जन्माष्टमी 2025: 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम, भक्ति और उत्साह का माहौल

16 अगस्त 2025 को जन्माष्टमी का पर्व पूरे देश में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। मथुरा-वृंदावन में रासलीला, मुंबई में दही हांडी, और इस्कॉन मंदिरों में भजन-कीर्तन उत्सव को खास बनाएंगे। घरों में बाल गोपाल की पूजा और प्रसाद वितरण श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करेगा। यह पर्व भक्ति और एकता का संदेश देता है।

Aug 13, 2025 - 11:54
जन्माष्टमी 2025: 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम, भक्ति और उत्साह का माहौल
इस साल 16 अगस्त को जन्माष्टमी का पवित्र पर्व पूरे देश में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जिन्हें हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। मथुरा, वृंदावन, और देश के कोने-कोने में मंदिरों को सजाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। भक्त रासलीला, दही हांडी, और भजन-कीर्तन के साथ इस उत्सव को यादगार बनाने के लिए तैयार हैं।

मथुरा-वृंदावन में भव्य तैयारियां

मथुरा और वृंदावन, जहां श्रीकृष्ण का जन्म और बचपन बीता, वहां जन्माष्टमी का उत्सव विशेष रूप से भव्य होगा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और बांके बिहारी मंदिर में लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचेंगे। 16 अगस्त की मध्यरात्रि को भगवान के जन्म के समय मंदिरों में घंटियों और शंखनाद के साथ विशेष पूजा होगी। रासलीला और नाट्य मंचन श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करेंगे, जो भक्तों को भक्ति के रंग में डुबो देंगे।

दही हांडी का जोश

महाराष्ट्र, खासकर मुंबई और पुणे में, दही हांडी जन्माष्टमी का मुख्य आकर्षण होगी। गोविंदाओं की टोलियां ऊंची हांडियों को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाएंगी, जो श्रीकृष्ण की माखन चोरी की शरारतों का प्रतीक है। इस बार पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई आयोजकों ने मिट्टी की हांडियों का उपयोग करने का फैसला किया है। मुंबई में 2,500 से अधिक दही हांडी आयोजनों की योजना है, जिसमें हजारों लोग शामिल होंगे।

इस्कॉन मंदिरों में उत्सव की रौनक

इस्कॉन मंदिर जन्माष्टमी को वैश्विक स्तर पर मनाएंगे। दिल्ली, बेंगलुरु, और कोलकाता के मंदिरों में भक्तों के लिए विशेष झांकियां, भजन-कीर्तन, और 108 प्रकार के भोग का आयोजन होगा। इस्कॉन ने बच्चों के लिए कृष्ण लीला पर आधारित नाटकों और चित्रकला प्रतियोगिताओं की भी योजना बनाई है। ये आयोजन युवा पीढ़ी को श्रीकृष्ण की शिक्षाओं से जोड़ने का एक शानदार प्रयास हैं।

घरों में जन्माष्टमी की धूम

16 अगस्त को देशभर के घरों में भक्त छोटे बाल गोपाल की मूर्तियों को सजाएंगे और झूलों में बिठाएंगे। मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में विशेष पूजा और भजन होंगे। माखन, मिश्री, और पंजीरी जैसे पारंपरिक प्रसाद उत्सव को और स्वादिष्ट बनाएंगे। बच्चे राधा-कृष्ण के वेश में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे, जिससे घरों में उत्सव का माहौल होगा।

श्रीकृष्ण का संदेश

जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, धर्म, और कर्म का उत्सव है। श्रीकृष्ण की भगवद गीता की शिक्षाएं आज भी लोगों को साहस और संतुलन का पाठ पढ़ाती हैं। यह पर्व भक्तों को एकजुट करता है और समाज में प्रेम, भाईचारा, और भक्ति का संदेश फैलाता है। 16 अगस्त को यह उत्सव देश को एक बार फिर भक्ति के रंग में रंग देगा।