रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में 2.7% की गिरावट, Q1 में रिकॉर्ड मुनाफे के बावजूद निवेशकों में निराशा
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर Q1 में रिकॉर्ड 30,783 करोड़ रुपये के मुनाफे के बावजूद 2.7% गिरकर 1,436.85 रुपये पर बंद हुए। प्रमुख कारोबारी खंडों में उम्मीदों से कम प्रदर्शन और एकमुश्त लाभ पर निर्भरता ने निवेशकों को निराश किया।

भारत के सबसे बड़े कॉर्पोरेट घराने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के शेयरों में सोमवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर 2.7% की गिरावट दर्ज की गई, जो दिन के निचले स्तर 1,436.85 रुपये तक पहुंच गया। यह गिरावट शुक्रवार को घोषित Q1 (अप्रैल-जून 2025) के वित्तीय परिणामों के बाद आई, जिसमें कंपनी ने अपने इतिहास का सबसे अधिक मुनाफा और EBITDA दर्ज किया। हालांकि, यह रिकॉर्ड मुनाफा मुख्य रूप से एशियन पेंट्स में हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त 8,924 करोड़ रुपये के एकमुश्त लाभ और अपेक्षाकृत कम ब्याज खर्च व करों के कारण था। कई ब्रोकरेज फर्मों ने कहा कि प्रमुख कारोबारी खंडों में परिणाम उम्मीदों से कम रहे, जिसने निवेशकों की उम्मीदों को झटका दिया।
रिकॉर्ड मुनाफा, फिर भी निराशा
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने Q1 FY26 में 30,783 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध मुनाफा दर्ज किया, जो पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 76.5% अधिक है। कंपनी की परिचालन आय 5.3% बढ़कर 2.48 लाख करोड़ रुपये रही। EBITDA में भी 36% की वृद्धि देखी गई, जो 58,024 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस मजबूत प्रदर्शन का श्रेय रिलायंस की उपभोक्ता-केंद्रित इकाइयों, जैसे जियो प्लेटफॉर्म्स और रिलायंस रिटेल, के साथ-साथ तेल-से-रसायन (O2C) व्यवसाय में बेहतर मार्जिन को दिया गया। हालांकि, एशियन पेंट्स में 4.9% हिस्सेदारी की बिक्री से प्राप्त 8,924 करोड़ रुपये के एकमुश्त लाभ ने इस मुनाफे को और बढ़ाया।
लेकिन इस चमकदार सुर्खियों के पीछे, निवेशकों और विश्लेषकों ने कमजोरियों को उजागर किया। कई ब्रोकरेज फर्मों ने बताया कि O2C और रिटेल खंडों में उम्मीदों से कम प्रदर्शन ने बाजार की उम्मीदों को पूरा नहीं किया। विशेष रूप से, O2C व्यवसाय में राजस्व में 1.5% की सालाना कमी देखी गई, जो मुख्य रूप से कम कच्चे तेल की कीमतों और नियोजित रखरखाव बंद के कारण थी। इसके अलावा, रिटेल व्यवसाय में मौसमी कमजोरी और तेल व गैस खंड में उत्पादन में कमी ने भी निवेशकों का उत्साह कम किया।
बाजार की प्रतिक्रिया और विश्लेषकों की राय
सोमवार को RIL का शेयर Nifty 50 सूचकांक में सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाला साबित हुआ, जिसके परिणामस्वरूप सूचकांक में 0.30% की गिरावट दर्ज की गई। स्टॉक की कीमत दिन में 1,438 रुपये तक गिर गई, जो 20 जून के बाद का सबसे निचला स्तर था। विश्लेषकों ने बताया कि निवेशकों की निराशा का कारण एकमुश्त लाभ पर निर्भरता और मुख्य व्यवसायों में अपेक्षित वृद्धि की कमी थी।
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी हालिया रिपोर्ट में RIL पर "बाय" रेटिंग बरकरार रखी, लेकिन 1,767 रुपये का लक्ष्य मूल्य निर्धारित किया। उन्होंने कंपनी के न्यू एनर्जी व्यवसाय को दीर्घकालिक विकास का इंजन माना, विशेष रूप से 10GW पॉलीसिलिकॉन-टू-मॉड्यूल सुविधा, जो FY26 के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अनुमान लगाया था कि Q1 में PAT 28,542 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, लेकिन वास्तविक परिणाम 26,994 करोड़ रुपये रहे, जो अपेक्षाओं से कम था।
उपभोक्ता व्यवसायों का मजबूत प्रदर्शन
रिलायंस के उपभोक्ता-केंद्रित व्यवसायों ने इस तिमाही में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। जियो प्लेटफॉर्म्स ने 25% की वृद्धि के साथ 7,110 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया, जबकि इसका राजस्व 19% बढ़कर 41,054 करोड़ रुपये हो गया। जियो के 5G सब्सक्राइबर्स की संख्या 200 मिलियन को पार कर गई, और औसत प्रति उपयोगकर्ता राजस्व (ARPU) 208.8 रुपये तक पहुंच गया। रिलायंस रिटेल ने भी 11.3% की राजस्व वृद्धि के साथ 84,171 करोड़ रुपये कमाए, और इसने 388 नए स्टोर जोड़कर अपनी पहुंच को 19,592 स्टोर्स तक विस्तारित किया।
जियोमार्ट ने हाइपरलोकल डिलीवरी में 175% की सालाना वृद्धि दर्ज की, जो उपभोक्ताओं की सुविधा और गति की बढ़ती मांग को दर्शाता है। रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा, "रिलायंस ने FY26 की शुरुआत मजबूत परिचालन और वित्तीय प्रदर्शन के साथ की है। वैश्विक मैक्रो चुनौतियों के बावजूद, हमारा समेकित EBITDA पिछले साल की तुलना में मजबूत हुआ है।"
भविष्य की योजनाएं और चुनौतियां...निवेशकों के लिए क्या?
मुकेश अंबानी ने दोहराया कि रिलायंस हर 4-5 साल में अपने व्यवसाय को दोगुना करने की राह पर है। कंपनी अपनी न्यू एनर्जी पहल पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसमें अगले चार से छह तिमाहियों में "गिगा फैक्ट्रियां" शुरू करने की योजना है। यह कदम 2035 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। हालांकि, विश्लेषकों ने कम कच्चे तेल की कीमतों, टेलीकॉम में बढ़ते पूंजीगत व्यय, और न्यू एनर्जी परियोजनाओं में देरी जैसे जोखिमों को चिह्नित किया है।
RIL के शेयरों में हालिया गिरावट ने निवेशकों के बीच सवाल उठाए हैं कि क्या यह खरीद, बिक्री या होल्ड करने का समय है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि दीर्घकालिक निवेशक रिलायंस के विविध पोर्टफोलियो और न्यू एनर्जी में विकास की संभावनाओं पर भरोसा कर सकते हैं। हालांकि, अल्पकालिक निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है, क्योंकि O2C और तेल व गैस खंडों में कमजोरी और बाजार की अस्थिरता जोखिम पैदा कर सकती है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत की आर्थिक प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, और इसके परिणाम न केवल निवेशकों बल्कि पूरे बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक हैं। आने वाले महीनों में कंपनी का प्रदर्शन और इसकी रणनीतिक पहलें निवेशकों का ध्यान आकर्षित करती रहेंगी।