सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए पुरुष बने महिला: 14,298 ने फर्जी दस्तावेजों से की धोखाधड़ी

मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना, जो महाराष्ट्र में आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई थी, में 14,298 पुरुषों द्वारा फर्जी दस्तावेजों से लाभ लेने के कारण 21.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, कुल अनियमितताओं से 1,640 करोड़ रुपये की हानि का अनुमान है। इस घोटाले ने सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर कर जनता में आक्रोश पैदा किया है।

Jul 29, 2025 - 18:29
सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए पुरुष बने महिला: 14,298 ने फर्जी दस्तावेजों से की धोखाधड़ी

महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना, जो आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई थी, अब एक बड़े घोटाले की वजह से सुर्खियों में है। इस योजना में 14,298 पुरुषों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए खुद को महिला के रूप में पंजीकृत कराकर लाभ उठाया, जिससे राज्य के खजाने को 21.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा, अन्य अनियमितताओं के कारण कुल 1,640 करोड़ रुपये की हानि होने का अनुमान है। इस खुलासे ने न केवल सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर किया है, बल्कि आम लोगों के बीच भी गुस्सा और निराशा पैदा की है।

लाडकी बहिन योजना: एक नेक पहल

महायुति गठबंधन (भाजपा, शिवसेना-शिंदे गुट, और राकांपा-अजित पवार गुट) ने अगस्त 2024 में इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की थी। इसका मकसद 21 से 65 वर्ष की उन महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता देना था, जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। यह योजना लाखों महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई और इसे 2024 के विधानसभा चुनावों में महायुति की जीत का एक बड़ा कारण माना गया। लेकिन अब इस योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

घोटाले का खुलासा: पुरुषों ने कैसे बनाया मजाक?

महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) के एक आंतरिक ऑडिट ने इस घोटाले की परतें खोलीं। ऑडिट में पाया गया कि 14,298 पुरुषों ने ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली में हेराफेरी कर खुद को महिला के रूप में दर्ज किया और 10 महीनों तक हर महीने 1,500 रुपये का लाभ लिया। इस धोखाधड़ी से सरकार को 21.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी। ऑडिट में अन्य अनियमितताएं भी सामने आईं:

  • 7.97 लाख महिलाओं का गलत पंजीकरण: योजना के नियमों के अनुसार, एक परिवार से केवल दो महिलाएं ही लाभ ले सकती हैं। लेकिन 7.97 लाख महिलाओं ने तीसरे सदस्य के रूप में पंजीकरण करवाया, जिससे 1,196 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

  • आयु सीमा का उल्लंघन: 2.87 लाख महिलाएं, जो 65 वर्ष से अधिक उम्र की थीं, ने भी लाभ उठाया, जबकि योजना की आयु सीमा 65 वर्ष तक है। इससे 431.7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

  • अन्य अपात्र लाभार्थी: 1.62 लाख महिलाएं, जिनके परिवार के पास चार-पहिया वाहन हैं, ने भी लाभ लिया, जो योजना के नियमों के खिलाफ है।

कुल मिलाकर, इन अनियमितताओं ने पहले साल में 1,640 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।

आम लोगों का गुस्सा: “यह योजना का अपमान है

इस घोटाले ने आम लोगों में गुस्सा और निराशा पैदा की है। मुंबई की एक गृहिणी, राधिका पाटिल, ने कहा, “हम जैसे लोग, जो सचमुच जरूरतमंद हैं, उनके लिए यह योजना उम्मीद की किरण थी। लेकिन पुरुषों का इस तरह धोखा देना शर्मनाक है।” सोशल मीडिया पर भी लोग अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “यह आधार कार्ड सत्यापन की नाकामी है। सरकार को पहले सिस्टम मजबूत करना चाहिए था।”

सरकार का रुख: सख्त कार्रवाई का वादा

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस घोटाले पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा, “लाडकी बहिन योजना गरीब महिलाओं के लिए है। पुरुषों का इसमें लाभ लेना अस्वीकार्य है। हम फर्जी लाभार्थियों से पूरी राशि वसूल करेंगे, और अगर वे सहयोग नहीं करते, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिसंबर 2024 में योजना की व्यापक समीक्षा का आदेश दिया था। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। इनमें पुरुष, तीसरे परिवार के सदस्य, और अन्य अपात्र लोग शामिल हैं। सरकार ने आधार डेटा के साथ सत्यापन को और सख्त करने की योजना बनाई है।

विपक्ष का हमला: यह सरकारी लापरवाही है

विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। राकांपा (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले ने सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, “इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी कैसे हो गई? सरकार ने सत्यापन के लिए क्या कदम उठाए थे? यह महिलाओं के सशक्तिकरण के नाम पर मजाक है।”

सिस्टम की खामियां: कैसे हुआ इतना बड़ा फर्जीवाड़ा?

इस घोटाले ने ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली की कई कमियों को उजागर किया है:

  • सत्यापन में ढिलाई: लिंग, आयु, और अन्य पात्रता मानदंडों की पर्याप्त जांच नहीं की गई।

  • आधार लिंकिंग की कमी: आधार कार्ड के साथ सत्यापन की प्रक्रिया कमजोर थी, जिसके कारण फर्जी पंजीकरण संभव हुआ।

  • जागरूकता का अभाव: कई मामलों में, अपात्र लोगों को लाभ मिलने का कारण सत्यापन प्रक्रिया में लापरवाही थी।

सरकार ने इस मामले में कई कदम उठाए हैं:

  • वसूली की प्रक्रिया: फर्जी लाभार्थियों से राशि वसूलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

  • जांच: यह पता लगाया जा रहा है कि सत्यापन प्रक्रिया में कहां चूक हुई।

  • सुधार: ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली में सुधार और सख्त सत्यापन प्रक्रिया लागू की जा रही है।

  • कानूनी कार्रवाई: फर्जी दस्तावेजों के जरिए लाभ लेने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना है।

  • निलंबन: जून 2025 से 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों के लाभ को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। इनके दस्तावेजों की जांच जिला कलेक्टरों द्वारा की जाएगी।

Yashaswani Journalist at The Khatak .