मासिक धर्म चक्र के चार चरण: कैसे काम करता है यह प्राकृतिक प्रक्रिया?

मासिक धर्म चक्र, जिसे पीरियड्स कहते हैं, चार चरणों—मासिक धर्म, फॉलिक्युलर, ओव्यूलेशन और ल्यूटियल—में विभाजित है, जो गर्भाशय की परत के मोटा होने और निषेचन न होने पर बाहर निकलने की प्रक्रिया है। प्रत्येक चरण की अवधि अलग-अलग हो सकती है और हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन इसे नियंत्रित करते हैं।

Jul 6, 2025 - 20:12
मासिक धर्म चक्र के चार चरण: कैसे काम करता है यह प्राकृतिक प्रक्रिया?

मासिक धर्म चक्र, जिसे आमतौर पर पीरियड्स के नाम से जाना जाता है, महिलाओं के शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह गर्भाशय की परत के नियमित रूप से निकलने की प्रक्रिया है, जो हर महीने गर्भावस्था की तैयारी के लिए मोटी होती है। यदि गर्भावस्था नहीं होती, तो यह परत योनि के माध्यम से रक्त, म्यूकस और टिश्यू के रूप में बाहर निकल जाती है। मासिक धर्म चक्र को चार मुख्य चरणों में विभाजित किया जाता है: मासिक धर्म चरण (Menstrual Phase), फॉलिक्युलर चरण (Follicular Phase), ओव्यूलेशन चरण (Ovulation Phase), और ल्यूटियल चरण (Luteal Phase)। प्रत्येक चरण की अवधि व्यक्ति और समय के साथ भिन्न हो सकती है। आइए, इन चरणों को विस्तार से समझते हैं।

1. मासिक धर्म चरण (Menstrual Phase)

मासिक धर्म चक्र का यह पहला चरण पीरियड्स की शुरुआत के साथ शुरू होता है। यह तब शुरू होता है जब पिछली साइकिल में अंडा निषेचित (Fertilized) नहीं होता। गर्भावस्था न होने के कारण एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। इस दौरान गर्भाशय की मोटी परत, जो गर्भावस्था को समर्थन देने के लिए बनती है, अब अनावश्यक हो जाती है और योनि के माध्यम से बाहर निकल जाती है।

इस चरण में महिलाएं रक्त, म्यूकस और टिश्यू का मिश्रण रिलीज करती हैं, जिसे सामान्यतः पीरियड्स कहा जाता है। यह चरण आमतौर पर 3 से 7 दिन तक रहता है, लेकिन यह अवधि हर महिला में अलग-अलग हो सकती है। इस दौरान कुछ महिलाओं को पेट में ऐंठन, थकान या मूड स्विंग्स जैसे लक्षण अनुभव हो सकते हैं।

2. फॉलिक्युलर चरण (Follicular Phase)

यह चरण पीरियड्स के पहले दिन से शुरू होता है और ओव्यूलेशन तक रहता है। इस दौरान, अंडाशय में एक फॉलिकल (Follicle) विकसित होता है, जो अंडे को परिपक्व करता है। इस चरण में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो गर्भाशय की परत को फिर से मोटा करने में मदद करता है।

फॉलिक्युलर चरण की अवधि 10 से 14 दिन तक हो सकती है, लेकिन यह भी प्रत्येक महिला में भिन्न हो सकती है। इस चरण में पिट्यूटरी ग्रंथि फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) रिलीज करती है, जो अंडाशय में फॉलिकल्स के विकास को प्रोत्साहित करता है।

3. ओव्यूलेशन चरण (Ovulation Phase)

ओव्यूलेशन चरण मासिक धर्म चक्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यही वह समय है जब गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है। फॉलिक्युलर चरण के दौरान एस्ट्रोजन के बढ़ते स्तर के कारण, पिट्यूटरी ग्रंथि ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) रिलीज करती है। यह हार्मोन अंडाशय को एक परिपक्व अंडा रिलीज करने के लिए प्रेरित करता है।

रिलीज हुआ अंडा फैलोपियन ट्यूब की ओर बढ़ता है, जहां यह शुक्राणु द्वारा निषेचित होने की प्रतीक्षा करता है। ओव्यूलेशन आमतौर पर चक्र के 14वें दिन के आसपास होता है (28 दिन के औसत चक्र में), लेकिन यह समय भी भिन्न हो सकता है। इस दौरान कुछ महिलाओं को हल्का दर्द या अन्य लक्षण महसूस हो सकते हैं।

4. ल्यूटियल चरण (Luteal Phase)

यह चरण ओव्यूलेशन के बाद शुरू होता है और अगले मासिक धर्म की शुरुआत तक रहता है। इस दौरान, अंडाशय में फॉलिकल कॉर्पस ल्यूटियम में बदल जाता है, जो मुख्य रूप से प्रोजेस्टेरोन और कुछ मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन रिलीज करता है। ये हार्मोन गर्भाशय की परत को मोटा और स्थिर रखते हैं, ताकि निषेचित अंडा इम्प्लांट हो सके।

यदि गर्भावस्था होती है, तो शरीर ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) हार्मोन का उत्पादन शुरू करता है, जो कॉर्पस ल्यूटियम को बनाए रखता है और गर्भाशय की परत को मोटा रखता है। यदि निषेचन नहीं होता, तो कॉर्पस ल्यूटियम धीरे-धीरे सिकुड़ जाता है, प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है, और गर्भाशय की परत टूटकर बाहर निकलने लगती है, जिससे नया मासिक धर्म शुरू होता है। यह चरण आमतौर पर 12 से 14 दिन तक रहता है।

मासिक धर्म चक्र का महत्व

मासिक धर्म चक्र न केवल गर्भावस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य का भी एक संकेतक है। अनियमित चक्र, अत्यधिक दर्द, या अन्य असामान्य लक्षण हार्मोनल असंतुलन, तनाव, या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की ओर इशारा कर सकते हैं। इसलिए, अपने चक्र को समझना और उसका रिकॉर्ड रखना जरूरी है।

यदि आपको अपने मासिक धर्म चक्र में कोई असामान्यता दिखाई देती है, तो किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ या स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित है। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी मासिक धर्म चक्र को नियमित और स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।

Yashaswani Journalist at The Khatak .