"नारी शक्ति की नई मिसाल: CISF की गीता समोता ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा"
CISF की उप-निरीक्षक गीता समोता ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया। राजस्थान के सीकर की रहने वाली गीता CISF की पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। पूर्व हॉकी खिलाड़ी गीता ने 2017 में पर्वतारोहण शुरू किया और 2019 में माउंट सतोपंथ व लोबुचे फतह किए। 2025 में उन्होंने छह महीने में चार सेवन समिट्स चोटियां और लद्दाख में तीन दिन में पांच चोटियां फतह कीं। उनकी इस उपलब्धि ने नारी शक्ति को नया आयाम दिया और CISF को गौरवान्वित किया।

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की महिला उप-निरीक्षक (L/SI) गीता समोता ने 19 मई, 2025 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत साहस और दृढ़ संकल्प की कहानी है, बल्कि भारतीय महिलाओं की बढ़ती ताकत और CISF के गौरव का प्रतीक भी है। गीता ने इस अभूतपूर्व उपलब्धि के साथ नारी शक्ति को नया आयाम दिया और देश के लिए गर्व का क्षण उपहार में दिया।
राजस्थान के सीकर जिले के चक गांव में जन्मी गीता समोता की कहानी प्रेरणा से भरी है। चार बहनों के परिवार में पली-बढ़ी गीता ने बचपन से ही रूढ़ियों को तोड़ने का सपना देखा। कॉलेज के दिनों में वह एक होनहार हॉकी खिलाड़ी थीं, लेकिन एक चोट ने उनके खेल करियर को रोक दिया। इस झटके ने उन्हें पर्वतारोहण की ओर मोड़ा, और यहीं से उनकी असाधारण यात्रा शुरू हुई। 2011 में CISF में शामिल होने के बाद, उन्होंने पर्वतारोहण को अपने जुनून के रूप में अपनाया, जो उस समय बल में एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र था।
माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई: एक ऐतिहासिक क्षण
19 मई, 2025 की सुबह, गीता समोता ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर कदम रखा, जिसे "दुनिया की छत" कहा जाता है। यह पल न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत और CISF के लिए गर्व का क्षण था। गीता ने शेरपा गाइड लकपा शेरपा के साथ यह चढ़ाई पूरी की। इस दौरान उन्होंने भारतीय तिरंगा फहराकर देश का मान बढ़ाया। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि गीता CISF की पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने एवरेस्ट की चोटी को फतह किया।
गीता की पर्वतारोहण उपलब्धियां
गीता की यह उपलब्धि कोई अचानक सफलता नहीं है। उनकी पर्वतारोहण यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़ाव हैं:
- 2017: गीता ने उन्नत पर्वतारोहण कोर्स पूरा किया और CISF में ऐसा करने वाली पहली कर्मी बनीं।
- 2019: वह किसी भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की पहली महिला बनीं, जिन्होंने उत्तराखंड के माउंट सतोपंथ (7,075 मीटर) और नेपाल के माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर चढ़ाई की।
- 2021: एवरेस्ट अभियान तकनीकी कारणों से रद्द होने के बाद, गीता ने "सेवन समिट्स" (सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई) का लक्ष्य रखा।
- 2025: उन्होंने केवल छह महीने और 27 दिनों में चार सेवन समिट्स चोटियों को फतह किया, जो किसी भारतीय महिला के लिए सबसे तेज समय है। इसके अलावा, उन्होंने लद्दाख के रुपशु क्षेत्र में तीन दिन में पांच चोटियों (तीन 6,000 मीटर से ऊपर और दो 5,000 मीटर से ऊपर) पर चढ़ाई कर एक और रिकॉर्ड बनाया।
प्रेरणा और सम्मान
गीता की इस उपलब्धि ने न केवल CISF बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है। CISF के महानिदेशक और सभी रैंकों ने उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। उनकी इस उपलब्धि को "नारी शक्ति की मिसाल" करार देते हुए, CISF ने इसे युवाओं, खासकर महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया है।
गीता को पहले भी कई सम्मान मिल चुके हैं:
- 2023: दिल्ली महिला आयोग द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार।
- 2023: नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा "गिविंग विंग्स टू ड्रीम्स अवार्ड"।
भविष्य की योजनाएं
गीता की इस उपलब्धि ने CISF को प्रेरित किया है, और अब बल 2026 में माउंट एवरेस्ट पर अपनी पहली पूर्ण पर्वतारोहण टीम भेजने की योजना बना रहा है। यह कदम न केवल बल की क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा, बल्कि पर्वतारोहण को एक पेशेवर क्षेत्र के रूप में बढ़ावा देगा।
एक प्रेरणादायक संदेश
गीता समोता की कहानी साहस, दृढ़ता और सपनों को सच करने की है। एक छोटे से गांव से निकलकर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी तक का उनका सफर हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल भारत का झंडा बुलंद किया, बल्कि यह भी दिखाया कि मेहनत और आत्मविश्वास के साथ कोई भी मंजिल असंभव नहीं है।