फिर ढहा पुरान मकान: सास की गई जान, बहू जख्मी – मालिक पर सवाल उठे
जर्जर मकान ढहने से 60 वर्षीय धन्नीबाई की मौत, बहू सुनीता घायल; मकान मालिक पर नोटिस के बावजूद लापरवाही का आरोप।

जयपुर के पुराने शहर में गुरुवार (18 सितंबर 2025) सुबह 7 बजे एक और जर्जर मकान ढहने की घटना ने स्थानीय प्रशासन और मकान मालिकों की लापरवाही को फिर उजागर कर दिया। सुभाष चौक थाना क्षेत्र के झिलाई हाउस में हुए इस हादसे में 60 वर्षीय धन्नीबाई की मलबे में दबने से मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी 35 वर्षीय बहू सुनीता गंभीर रूप से घायल हो गईं। हादसे के समय घर में मौजूद दो बच्चे बाहर खेल रहे थे, जिससे उनकी जान बच गई।
12 अगस्त को जारी हुआ था नोटिस, मकान मालिक ने किया अनदेखा
नगर निगम की डिप्टी कमिश्नर (हवामहल जोन) सीमा चौधरी ने बताया कि इस मकान को गिराने के लिए 12 अगस्त को मकान मालिक प्रदीप शाह को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। हादसे के बाद मौके पर पहुंची डीसी ने मकान मालिक को नोटिस दिखाया, जिसके जवाब में प्रदीप ने दावा किया कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला। डीसी ने कहा, "24 घंटे बाद मकान मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नोटिस इसलिए जारी किया गया था ताकि मकान से जुड़े किसी विवाद की जानकारी ली जा सके।"
मकान मालिक का दावा: "जानबूझकर नहीं किया"
मकान मालिक प्रदीप शाह ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने जानबूझकर कुछ नहीं किया। उन्होंने बताया कि धन्नीबाई के पति मकान की चौकीदारी करते थे और उनकी मृत्यु के बाद धन्नीबाई ने अकेले रहने की असमर्थता जताई थी। इसलिए, वह उन्हें मकान की रखवाली के लिए 5,000 रुपये प्रतिमाह देते थे। हालांकि, स्थानीय विधायक बालमुकुंदाचार्य ने मकान मालिक के दावे को झूठा करार देते हुए कहा, "उन्हें नोटिस दिया गया था। ऐसे मकान मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।" विधायक ने मृतक परिवार को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता की भी घोषणा की।
स्थानीय लोगों ने बचाई जान, रेस्क्यू टीम देरी से पहुंची
हादसे की सूचना मिलने पर स्थानीय निवासी घनश्याम सोनी, नागेंद्र सिंह और मन्नू शर्मा ने तत्परता दिखाते हुए मलबे में दबी धन्नीबाई और सुनीता को निकाला। दरवाजा बंद होने के कारण वे गेट कूदकर अंदर पहुंचे और करीब 25 मिनट की मशक्कत के बाद दोनों को बाहर निकाला। सुनीता की 11 वर्षीय बेटी रीना ने बताया, "मम्मी जोर-जोर से चिल्ला रही थीं और दादी को बचाने के लिए उनके ऊपर लेट गई थीं।" रीना और उसका भाई प्रिंस हादसे के समय बाहर थे, जिससे उनकी जान बच गई।
हालांकि, रेस्क्यू टीम घटना के दो घंटे बाद मौके पर पहुंची, जिसके चलते स्थानीय लोगों में नाराजगी देखी गई। एक महिला ने आरोप लगाया कि कई बार फोन करने के बावजूद एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंची और पुलिस ने भी कोई मदद नहीं की।
सुनीता की हालत गंभीर, अस्पताल में भर्ती
एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा इंचार्ज अनुराग सिंह धाकड़ ने बताया कि धन्नीबाई को मृत अवस्था में लाया गया था, जबकि सुनीता के बाएं पैर में दो जगह फ्रैक्चर और सिर पर चोटें आई हैं। उनकी स्थिति स्थिर है और इलाज चल रहा है।
12 दिन पहले भी हुआ था हादसा
यह कोई पहली घटना नहीं है। 12 दिन पहले सुभाष चौक क्षेत्र में एक हवेली ढहने से बाप-बेटी की मौत हो गई थी। मानसून सीजन के दौरान अगस्त में नगर निगम ने जयपुर में 48 जर्जर मकानों की सूची तैयार की थी, जिसमें से किशनपोल क्षेत्र की 8 इमारतों को सील भी किया गया था। इसके बावजूद 15 दिनों में दो बड़े हादसों ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मेयर के देरी से पहुंचने पर नाराजगी
जयपुर हेरिटेज की मेयर कुसुम यादव हादसे के करीब 5 घंटे बाद दोपहर 12 बजे घटनास्थल पर पहुंचीं। उनके देर से पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताई। विधायक बालमुकुंदाचार्य ने कहा, "बिना मकान मालिक की इजाजत के हम बंद भवन में कैसे घुस सकते हैं?" उन्होंने मकान मालिक की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।
जर्जर मकानों का खतरा बरकरार
हवामहल और किशनपोल विधानसभा क्षेत्रों में सैकड़ों जर्जर मकान मौजूद हैं, जिनमें ज्यादातर किराए पर दिए गए हैं या चौकीदारी के लिए लोग रह रहे हैं। हादसास्थल के पास ही एक और जर्जर मकान है, जिसकी दीवारों से चूना झड़ रहा है और छत की पट्टियां टूटी हुई हैं। डीसी सीमा चौधरी ने बताया कि हवामहल जोन में सभी जर्जर इमारतों को नोटिस जारी किए गए हैं और सर्वे के बाद लोगों को सुरक्षित भवनों में शिफ्ट किया जा रहा है।
भविष्य में हादसे रोकने की मांग
स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि नगर निगम और प्रशासन जर्जर मकानों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। इस हादसे ने एक बार फिर पुराने शहर की जर्जर इमारतों के खतरे और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है।