70 महिलाओं ने फर्जी तलाक सर्टिफिकेट से हासिल की नौकरी,फर्जी तलाक और दस्तावेजों से सरकारी नौकरी का घोटाला, 121 के खिलाफ कार्रवाई

राजस्थान में 70 महिलाओं ने फर्जी तलाक सर्टिफिकेट और 121 लोगों ने फर्जी दस्तावेजों से सरकारी नौकरी हासिल की, SOG ने दो FIR दर्ज कर जांच शुरू की।

Aug 11, 2025 - 18:50
70 महिलाओं ने फर्जी तलाक सर्टिफिकेट से हासिल की नौकरी,फर्जी तलाक और दस्तावेजों से सरकारी नौकरी का घोटाला, 121 के खिलाफ कार्रवाई

राजस्थान में सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए फर्जीवाड़े का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। विशेष ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की जांच में खुलासा हुआ है कि 70 महिलाओं ने तलाकशुदा कोटे का दुरुपयोग करते हुए फर्जी तलाक प्रमाण-पत्रों के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की। इसके साथ ही, फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाने वाले 121 लोगों के खिलाफ दो अलग-अलग FIR दर्ज की गई हैं। इस मामले ने न केवल सरकारी भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि समाजिक मूल्यों को भी हिलाकर रख दिया है।

फर्जी तलाक का खेल: कैसे चला घोटाला?

राजस्थान में सरकारी भर्तियों में तलाकशुदा महिलाओं के लिए 2% आरक्षित कोटा है। इस कोटे की कटऑफ अन्य श्रेणियों की तुलना में कम होने के कारण कुछ महिलाओं ने कागजी तलाक लेकर नौकरी हासिल की। चौंकाने वाली बात यह है कि नौकरी मिलने के बाद ये महिलाएं अपने पतियों के साथ फिर से रहने लगीं। SOG के डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि इस तरह की करीब 70 शिकायतें मिली हैं, जिनमें फर्जी तलाक सर्टिफिकेट बनवाने का भी खुलासा हुआ है।

“हमें लगातार फर्जीवाड़े की शिकायतें मिल रही थीं। जांच में पाया गया कि कुछ महिलाएं केवल कागजों पर तलाक लेकर नौकरी पा रही थीं, जबकि उनकी शादीशुदा जिंदगी में कोई बदलाव नहीं हुआ। यह एक संगठित अपराध है, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी,” देशमुख ने कहा।

121 लोगों के खिलाफ FIR, शिक्षा विभाग को पत्र

SOG की जांच में केवल फर्जी तलाक ही नहीं, बल्कि अन्य फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल करने के मामले भी सामने आए हैं। कुल 121 लोगों के खिलाफ दो FIR दर्ज की गई हैं—एक में 72 और दूसरी में 49 लोग शामिल हैं। इनमें से कई शिक्षक हैं, जिन्होंने रीट 2018 और 2022 की भर्तियों में अनियमितताएं कीं।

पिछले साल राज्य सरकार ने सभी विभागों को 2019 से 2024 के बीच नियुक्त कर्मचारियों के दस्तावेजों की जांच करने का निर्देश दिया था। इसके तहत प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर ने संभाग स्तर पर चार सदस्यीय जांच समितियां बनाईं। इन समितियों ने बीकानेर, चूरू, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, भरतपुर और पाली संभागों से प्राप्त रिपोर्टों में गंभीर अनियमितताएं पाईं।

“जांच में 123 शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध पाए गए। इनमें से 121 के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, और शिक्षा विभाग को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है,” डीआईजी देशमुख ने बताया।

जांच का दायरा बढ़ा, SOG की हेल्पलाइन पर शिकायतों का तांता

SOG की हेल्पलाइन पर लगातार भर्तियों में गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही हैं। इन सूचनाओं के आधार पर मुख्य सचिव को विभागीय स्तर पर जांच का आग्रह किया गया था। इसके बाद सभी विभागों ने अपने स्तर पर दस्तावेजों का सत्यापन शुरू किया। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने रीट 2018 और 2022 की भर्तियों में विशेष जांच की, जिसमें 123 शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध पाए गए।

SOG अब इन मामलों की गहराई से जांच कर रही है। डीआईजी देशमुख ने कहा, “यह मामला केवल कोटे के दुरुपयोग का नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध का है। फर्जी दस्तावेजों से लेकर कोर्ट के फैसलों के दुरुपयोग तक, हर पहलू की जांच की जा रही है।”

असली तलाकशुदा महिलाओं के हक पर डAKA

इस फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा नुकसान उन वास्तविक तलाकशुदा महिलाओं को हो रहा है, जो इस कोटे के लिए पात्र हैं। कम कटऑफ के कारण फर्जी तलाक लेने वाली महिलाओं का चयन हो रहा है, जबकि असली तलाकशुदा महिलाएं नौकरी से वंचित हो रही हैं।

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSSB) के अध्यक्ष आलोक राज ने इस पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा, “तलाकशुदा कोटे में अचानक आवेदनों की संख्या बढ़ना संदिग्ध है। हम विशेषज्ञों और SOG के साथ मिलकर सघन जांच कर रहे हैं। दोषियों की नियुक्ति रद्द करने के साथ ही आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी।”

इस घोटाले ने सरकारी भर्ती प्रक्रिया की साख पर सवाल उठाए हैं। प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि भविष्य में दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया को और कठोर किया जाएगा। SOG ने चेतावनी दी है कि फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के खिलाफ न केवल उनकी नौकरी रद्द होगी, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी होगी।

Yashaswani Journalist at The Khatak .