशियाना राख, मदद की पुकार"

जोधपुर मंडोर क्षेत्र में देर रात गैस सिलेंडर रिसाव से लगी भीषण आग ने विधवा बल्कि देवी लोहार का घर जलाकर राख कर दिया। खिलौने बेचकर परिवार चलाने वाली इस महिला का आशियाना और आजीविका छिन गई। पड़ोसियों की सूझबूझ ने उनकी जान बचाई, और फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया। अब बल्कि देवी ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। यह हादसा न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि गैस सिलेंडर सुरक्षा की जरूरत को भी उजागर करता है। उनकी हिम्मत और दुख समाज से सहायता की मांग करते हैं।

Aug 6, 2025 - 15:36
Aug 6, 2025 - 15:37
जोधपुर:मंडोर क्षेत्र में देर रात हुए गैस सिलेंडर रिसाव से लगी भीषण आग से, बल्कि देवी का आशियाना राख, मदद की पुकार"

राजस्थान के जोधपुर शहर में एक दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया, जहां गैस सिलेंडर रिसाव के कारण लगी भीषण आग ने एक गरीब विधवा महिला, बल्कि देवी लोहार, के घर को पूरी तरह तबाह कर दिया। यह घटना देर रात हुई, जब आग की लपटों ने उनके मकान को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे उनका पूरा आशियाना और मेहनत से जुटाया गया सामान जलकर खाक हो गया। हालांकि, इस भयावह हादसे में किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई, लेकिन बल्कि देवी और उनके परिवार के सामने अब आजीविका और आश्रय का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।

हादसे का विवरण

घटना जोधपुर के एक घनी आबादी वाले मोहल्ले में हुई, जहां बल्कि देवी लोहार अपने परिवार के साथ रहती थीं। जानकारी के अनुसार, रात के समय गैस सिलेंडर में रिसाव होने के कारण आग भड़क उठी। देखते ही देखते आग ने पूरे घर को अपनी चपेट में ले लिया, और लकड़ी, कपड़े, और अन्य ज्वलनशील सामग्री के कारण आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि पूरा मकान कुछ ही मिनटों में जलकर राख हो गया।मोहल्ले वालों की सूझबूझ और त्वरित कार्रवाई ने इस हादसे को और भयानक होने से बचा लिया। जैसे ही आग की खबर फैली, आसपास के लोग मदद के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने तुरंत बल्कि देवी और उनके परिवार को जलते हुए घर से सुरक्षित बाहर निकाला। स्थानीय लोगों की इस साहसी कोशिश ने एक बड़ी जनहानि को टाल दिया। सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। लेकिन तब तक बल्कि देवी का घर और उनकी सारी जमा-पूंजी जलकर नष्ट हो चुकी थी।

 बल्कि देवी की दर्दनाक कहानी

बल्कि देवी लोहार एक विधवा महिला हैं, जो खिलौने बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। उनके लिए यह छोटा-सा घर न केवल आश्रय था, बल्कि उनकी मेहनत और संघर्ष का प्रतीक भी था। इस हादसे ने न केवल उनका आशियाना छीना, बल्कि उनकी आजीविका के साधनों को भी नष्ट कर दिया। खिलौने बेचने का उनका छोटा-सा व्यवसाय इस आग की भेंट चढ़ गया, जिससे उनके सामने अब भविष्य की अनिश्चितता और आर्थिक तंगी का पहाड़ खड़ा हो गया है।बल्कि देवी की कहानी दिल को झकझोर देने वाली है। एक विधवा के रूप में पहले से ही जीवन की कठिनाइयों से जूझ रही इस महिला के लिए यह हादसा एक और बड़ा आघात बनकर आया। आग ने उनके घर के साथ-साथ उनकी उम्मीदों और सपनों को भी जलाकर राख कर दिया। अब उनके पास न तो रहने का ठिकाना है और न ही अपनी आजीविका चलाने का कोई साधन।

प्रशासन से मदद की गुहार

इस त्रासदी के बाद बल्कि देवी ने जिला प्रशासन से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है। उनकी मांग है कि प्रशासन उनकी मदद करे, ताकि वह अपने परिवार के लिए दोबारा एक नई शुरुआत कर सकें। स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन से अपील की है कि इस गरीब परिवार को तत्काल राहत प्रदान की जाए, ताकि वे इस संकट से उबर सकें। बल्कि देवी की स्थिति को देखते हुए, यह जरूरी है कि प्रशासन और समाज के लोग मिलकर उनकी मदद के लिए आगे आएं।

आग की घटनाओं का बढ़ता खतरा

यह हादसा गैस सिलेंडर की सुरक्षा और नियमित जांच के महत्व को भी उजागर करता है। हाल के वर्षों में जोधपुर और राजस्थान के अन्य हिस्सों में गैस सिलेंडर रिसाव से होने वाली आग की घटनाएं बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, अप्रैल 2025 में जोधपुर के गुलाब सागर क्षेत्र में एक सिलेंडर ब्लास्ट में 14 लोग झुलस गए थे, जिसमें दो की मौत हो गई थी। इसी तरह, 2022 में भूंगरा गांव में एक शादी समारोह के दौरान सिलेंडर ब्लास्ट में 35 लोगों की जान चली गई थी, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया था। 

इन घटनाओं से साफ है कि गैस सिलेंडर के उपयोग में लापरवाही और निम्न-गुणवत्ता वाले उपकरणों का इस्तेमाल बड़े हादसों को न्योता दे सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गैस सिलेंडर की नियमित जांच, ओरिजनल पाइप और रेगुलेटर का उपयोग, और रात में सिलेंडर बंद करने की आदत ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद कर सकती है

बल्कि देवी की हिम्मत और संघर्ष की कहानी हमें प्रेरित करती है, लेकिन उनकी मौजूदा स्थिति समाज से मदद की मांग करती है। यह समय है कि स्थानीय समुदाय, गैर-सरकारी संगठन, और प्रशासन मिलकर उनके लिए एक नई शुरुआत का रास्ता बनाएं। उनकी गुहार को अनसुना नहीं किया जाना चाहिए। इस हादसे ने एक बार फिर हमें यह सिखाया है कि एक छोटी-सी लापरवाही कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।