हनी ट्रैप : हसीना का जाल और फिर,ब्लैकमेलिंग का धमाल
NCRB डेटा से खुलासा, अकेले 2024 में देशभर में 1000+ केस — युवाओं को बनाया जा रहा है टारगेट

क्या है हनी ट्रैप?
हनी ट्रैप एक साइबर अपराध की रणनीति है जिसमें भावनाओं का सहारा लेकर व्यक्ति को अपने जाल में फंसाया जाता है। अपराधी सोशल मीडिया पर फर्जी पहचान बनाकर लोगों से दोस्ती या प्यार का दिखावा करते हैं। जब रिश्ता मजबूत हो जाता है, तो निजी फोटो, वीडियो या जानकारी लेकर ब्लैकमेलिंग शुरू हो जाती है।
भारत में बढ़ते हनी ट्रैप के मामले: डेटा क्या कहता है?
NCRB (2023) रिपोर्ट के अनुसार, देश में साइबर ब्लैकमेलिंग और फ्रॉड के मामलों में 27% की वृद्धि हुई।
सिर्फ दिल्ली में 2024 के पहले 6 महीनों में 1200 से ज्यादा केस हनी ट्रैप से जुड़े दर्ज हुए।
पीड़ितों में 70% पुरुष थे, जिनकी उम्र 18–35 वर्ष के बीच थी।
ज्यादातर अपराधी भारत से बाहर बैठे होते हैं या फर्जी आईपी एड्रेस से ऑपरेट करते हैं।
कैसे फंसाया जाता है? — Step-by-Step ट्रैपिंग प्रोसेस
फेक प्रोफाइल बनाना – खूबसूरत मॉडल की तस्वीरें, इंग्लिश नाम, कम जानकारी
चैटिंग शुरू करना – "Hi handsome", "You look cute", "Are you single?"
इमोशनल बॉन्डिंग – गहराई से बातें करना, निजी परेशानियों को शेयर करना
वीडियो कॉल ट्रैप – अश्लील वीडियो कॉल में फंसा कर रिकॉर्ड करना
ब्लैकमेलिंग – वीडियो वायरल करने की धमकी और पैसों की मांग
क्यों फंस जाते हैं लोग?
अकेलापन, इमोशनल गैप
सोशल मीडिया पर ज़रूरत से ज्यादा खुलापन
जल्दी भरोसा कर लेना
"मुझसे ऐसा नहीं हो सकता" वाली मानसिकता
शर्म और डर के कारण मदद न मांगना
विशेषज्ञों की राय: मानसिक कमजोरी को निशाना बनाते हैं अपराधी
साइकोलॉजिस्ट डॉ. रश्मि सक्सेना कहती हैं:
"हनी ट्रैप में फंसने वाले अधिकतर लोग अकेले होते हैं, जिन्हें कोई सुनने वाला नहीं होता। अपराधी इस इमोशनल गैप का फायदा उठाते हैं।"
कानूनी उपाय और रिपोर्टिंग प्रक्रिया
भारत सरकार ने शिकायत के लिए हेल्पलाइन 1930 और पोर्टल www.cybercrime.gov.in जारी किया है।
साइबर क्राइम पर IPC की धारा 384 (जबरन वसूली), 420 (धोखाधड़ी) और IT Act के सेक्शंस लगाए जाते हैं।
रिपोर्ट करने वाले की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है।
कैसे बचें हनी ट्रैप से? — डिजिटल सेफ्टी गाइड
अजनबी प्रोफाइल की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें
चैटिंग या वीडियो कॉल में व्यक्तिगत जानकारी न दें
सोशल मीडिया की प्राइवेसी सेटिंग्स को अपडेट रखें
कोई भी शक हो तो तुरंत बातचीत बंद करें
ब्लैकमेलिंग होने पर चुप न रहें, सबूत इकट्ठा कर रिपोर्ट करें
डरें नहीं, जागरूक बनें
हनी ट्रैप सिर्फ डिजिटल ब्लैकमेलिंग नहीं, बल्कि मानसिक शोषण भी है। इसका इलाज है – सतर्कता, समझदारी और समय रहते कार्रवाई।
अगर आप या आपका कोई जानने वाला इस जाल में फंसा है, तो खामोश न रहें। मदद मांगें, कानून साथ है।
संपर्क और शिकायत
साइबर क्राइम हेल्पलाइन: 1930
ऑनलाइन पोर्टल: www.cybercrime.gov.in