नाबालिग पीड़िता का भ्रूण बदला, पुलिस-हॉस्पिटल पर सबूत मिटाने का आरोप

16 वर्षीय रेप पीड़िता का भ्रूण बदलने का सनसनीखेज मामला सामने आया, जिसमें पुलिस और हॉस्पिटल पर सबूत मिटाने की साजिश का आरोप है। पॉक्सो कोर्ट के सरकारी वकील प्रशांत यादव ने गृहमंत्री और डीजीपी को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की।

Jul 24, 2025 - 16:00
नाबालिग पीड़िता का भ्रूण बदला, पुलिस-हॉस्पिटल पर सबूत मिटाने का आरोप

एक दिल दहला देने वाले मामले में, अजमेर के केकड़ी में 16 वर्षीय नाबालिग रेप पीड़िता के भ्रूण को बदलने का गंभीर आरोप सामने आया है। इस मामले ने न केवल पुलिस जांच की खामियों को उजागर किया है, बल्कि हॉस्पिटल प्रबंधन और कर्मचारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पॉक्सो कोर्ट संख्या 1 के विशिष्ट लोक अभियोजक प्रशांत यादव ने इस मामले को लेकर गृहमंत्री, डीजीपी, शासन सचिव, आईजी और एसपी को पत्र लिखकर सबूत मिटाने की साजिश की जानकारी दी है।

16 वर्षीय नाबालिग छात्रा ने अपनी शिकायत में बताया कि 26 जनवरी 2024 को उसके गांव के ही एक स्कूल के लड़के ने सुबह 10 बजे अपने घर में उसे बुलाकर जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता ने यह शिकायत अपने पिता की मौजूदगी में केकड़ी सिटी थाना पुलिस को दी थी। जून 2024 में जब उसे तेज पेट दर्द हुआ, तो परिजन उसे केकड़ी के सरकारी हॉस्पिटल ले गए। वहां से उसे अजमेर के राजकीय जनाना चिकित्सालय रेफर किया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे गर्भवती बताया और उसका गर्भपात कराया गया।

केकड़ी पुलिस ने 15 जून 2024 को पीड़िता के बयान के आधार पर पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की और जांच सब इंस्पेक्टर धोलाराम को सौंपी। पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया और गर्भपात के दौरान निकाले गए भ्रूण के सैंपल लिए। साथ ही, दो आरोपियों की भी मेडिकल और फॉरेंसिक जांच की गई। लेकिन जब फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (एफएसएल) और डीएनए जांच की रिपोर्ट आई, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। न तो भ्रूण का डीएनए पीड़िता से मेल खाया और न ही आरोपियों से। हैरानी की बात यह रही कि पीड़िता और भ्रूण के सैंपल भी एक-दूसरे से अलग पाए गए।

भ्रूण बदलने का आरोप, हॉस्पिटल और पुलिस पर सवाल

विशिष्ट लोक अभियोजक प्रशांत यादव ने इस मामले को गंभीर बताते हुए दावा किया कि आरोपियों को बचाने के लिए भ्रूण या सैंपल में हेरफेर किया गया। उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की मिलीभगत से अजमेर के राजकीय जनाना चिकित्सालय में भ्रूण बदल दिया गया। यादव ने हॉस्पिटल प्रबंधन, ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और कर्मचारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने सबूत मिटाने और आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की है।

यादव ने अपने पत्र में कहा, "यह एक गंभीर साजिश है, जिसमें नाबालिग पीड़िता के साथ न्याय को दबाने की कोशिश की गई है। पुलिस ने जांच में कई खामियां छोड़ीं और हॉस्पिटल प्रशासन ने केवल संबंधित डॉक्टरों और कर्मचारियों के बयान दर्ज कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली।"

पुलिस जांच में खामियां, डीएसपी ने दी जानकारी

केकड़ी के डीएसपी हर्षित शर्मा ने बताया कि जब भ्रूण, पीड़िता और आरोपियों की एफएसएल और डीएनए जांच की गई, तो किसी भी सैंपल का मिलान नहीं हुआ। यह स्पष्ट करता है कि भ्रूण को बदला गया। इस मामले की जांच के लिए केकड़ी थानाधिकारी कुसुमलता को जिम्मेदारी दी गई है। पुलिस ने हॉस्पिटल प्रशासन को पत्र लिखकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि भ्रूण किस स्तर पर बदला गया। हालांकि, अभी तक हॉस्पिटल की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। डीएसपी ने बताया कि दोनों आरोपी वर्तमान में जेल में हैं और जांच जारी है।

पीड़िता और परिवार का दर्द

इस मामले ने नाबालिग पीड़िता और उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। एक 16 वर्षीय लड़की, जो पहले ही रेप जैसी भयानक घटना का शिकार हुई, अब सबूतों के साथ छेड़छाड़ के कारण न्याय से वंचित होने के कगार पर है। पीड़िता के परिवार ने पुलिस और हॉस्पिटल प्रशासन पर भरोसा जताया था, लेकिन अब वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

समाज में आक्रोश, सवालों के घेरे में व्यवस्था

यह मामला राजस्थान में महिलाओं और नाबालिगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठा रहा है। अगर अस्पताल जैसे सुरक्षित स्थान पर भ्रूण बदलने जैसी साजिश हो सकती है, तो यह व्यवस्था की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल है। पॉक्सो कोर्ट के सरकारी वकील प्रशांत यादव की ओर से उठाए गए कदम ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। समाज के विभिन्न वर्गों में इस घटना को लेकर आक्रोश है और लोग निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

Yashaswani Journalist at The Khatak .