रास्ता खोलो अभियान के बीच बायतु में 'रास्ता रोको' संकट: सड़क बर्बादी से 200 परिवार परेशान
बाड़मेर में “रास्ता खोलो अभियान” के दावों के बीच प्रशासनिक लापरवाही से सात साल पुरानी सड़क अवरुद्ध, ग्रामीणों का जीवन प्रभावित। ग्रामीणों ने शिकायतों पर कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

प्रदेश की भाजपा सरकार जहां “रास्ता खोलो अभियान” के तहत गांव-गांव कैंप लगाकर जनता की समस्याओं के समाधान का दावा कर रही है, वहीं बाड़मेर के बायतु विधानसभा क्षेत्र में प्रशासनिक लापरवाही के चलते ग्रामीण “रास्ता रोको” की मार झेल रहे हैं। सात साल पहले महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत बनी सड़क को बीचों-बीच अवरुद्ध कर दिया गया है, जिससे करीब 200 परिवारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
सड़क का निर्माण और उसकी बर्बादी
बायतु विधानसभा की ग्राम पंचायत पटाली नाड़ी से दल्लोणियों की ढाणी को जोड़ने वाली यह सड़क लगभग तीन किलोमीटर लंबी है। साल 2017 में नरेगा योजना के तहत स्वीकृत इस सड़क पर दो चरणों में 69 लाख रुपये खर्च किए गए। इसका उद्देश्य गांव के 200 घरों को मुख्य मार्ग से जोड़ना था, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में सहूलियत मिली। लेकिन पिछले साल एक खसरे की पैमाइश के दौरान हल्का पटवारी ने सड़क के बीच पत्थर गाड़ दिए, जिससे मार्ग पूरी तरह बंद हो गया। हाल ही में, शुक्रवार को एक ट्रैक्टर से सड़क को उखाड़ दिया गया, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया।
प्रशासन की उदासीनता, ग्रामीणों की शिकायतें अनसुनी
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इस मामले को गिड़ा तहसीलदार, बायतु उपखंड अधिकारी, जिला कलेक्टर और संभागीय आयुक्त डॉ. प्रतिभा सिंह तक पहुंचाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाल ही में सड़क को दोबारा क्षतिग्रस्त करने की कोशिश के दौरान ग्रामीणों ने गिड़ा विकास अधिकारी, तहसीलदार और उपखंड अधिकारी को तुरंत सूचना दी, लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की चुप्पी और कार्मिकों की मनमानी ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
ग्रामीणों का जीवन प्रभावित ;
सड़क बंद होने से ग्रामीणों को राशन, पानी, स्कूल और पंचायत भवन तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आपात स्थिति में एंबुलेंस तक गांव में प्रवेश नहीं कर पा रही। इससे न केवल दैनिक जीवन प्रभावित हुआ है, बल्कि मूलभूत सुविधाओं तक पहुंच भी बाधित हो गई है।
सरकार के “रास्ता खोलो अभियान” के दावों पर ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि जब पहले से बनी सड़कों को बचाने में प्रशासन नाकाम है, तो नए वादे कितने विश्वसनीय हैं? ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी शिकायतों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सामूहिक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
पीड़ित ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरंत सड़क को बहाल करने और दोषी कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि लाखों रुपये की लागत से बनी यह सड़क उनकी जीवनरेखा है, और इसे बर्बाद होने देना अन्याय है।