विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025: कैंसर, वपिंग और युवाओं पर बढ़ता खतरा
तंबाकू से जुड़ी नई रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे, विशेषज्ञों ने उठाई सुरोगेट विज्ञापन पर चिंता

तंबाकू से जुड़ा हर दूसरा कैंसर मरीज नागपुर में
नागपुर के RST कैंसर अस्पताल में वर्ष 2021 से 2023 के बीच दर्ज हुए 16,079 मरीजों में से 56% यानी 9,140 केस तंबाकू से संबंधित थे। इनमें सबसे अधिक मामले मुंह के कैंसर के थे। डॉक्टरों ने चेताया कि युवाओं को आकर्षित करने वाली फ्लेवर्ड तंबाकू और गुटखे की पैकिंग खतरनाक स्तर पर असर डाल रही है।
ई-सिगरेट का नया जाल: युवाओं में बढ़ता वपिंग का चलन
भले ही भारत में ई-सिगरेट 2019 से प्रतिबंधित है, लेकिन ऑनलाइन और ब्लैक मार्केट के जरिए इसका इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। विशेषज्ञों ने बताया कि इनमें मौजूद निकोटिन, भारी धातुएं और फॉर्मल्डिहाइड जैसे केमिकल डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।
सुरोगेट विज्ञापन बना 'साइलेंट किलर'
झारखंड समेत कई राज्यों में सेलिब्रिटी माउथ फ्रेशनर के बहाने तंबाकू उत्पादों का परोक्ष प्रचार कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार झारखंड में 38.9% वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं और 19.2% लोग 15-17 साल की उम्र में इसकी शुरुआत कर देते हैं।
फेफड़ों से लेकर मानसिक स्वास्थ्य तक, हर तरफ़ असर
धूम्रपान से फेफड़ों में 40 से ज्यादा खतरनाक रसायन जमा होते हैं, जो सांस की बीमारियों से लेकर फेफड़ों के कैंसर तक का कारण बनते हैं। वहीं, विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि निकोटिन तनाव, डिप्रेशन और चिंता को बढ़ाता है, जिससे युवा मानसिक रूप से भी कमजोर होते हैं।
प्रजनन क्षमता पर भी पड़ रहा है असर
धूम्रपान महिलाओं में अंडाणुओं की संख्या को घटाता है और पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इससे न सिर्फ गर्भधारण की संभावना कम होती है, बल्कि गर्भपात और नवजात बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
'उम्मीद' से नई शुरुआत: AIIMS गोरखपुर की पहल
AIIMS गोरखपुर ने ECHO इंडिया के साथ मिलकर ‘प्रोजेक्ट उम्मीद’ की शुरुआत की है। इसके तहत 108 स्कूलों में छात्रों को नशा मुक्ति, तंबाकू और नशीले पदार्थों से बचाव की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस प्रोग्राम में टीचर्स और स्टूडेंट लीडर्स की अहम भूमिका है।
भारत की बड़ी उपलब्धि: 2000 में 29% से 2025 में 6% तक घटा तंबाकू सेवन
WHO के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (FCTC) के तहत भारत ने कड़े कानून और जनजागरूकता अभियानों की बदौलत तंबाकू सेवन में बड़ी गिरावट दर्ज की है। अब लक्ष्य है इसे 5% से भी नीचे लाना।
तंबाकू छोड़ने के लिए मदद कहां मिले?
देशभर में तंबाकू मुक्ति केंद्र (Tobacco Cessation Clinics) मौजूद हैं, जो दवा, थेरेपी और परामर्श की मदद से लोगों को तंबाकू छोड़ने में सहायता करते हैं। जयपुर समेत सभी बड़े शहरों में यह सुविधा उपलब्ध है।