जोधपुर के MDM अस्पताल में सुरक्षाकर्मी का आत्मदाह प्रयास, वेतन न मिलने से तंग आकर उठाया खौफनाक कदम।

जोधपुर के MDM अस्पताल में निजी सुरक्षाकर्मी अशोक ने तीन महीने से वेतन न मिलने और आर्थिक तंगी के कारण आत्मदाह का प्रयास किया। खुद पर केमिकल डालने से उनका शरीर झुलस गया, और उनकी हालत गंभीर है। यह घटना ठेका प्रणाली की खामियों और कर्मचारियों की बदहाल स्थिति को उजागर करती है। अस्पताल प्रशासन ने जांच शुरू की है, और सामाजिक स्तर पर ठेका प्रणाली के खिलाफ मांगें तेज हो रही हैं।

Jul 21, 2025 - 11:43
जोधपुर के MDM अस्पताल में सुरक्षाकर्मी का आत्मदाह प्रयास, वेतन न मिलने से तंग आकर उठाया खौफनाक कदम।

जोधपुर, राजस्थान के मथुरादास माथुर (MDM) अस्पताल में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया। एक निजी सुरक्षाकर्मी, अशोक, ने आर्थिक तंगी और तीन महीने से वेतन न मिलने की पीड़ा में खुद पर केमिकल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया। इस घटना ने न केवल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि ठेका प्रणाली की खामियों को भी सामने ला दिया।

घटना का विवरण 

21 जुलाई 2025 की सुबह, एमडीएम अस्पताल परिसर में उस समय हड़कंप मच गया, जब अशोक ने अचानक खुद पर केमिकल उड़ेल लिया और आत्मदाह का प्रयास किया। इस भयावह कदम से उनका शरीर बुरी तरह झुलस गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अशोक पिछले तीन महीनों से वेतन न मिलने के कारण गहरे तनाव में थे। इसके साथ ही, कम वेतन और अनियमित भुगतान ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया था। घटना के तुरंत बाद, अस्पताल कर्मचारियों ने उन्हें बचाने की कोशिश की और तत्काल उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।

वेतन की अनियमितता और ठेका प्रणाली की खामियां 

यह घटना एमडीएम अस्पताल में ठेका कर्मचारियों की दयनीय स्थिति को उजागर करती है। अशोक जैसे कई कर्मचारी ठेका फर्मों के तहत काम करते हैं, जहां समय पर वेतन भुगतान एक बड़ी समस्या है। पहले भी अस्पताल में डाटा एंट्री ऑपरेटरों और अन्य कर्मचारियों ने वेतन में देरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए हैं। 2023 में भी ऐसी ही एक हड़ताल ने सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो सका। अशोक का यह कदम ठेका प्रणाली की उन खामियों को दर्शाता है, जो कर्मचारियों को मानसिक और आर्थिक रूप से तोड़ रही हैं।

अस्पताल प्रशासन का रुख

घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन ठेका फर्म पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है, जो अशोक को वेतन देने में नाकाम रही। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। इस घटना ने जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन पर दबाव बढ़ा दिया है, क्योंकि यह ठेका कर्मचारियों के शोषण का एक गंभीर उदाहरण है।

सामाजिक प्रतिक्रिया और मांगें 

इस घटना ने स्थानीय समुदाय और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाई हैं। लोग ठेका प्रणाली को समाप्त करने और कर्मचारियों के लिए निश्चित वेतन और समय पर भुगतान की मांग कर रहे हैं। कई संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अशोक के परिवार को सहायता प्रदान करने की अपील की है। यह घटना राजस्थान में ठेका कर्मचारियों की बदहाली पर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है।

अशोक के आत्मदाह के प्रयास ने न केवल एक व्यक्ति की पीड़ा को उजागर किया, बल्कि उन हजारों कर्मचारियों की स्थिति पर भी प्रकाश डाला, जो ठेका प्रणाली के तहत काम करने को मजबूर हैं। यह घटना सरकार और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि कर्मचारियों की बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अशोक का इलाज जारी है, और उनके परिवार को सहायता की जरूरत है। यह जरूरी है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में कोई और इस हताशा के रास्ते पर न चले।