अमेरिका के सपने का जाल: झारखंड में अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड समेत 6 गिरफ्तार
झारखंड के हजारीबाग में पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया, जो नौकरी का झांसा देकर लोगों को 'डंकी रूट' से अमेरिका भेजता था। मास्टरमाइंड उदय कुमार कुशवाहा समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। गिरोह ने सोनू कुमार समेत कई युवकों को ब्राजील भेजा, जहां उन्हें माफियाओं के हवाले कर बंधक बनाया गया। पीड़ितों के परिवारों से लाखों रुपये ऐंठे गए। अमेरिकी सीमा पर पकड़े जाने के बाद सोनू मार्च 2025 में भारत लौटे। पुलिस को उदय के मोबाइल से ठगी का पूरा ब्यौरा मिला, जिसमें 2013 से 2022 तक 12 लोगों को ठगा गया।

झारखंड के हजारीबाग जिले में पुलिस ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो विदेश में नौकरी का झांसा देकर मासूम लोगों को ठगता था। इस गिरोह ने न केवल लोगों से लाखों रुपये ऐंठे, बल्कि उन्हें खतरनाक 'डंकी रूट' के जरिए विदेशी माफियाओं के हवाले कर दिया। हजारीबाग पुलिस ने इस मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड उदय कुमार कुशवाहा समेत छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं, जिसमें पता चला कि यह गिरोह वर्षों से लोगों को ठगने और अवैध रास्तों से अमेरिका भेजने का काला कारोबार चला रहा था।
शिकायत से शुरू हुई जांच
मामले का खुलासा तब हुआ, जब हजारीबाग के टाटीझरिया थाना क्षेत्र के भरजो गांव निवासी सोनू कुमार ने 30 जुलाई 2025 को पुलिस में शिकायत दर्ज की। सोनू ने बताया कि उदय कुमार कुशवाहा, जो खुद को अमेरिका में कारोबारी बताता था, ने उसे और दो अन्य युवकों, विकास कुमार और पिंटू कुमार (दोनों जरगा गांव, दारू थाना क्षेत्र के निवासी) को झूठे दस्तावेज और नौकरी का लालच देकर ठगा। उदय ने वादा किया था कि वह उन्हें 2024 में 'डंकी रूट' के जरिए अमेरिका पहुंचाएगा। इसके लिए तीनों को दिल्ली के रास्ते ब्राजील भेजा गया।
खतरनाक सफर और माफियाओं का जाल
ब्राजील पहुंचने के बाद तीनों युवकों को स्थानीय मानव तस्करों के हवाले कर दिया गया। सोनू के अनुसार, उन्हें बोलीविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया, पनामा, कोस्टा रिका, होंडुरास और ग्वाटेमाला जैसे देशों से होकर गुजारा गया। इस दौरान माफियाओं ने उन्हें बंधक बनाए रखा। उदय कुशवाहा ने भारत में सोनू के पिता को फोन कर और पैसे की मांग की। मजबूरी में सोनू के पिता ने अपनी पैतृक जमीन बेचकर उदय के रिश्तेदारों को अलग-अलग माध्यमों से मोटी रकम दी।
अमेरिकी सीमा पर गिरफ्तारी और भारत वापसी
सोनू ने बताया कि अमेरिका की सीमा पर पहुंचने पर उन्हें पकड़ लिया गया। इसके बाद उन्हें मैक्सिको सिटी और सैन डिएगो के हिरासत केंद्रों में भेजा गया, जहां उन्होंने चार महीने बिताए। मार्च 2025 में उन्हें भारत वापस भेज दिया गया। भारत लौटने पर जब सोनू ने उदय से पैसे वापस मांगे, तो उदय और उसके भाई चौहान प्रसाद ने उनके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
सोनू की शिकायत के बाद हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक अंजनी अंजन ने उप-मंडल पुलिस अधिकारी (विष्णुगढ़) बैजनाथ प्रसाद के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की। इस टीम ने छापेमारी कर मास्टरमाइंड उदय कुमार कुशवाहा समेत छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उदय का मोबाइल फोन जब्त किया, जिसमें कई अहम सबूत मिले।
मोबाइल से खुले राज
उदय के मोबाइल से पुलिस को सोनू के पिता के साथ व्हाट्सएप चैट, उसकी पत्नी की बैंक जमा रसीदें, तस्करी के लिए भेजे गए लोगों की सूची और उनसे वसूली गई रकम का पूरा ब्यौरा मिला। जांच में पता चला कि यह गिरोह 2013 से 2022 तक कम से कम 12 लोगों को अवैध रास्तों से अमेरिका भेज चुका है। इनमें आठ लोग 2022 में, दो लोग 2019 में, और एक-एक व्यक्ति 2013 और 2018 में भेजे गए थे।
गिरोह का काला कारोबार
यह गिरोह नौकरी और बेहतर भविष्य का झांसा देकर लोगों को अपने जाल में फंसाता था। इसके बाद उन्हें खतरनाक और गैरकानूनी रास्तों से विदेश भेजा जाता था, जहां वे माफियाओं के चंगुल में फंस जाते थे। इस दौरान गिरोह पीड़ितों के परिवारों से मोटी रकम वसूलता था। पुलिस अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों और इसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों की जांच कर रही है।
हजारीबाग पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बार फिर मानव तस्करी जैसे जघन्य अपराध की गंभीरता को उजागर किया है। यह मामला न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि विदेश में नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोहों से सावधान रहने की जरूरत है। पुलिस की सतर्कता और पीड़ित की हिम्मत ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया, लेकिन अभी भी कई ऐसे नेटवर्क सक्रिय हो सकते हैं, जिनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।