कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले में सीबीआई जांच पर ताजा अपडेट

कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले में जोधपुर सीबीआई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दो महीने में दोबारा जांच के आदेश दिए, प्रथम दृष्टया एनकाउंटर को फर्जी माना। यह एनकाउंटर 2021 में गहलोत सरकार के समय बाड़मेर में हुआ था। परिजनों और कांग्रेस विधायकों की मांग पर सीबीआई को जांच सौंपी गई थी। सीबीआई ने पहले क्लोजर रिपोर्ट दी, लेकिन कोर्ट ने सवाल उठाए। अब सीबीआई बाड़मेर पहुंचकर जांच कर रही है, जिसमें दो आईपीएस सहित 24 पुलिसकर्मियों और कुछ नेताओं की भूमिका की जांच होगी।

Jun 4, 2025 - 15:43
Jun 4, 2025 - 15:48
कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले में सीबीआई जांच पर ताजा अपडेट

राजस्थान के बहुचर्चित कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले में जोधपुर की एसीजेएम (सीबीआई) कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इस एनकाउंटर को फर्जी माना है, जिसके बाद सीबीआई ने बाड़मेर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।

मामले का इतिहास

22 अप्रैल 2021 की रात बाड़मेर पुलिस ने कुख्यात तस्कर कमलेश प्रजापत का एनकाउंटर किया था। पुलिस का दावा था कि कमलेश ने एसयूवी गाड़ी से पुलिसकर्मियों को कुचलने की कोशिश की, जिसके बाद आत्मरक्षा में गोली चलाई गई। हालांकि, इस एनकाउंटर पर शुरू से ही सवाल उठते रहे। कमलेश के परिजनों और प्रजापत समाज ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार देते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी।

तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने 31 मई 2021 को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने 5 जुलाई 2021 को बाड़मेर के सदर थाने में एफआईआर दर्ज की और लंबी जांच के बाद मार्च 2023 में क्लोजर रिपोर्ट पेश की। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सबूतों के आधार पर यह साबित करना मुश्किल है कि एनकाउंटर फर्जी था।

कोर्ट का फैसला

कमलेश की पत्नी जसोदा ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने दावा किया कि जांच में तत्कालीन पुलिस अधिकारी पुष्पेंद्र आढा का पक्ष नहीं लिया गया और जांच निष्पक्ष नहीं थी। कोर्ट ने 16 अप्रैल 2025 को सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज करते हुए दो आईपीएस अधिकारियों—तत्कालीन पाली एसपी कालूराम रावत और बाड़मेर एसपी आनंद शर्मा—सहित 24 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने तत्कालीन राजस्व मंत्री और वर्तमान बायतू विधायक हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी, और तत्कालीन आईजी (जोधपुर रेंज) नवज्योति गोगोई की भूमिका की जांच के भी निर्देश दिए। कोर्ट ने सीबीआई को दो महीने में नई जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

परिजनों और नेताओं की प्रतिक्रिया

कमलेश के भाई भैराराम और पत्नी जसोदा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि हरीश चौधरी के इशारे पर पुलिस ने कमलेश का एनकाउंटर किया। पचपदरा के तत्कालीन कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत ने भी शुरू से इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे और सीबीआई जांच की मांग की थी।

वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी, और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल ने भी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने वायरल सीसीटीवी फुटेज का हवाला देते हुए इसे सुनियोजित हत्या करार दिया था।

सीबीआई की ताजा जांच

कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई की टीम ने बाड़मेर में जांच शुरू कर दी है। टीम ने सर्किट हाउस में अस्थाई कार्यालय स्थापित किया है और एनकाउंटर से जुड़े साक्ष्य, सीसीटीवी फुटेज, और गवाहों के बयान जुटाने का काम शुरू किया है। परिजनों ने सीबीआई को 11 पेज का मांग-पत्र सौंपा है, जिसमें हरीश चौधरी, मनीष चौधरी, और एक महिला मित्र की भूमिका की जांच की मांग की गई है।

विवाद के प्रमुख बिंदु

  • सीसीटीवी फुटेज: वायरल फुटेज में पुलिस की कार्रवाई संदिग्ध दिखाई दी, जिसमें कोई संघर्ष के निशान नहीं थे।

  • पुलिस का दावा: पुलिस ने कहा कि कमलेश ने गाड़ी से कुचलने की कोशिश की, लेकिन फुटेज में हेड कांस्टेबल मेहाराम की पेंट फटी हुई दिखी, जिसे पुलिस ने गाड़ी के नीचे फंसने का परिणाम बताया।

  • व्यापारिक प्रतिस्पर्धा: कमलेश की फर्म केके इंटरप्राइजेज और हरीश चौधरी के परिवार के बीच पचपदरा रिफाइनरी में ठेकेदारी को लेकर विवाद की बात सामने आई।

  • सांडेराव मामला: सीबीआई ने सांडेराव में कमलेश की कथित संलिप्तता की जांच नहीं की, जो एनकाउंटर की कहानी का आधार था।

कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामला राजस्थान की राजनीति और पुलिस कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठा रहा है। कोर्ट के ताजा फैसले ने इस मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। अब सभी की नजरें सीबीआई की नई जांच पर टिकी हैं, जो दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इस जांच से कई बड़े नेताओं और पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर नया खुलासा हो सकता है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .