देश में 6 करोड़ मृतकों के आधार कार्ड अभी भी सक्रिय: पश्चिम बंगाल में 34 लाख आईडी धारक अब जीवित नहीं, UIDAI ने व्यापक सर्वे शुरू किया

देश में 6 करोड़ मृतकों के आधार कार्ड अभी सक्रिय हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल के 34 लाख शामिल; UIDAI ने सर्वे शुरू कर मृत्यु डेटा एकीकरण और ऑनलाइन पोर्टल से निष्क्रियकरण की प्रक्रिया तेज की, ताकि फ्रॉड और सरकारी गड़बड़ी रोकी जा सके।

Nov 13, 2025 - 16:16
देश में 6 करोड़ मृतकों के आधार कार्ड अभी भी सक्रिय: पश्चिम बंगाल में 34 लाख आईडी धारक अब जीवित नहीं, UIDAI ने व्यापक सर्वे शुरू किया

नई दिल्ली, 13 नवंबर 2025: भारत की सबसे महत्वपूर्ण पहचान प्रणाली आधार कार्ड को लागू हुए पूरे 15 वर्ष हो चुके हैं। जनवरी 2009 में शुरू हुई इस योजना के तहत देशभर में 142 करोड़ से अधिक आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं। लेकिन एक चिंताजनक तथ्य सामने आया है कि लगभग 8 करोड़ लोगों की मृत्यु हो चुकी है, फिर भी केवल 1.83 करोड़ आधार कार्ड ही निष्क्रिय किए जा सके हैं। इसका मतलब साफ है कि करीब 6 करोड़ मृतकों के आधार कार्ड अभी भी सक्रिय बने हुए हैं। यह स्थिति न केवल सरकारी योजनाओं में धांधली का खतरा पैदा कर रही है, बल्कि बैंकिंग क्षेत्र में फ्रॉड और फर्जी खातों की आशंका को भी बढ़ा रही है। खासकर पश्चिम बंगाल में यह समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है, जहां 34 लाख मृतकों के आधार कार्ड अभी भी चालू हैं। इस मुद्दे पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने एक व्यापक सर्वे शुरू कर दिया है।

आधार प्रणाली की शुरुआत और वर्तमान स्थिति;  आधार कार्ड योजना की शुरुआत 28 जनवरी 2009 को हुई थी, जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसकी नींव रखी। इसका मुख्य उद्देश्य था हर भारतीय नागरिक को एक अद्वितीय 12-अंकीय पहचान संख्या प्रदान करना, जो सामाजिक-आर्थिक लाभों, सब्सिडी वितरण और सरकारी सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाने में सहायक हो। पिछले 15 वर्षों में UIDAI ने तेजी से काम किया और 142 करोड़ से अधिक आधार कार्ड जारी कर दिए। लेकिन जनसंख्या वृद्धि, प्राकृतिक मृत्यु दर और अन्य कारणों से लाखों-करोड़ों लोगों की मृत्यु हो चुकी है। अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 8 करोड़ आधार धारकों की अब तक मौत हो चुकी है। फिर भी, सिस्टम में केवल 1.83 करोड़ कार्ड ही निष्क्रिय हो पाए हैं। यह अंतर क्यों? मृत्यु प्रमाण पत्रों का आधार डेटाबेस से लिंक न होना, परिजनों की जागरूकता की कमी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देरी मुख्य कारण हैं। सक्रिय मृत आधार कार्डों की वजह से फर्जी लाभार्थी सरकारी योजनाओं जैसे पीएम किसान, उज्ज्वला या राशन वितरण में गड़बड़ी कर सकते हैं। बैंकिंग क्षेत्र में भी यह समस्या विकराल है—मृतकों के नाम पर खाते खोलकर धन हड़पने के मामले सामने आ चुके हैं।

पश्चिम बंगाल: सबसे अधिक प्रभावित राज्य देश के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल इस समस्या का सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 34 लाख आधार धारकों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके कार्ड अभी भी सक्रिय हैं। राज्य की जनसंख्या घनत्व अधिक होने और ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु पंजीकरण की कमजोर व्यवस्था के कारण यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। बंगाल सरकार के एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि कई गांवों में 10-15% आधार कार्ड मृतकों के नाम पर ही चल रहे हैं। इससे न केवल सरकारी फंड का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि चुनावी लाभार्थी सूचियों में भी हेरफेर की आशंका बढ़ गई है। राज्य के मुख्य सचिव बताते हैं, "हम UIDAI के साथ मिलकर एक विशेष अभियान चला रहे हैं, जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और ग्राम पंचायतों को मृत्यु सूचना दर्ज करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लेकिन जागरूकता की कमी एक बड़ी बाधा है।" विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है, आरोप लगाया है कि यह लापरवाही जानबूझकर की जा रही है ताकि फर्जी वोटर आईडी बनाई जा सकें।

UIDAI की कार्रवाई: डेटा एकीकरण और नया पोर्टल  UIDAI के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) भुवनेश कुमार ने इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी साझा की। उनके अनुसार, भारत के महापंजीयक (आरजीआई) से अब तक 1.55 करोड़ मृतकों का डेटा प्राप्त हो चुका है। इसमें नवंबर 2024 से सितंबर 2025 तक की अवधि में अतिरिक्त 38 लाख मृतकों की सूची शामिल की गई है। इनमें से 1.17 करोड़ मामलों की पहचान पूरी तरह पुष्ट हो चुकी है, और उनके आधार कार्ड तत्काल निष्क्रिय कर दिए गए हैं। UIDAI ने इस समस्या से निपटने के लिए चार महीने पहले (जुलाई 2025 में) अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक विशेष 'मृत्यु सूचना पोर्टल' लॉन्च किया। इस पोर्टल के माध्यम से परिजन या नजदीकी रिश्तेदार ऑनलाइन आवेदन कर मृतक के आधार को निष्क्रिय करा सकते हैं। आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में मृत्यु प्रमाण पत्र, आधार नंबर और आवेदक का स्वयं का प्रमाण-पत्र शामिल हैं। प्रक्रिया सरल है—आवेदन जमा करने के बाद 15-30 दिनों में सत्यापन होता है, और कार्ड निष्क्रिय हो जाता है। लेकिन दुखद यह है कि इस पोर्टल का उपयोग बेहद कम हुआ है। लॉन्च के बाद से केवल 3,000 लोगों ने ही मृत्यु सूचना दर्ज की है, जिसमें से मात्र 500 मामलों में पुष्टि हो सकी और आधार निष्क्रिय किए गए। UIDAI अब एक राष्ट्रीय स्तर का सर्वे शुरू कर रहा है, जिसमें सभी राज्यों के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम को आधार डेटाबेस से जोड़ा जाएगा। CEO कुमार ने कहा, "हमारा लक्ष्य 2026 तक सभी मृत आधारों को निष्क्रिय करना है। इसके लिए एनआईसी, स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ साझेदारी बढ़ाई जा रही है।"

संभावित जोखिम और समाधान के उपाय;  सक्रिय मृत आधार कार्डों से उत्पन्न जोखिम गंभीर हैं:बैंकिंग फ्रॉड: मृतकों के नाम पर लोन, एटीएम कार्ड या डिजिटल वॉलेट का दुरुपयोग।,सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी: फर्जी लाभार्थी सब्सिडी हड़प रहे हैं, जिससे वास्तविक जरूरतमंदों को नुकसान।,डेटा सुरक्षा: पुराने डेटा का दुरुपयोग साइबर अपराधियों के लिए खुला मैदान।,चुनावी प्रभाव: फर्जी आईडी से वोट बैंक प्रभावित हो सकता है।