सिरोही: मावल में गवारिया समाज के परिवार को बहिष्कृत करना पड़ा भारी, 10 पंच गिरफ्तार
आबूरोड के मावल गांव में गवारिया समाज के थानाराम गवारिया के परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का मामला सामने आया। थानाराम के पुत्र की सड़क दुर्घटना में मृत्यु को पंचों ने हत्या करार देकर परिवार पर 51,000 रुपये का जुर्माना लगाया और समाज में वापसी के लिए 5 लाख रुपये की मांग की। थानाराम ने 7 अप्रैल को रीको थाने में शिकायत दर्ज की, जिसके बाद पुलिस ने 10 पंचों को गिरफ्तार किया। मामले की जांच जारी है।

सिरोही:आबूरोड रीको थाना क्षेत्र के मावल गांव में गवारिया समाज के एक परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का मामला सामने आया है। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय में हलचल मचा दी है, बल्कि सामाजिक रीति-रिवाजों और कानून के बीच टकराव को भी उजागर किया है। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 10 पंचों को गिरफ्तार किया है,
मावल गांव निवासी थानाराम गवारिया ने 7 अप्रैल को आबूरोड रीको थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत के अनुसार, उनके पुत्र की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद गवारिया समाज के कुछ पंचों ने इस दुर्घटना को हत्या करार देते हुए थानाराम और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए। पंचों ने न केवल परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया, बल्कि उनके पुत्र का बाहरवा (अंतिम संस्कार से संबंधित रस्म) रुकवाने का भी प्रयास किया।
थानाराम ने अपनी शिकायत में बताया कि पंचों ने उन पर 51,000 रुपये का जुर्माना लगाया और परिवार को समाज में वापस शामिल करने के लिए 5 लाख रुपये की मांग की। इस सामाजिक दबाव और अपमान से आहत होकर थानाराम ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया। आबूरोड रीको थाने के थानाधिकारी लक्ष्मण सिंह चंपावत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच शुरू की। शिकायत के आधार पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया और समाज के उन पंचों की पहचान की, जिन्होंने कथित तौर पर परिवार को बहिष्कृत करने और जुर्माना लगाने का फैसला लिया था।
जांच के दौरान पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें शामिल हैं:
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चंद्रावती निवासी: किशनलाल गवारिया, सोनाराम, मुल्तान भाई
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रोहिड़ा, कालामगरा निवासी: थानाराम, हरिराम
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मोरथला निवासी: रामाराम, राणाराम, लक्ष्मण
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सांतपुर निवासी: रुपाराम
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गुजरात, अंबाजी निवासी: कालूभाई
पुलिस ने इन सभी आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। थानाधिकारी लक्ष्मण सिंह ने बताया कि मामले में गहन जांच की जा रही है ताकि सभी तथ्यों का पता लगाया जा सके।
यह मामला सामाजिक रीति-रिवाजों और कानून के बीच एक जटिल टकराव को दर्शाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों के फैसले अक्सर समुदाय के लिए बाध्यकारी माने जाते हैं, लेकिन जब ये फैसले व्यक्तिगत अधिकारों का हनन करते हैं या कानून का उल्लंघन करते हैं, तो पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ता है। थानाराम के मामले में, पंचों द्वारा लगाए गए जुर्माने और बहिष्कार का फैसला न केवल सामाजिक दबाव का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं।
थानाधिकारी लक्ष्मण सिंह चंपावत ने कहा, "पीड़ित की शिकायत के आधार पर हमने त्वरित कार्रवाई की है। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, और उनसे पूछताछ जारी है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले में न्याय हो और पीड़ित परिवार को राहत मिले।"
इस घटना ने मावल गांव और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का माहौल बना दिया है। कुछ लोग पंचायत के फैसले का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे सामाजिक अत्याचार का उदाहरण मानते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस तरह के मामलों में प्रशासन को और सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
पुलिस ने बताया कि मामले में और भी लोगों की संलिप्तता की जांच की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों की मदद से पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि बहिष्कार के फैसले में और कौन-कौन शामिल था। साथ ही, पीड़ित परिवार की सुरक्षा और उनके सामाजिक पुनर्वास के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।
मावल गांव का यह मामला सामाजिक रीति-रिवाजों और कानूनी व्यवस्था के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने पीड़ित परिवार को कुछ हद तक राहत दी है, लेकिन यह घटना समाज में जागरूकता और सुधार की मांग करती है। फिलहाल, सभी की निगाहें इस मामले की आगे की जांच और आरोपियों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई पर टिकी हैं।