अनिल अंबानी पर ED का शिकंजा: 3000 करोड़ के लोन घोटाले में दिल्ली-मुंबई के 35+ ठिकानों पर छापेमारी.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप (RAAGA) कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और 3000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले के मामले में दिल्ली-मुंबई समेत 35+ ठिकानों पर छापेमारी की। जांच में यस बैंक और रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) की भूमिका, दस्तावेजों में हेरफेर, शेल कंपनियों के जरिए पैसे की हेराफेरी और बिना जांच के लोन मंजूरी जैसे गंभीर आरोप सामने आए। CBI की FIRs और सेबी की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई PMLA के तहत की जा रही है।

नई दिल्ली/मुंबई, 24 जुलाई 2025: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप (RAAGA कंपनियों) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और 3000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले के मामले में शुक्रवार सुबह बड़ी कार्रवाई की। दिल्ली और मुंबई समेत 35 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई, जिसमें करीब 50 कंपनियों और 25 से ज्यादा व्यक्तियों के परिसरों की तलाशी ली जा रही है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत हो रही है। जांच में दस्तावेजों में हेरफेर, फर्जी कंपनियों के जरिए पैसे की हेराफेरी और यस बैंक के साथ मिलीभगत के गंभीर आरोप सामने आए हैं।
कैसे शुरू हुआ मामला?
ED की यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज दो FIRs (नंबर RC2242022A0002 और RC2242022A0003) के आधार पर शुरू हुई। इन FIRs में रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप (RAAGA) की कंपनियों पर धोखाधड़ी, गबन और बैंकों से फर्जी तरीके से लोन लेने का आरोप है। CBI की जांच के बाद ED ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।
ED को सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB), नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी संस्थाओं से अहम जानकारी मिली। इनके आधार पर ED ने पाया कि यह एक सुनियोजित योजना थी, जिसके तहत बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देकर सार्वजनिक धन को हड़पा गया।
यस बैंक और 3000 करोड़ का लोन घोटाला
जांच में सामने आया कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RAAGA कंपनियों को करीब 3000 करोड़ रुपये के लोन दिए। इन लोनों को मंजूरी देने में कई गड़बड़ियां पाई गईं:बैकडेटेड दस्तावेज: क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम (CAMs) को पीछे की तारीख में तैयार किया गया।
बिना जांच के लोन: लोन मंजूरी से पहले कोई ड्यू डिलिजेंस या क्रेडिट एनालिसिस नहीं किया गया, जो यस बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन है।
घूस का खेल: लोन मंजूरी से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटर्स को उनके निजी खातों या कंपनियों में बड़ी रकम ट्रांसफर की गई, जो एक संभावित रिश्वतखोरी की ओर इशारा करता है।
शेल कंपनियों का जाल: लोन की रकम को कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों, एक ही पते वाली फर्मों या एक ही डायरेक्टर वाली शेल कंपनियों में ट्रांसफर किया गया। कई मामलों में लोन मंजूरी से पहले ही रकम ट्रांसफर कर दी गई।
ED ने यह भी पाया कि लोनों को "एवरग्रीनिंग" की रणनीति के तहत इस्तेमाल किया गया, यानी पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन दिए गए ताकि डिफॉल्ट छिपाया जा सके।
रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) पर सवाल
सेबी ने रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) में भारी अनियमितताओं की ओर ध्यान दिलाया। 2017-18 में RHFL का कॉरपोरेट लोन बुक 3,742.60 करोड़ रुपये था, जो 2018-19 में बढ़कर 8,670.80 करोड़ रुपये हो गया। इस तेज उछाल में कई नियमों का उल्लंघन हुआ, जैसे:तेजी से और बिना जांच के लोन मंजूरी।
जरूरी दस्तावेजों का अभाव।
कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों को लोन देना।
SBI ने भी ठहराया फ्रॉडइससे पहले, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने जून 2025 में रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और अनिल अंबानी को "फ्रॉड" घोषित किया। SBI ने RCom पर 2,227.64 करोड़ रुपये का बकाया और 786.52 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी का हवाला देते हुए RBI को इसकी सूचना दी। बैंक अब CBI के पास शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया में है।
अनिल अंबानी का जवाब
अनिल अंबानी ने 2020 में ED की पूछताछ के दौरान किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया था। उनका कहना था कि लोन पूरी तरह सुरक्षित थे और यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर से कोई संबंध नहीं था। हालांकि, ED की मौजूदा जांच और CBI की FIRs इस दावे को चुनौती दे रही हैं।
ED की यह कार्रवाई अनिल अंबानी के कारोबारी साम्राज्य पर गहरा असर डाल सकती है। जांच में रिश्वतखोरी, फर्जीवाड़े और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूतों की गहन पड़ताल हो रही है। अभी तक रिलायंस ग्रुप की ओर से इस छापेमारी पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यह मामला न केवल अनिल अंबानी की कंपनियों, बल्कि यस बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहा है। आने वाले दिनों में जांच के और बड़े खुलासे होने की संभावना है।