पीरियड्स पर पर्दा क्यों? जानिए वो सब कुछ जो हर लड़की और महिला को जानना है जरूरी ..पैड्स से लेकर मेंस्ट्रुअल कप, हाइजीन से लेकर जल्दी मीनोपॉज़ तक – एक सम्पूर्ण जानकारी

तीजा—कई महिलाएं अब भी संक्रमण, शर्म और अनचाही परेशानियों से जूझती हैं।

May 24, 2025 - 17:10
पीरियड्स पर पर्दा क्यों? जानिए वो सब कुछ जो हर लड़की और महिला को जानना है जरूरी ..पैड्स से लेकर मेंस्ट्रुअल कप, हाइजीन से लेकर जल्दी मीनोपॉज़ तक – एक सम्पूर्ण जानकारी

भारत में पीरियड्स आज भी एक ऐसा विषय है, जिस पर या तो बात नहीं होती, या फिर अधूरी जानकारी के साथ होती है। नतीजा—कई महिलाएं अब भी संक्रमण, शर्म और अनचाही परेशानियों से जूझती हैं। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे पीरियड्स से जुड़े आधुनिक विकल्प, हाइजीन, कम उम्र में पीरियड्स, और समय से पहले मीनोपॉज़ के बारे में।

क्या चुनें: पैड, टेम्पॉन या मेंस्ट्रुअल कप?

सैनेटरी पैड्स

भारत में 70% से ज़्यादा महिलाएं अब भी इन्हीं का इस्तेमाल करती हैं। यह सुलभ और आसान हैं, लेकिन लंबे समय तक पहनने पर रैशेज, बदबू और संक्रमण का खतरा होता है।

टेम्पॉन 

देश के शहरी क्षेत्रों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा यह प्रोडक्ट तैराकी और खेलकूद करने वाली महिलाओं के लिए उपयोगी है। हालांकि इसे सही ढंग से डालना और हटाना जरूरी है वरना संक्रमण हो सकता है।

मेंस्ट्रुअल कप

यह एक बार की लागत पर 5–10 साल तक चलने वाला पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन से बना यह कप शरीर में रक्त को इकट्ठा करता है, रिसाव नहीं करता और दिनभर राहत देता है।

विशेषज्ञों की राय
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रिचा अवस्थी कहती हैं, "महिलाओं को अपने शरीर की समझ होनी चाहिए और जो भी प्रोडक्ट सबसे ज़्यादा आरामदायक और सुरक्षित लगे, उसे अपनाना चाहिए।"

पीरियड हाइजीन: छोटी सी लापरवाही से बढ़ सकता है बड़ा खतरा

हर 4–6 घंटे में पैड/कप/टेम्पॉन बदलें

हर बार बदलने से पहले और बाद में हाथ जरूर धोएं

जननांगों की सफाई सिर्फ साधारण पानी से करें, कोई केमिकल या साबुन नहीं

पीरियड्स में इस्तेमाल होने वाले कपड़े धूप में सुखाएं

हमेशा सूती अंडरवियर का प्रयोग करें


न करें:

पूरे दिन एक ही प्रोडक्ट न पहनें

संक्रमण होने पर घरेलू नुस्खों पर निर्भर न रहें

पीरियड्स से जुड़ी अनियमितताओं को नजरअंदाज न करें

 कम उम्र में पीरियड्स – बदलती जीवनशैली का असर?

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कई लड़कियों को 8–9 साल की उम्र में ही पहली बार पीरियड्स आने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे जंक फूड, मोटापा, हार्मोनल बदलाव और तनाव जैसे कारण हो सकते हैं।

डॉ. अदिति चौधरी कहती हैं, "जल्दी पीरियड्स आना शारीरिक और मानसिक रूप से बच्चियों को प्रभावित करता है। समय पर काउंसलिंग और चिकित्सीय जांच ज़रूरी है।"

 समय से पहले मीनोपॉज़ – एक चुपचाप बढ़ता खतरा

40 की उम्र से पहले पीरियड्स बंद हो जाना सामान्य नहीं है। इसे प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर कहा जाता है। इसके लक्षण हैं—

अचानक पीरियड्स बंद होना

गर्मी लगना, पसीना आना

मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन

थकान और नींद की कमी


क्या करें:

डॉक्टर से हॉर्मोनल टेस्ट करवाएं

खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव करें

योग और मेडिटेशन अपनाएं

सामाजिक जागरूकता की भी जरूरत

आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियां पीरियड्स के दौरान स्कूल जाना बंद कर देती हैं। कई परिवारों में इसे “शर्म का विषय” माना जाता है।
सरकारी और निजी संगठनों को मिलकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है ताकि हर लड़की को जानकारी, सुविधा और सम्मान मिल सके।

पीरियड्स से जुड़ी सही जानकारी ना सिर्फ एक महिला की सेहत को बेहतर बनाती है, बल्कि पूरे समाज को स्वस्थ और जागरूक बनाती है। पर्दा हटाइए, बात कीजिए, और बदलाव लाइए।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ