"हरीश चौधरी का हाईटेंशन लाइन कंपनियों पर जोरदार प्रहार: 'किसानों की जमीन नहीं छीनने देंगे, हर कदम पर साथ हूँ!'"

बायतु विधायक हरीश चौधरी ने हाईटेंशन लाइन कंपनियों के खिलाफ जोरदार मोर्चा खोला, किसानों की जमीन बचाने के लिए आंदोलन की चेतावनी दी। उन्होंने कंपनियों पर मनमानी और बिना मुआवजे जमीन हड़पने का आरोप लगाया, सरकार से पारदर्शिता की मांग की, और युवाओं-किसानों को एकजुट होने का आह्वान किया। चौधरी ने कहा, "चाहे कोई भी नेतृत्व करे, मैं साथ हूँ," जिससे बाड़मेर में एक बड़े आंदोलन की संभावना बढ़ गई है। उनकी यह पहल रविंद्र सिंह भाटी के आंदोलन को और मजबूती दे रही है।

May 23, 2025 - 16:36
May 23, 2025 - 16:47
"हरीश चौधरी का हाईटेंशन लाइन कंपनियों पर जोरदार प्रहार: 'किसानों की जमीन नहीं छीनने देंगे, हर कदम पर साथ हूँ!'"

बायतु विधायक हरीश चौधरी ने राजस्थान के बाड़मेर जिले में हाईटेंशन लाइन कंपनियों के खिलाफ तीखा रुख अपनाते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जमकर अपनी बात रखी। यह मुद्दा स्थानीय किसानों और आम जनता के लिए बेहद संवेदनशील है, क्योंकि हाईटेंशन लाइनों के लिए उनकी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। चौधरी ने इस मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी और कई अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला, जिसने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी।

  1. "किसानों की जमीन बचाने की जंग में मैं सबसे आगे"
    हरीश चौधरी ने कहा कि किसानों की जमीन उनकी आजीविका का आधार है, और इसे हाईटेंशन लाइन कंपनियों के हवाले नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा, "मैं हर उस किसान के साथ खड़ा हूँ, जिसकी जमीन पर जबरन कब्जा करने की कोशिश हो रही है। चाहे कोई भी नेतृत्व करे, मैं पूरा समर्थन दूंगा।"
  2. "कंपनियों की मनमानी नहीं चलेगी"
    चौधरी ने हाईटेंशन लाइन कंपनियों पर मनमानी करने और नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बिना उचित मुआवजे और स्थानीय लोगों की सहमति के जमीन अधिग्रहण करना गलत है। "ये कंपनियाँ मुनाफे के लिए किसानों का शोषण कर रही हैं, लेकिन अब बाड़मेर की जनता जाग चुकी है," उन्होंने दमदार अंदाज में कहा।
  3. "आंदोलन की राह पर चलने को तैयार"
    विधायक ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कंपनियाँ अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करतीं, तो वह किसानों के साथ मिलकर सड़क पर उतरने को तैयार हैं। "हम शांति से अपनी बात रखेंगे, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे। जनता की आवाज को दबने नहीं देंगे," चौधरी ने चेतावनी दी।
  4. "सरकार से सवाल, जनता के हित में जवाब दो"
    चौधरी ने राज्य सरकार से सवाल किया कि वह इस मुद्दे पर चुप क्यों है? उन्होंने मांग की कि सरकार हाईटेंशन लाइन परियोजनाओं में पारदर्शिता लाए और किसानों को उचित मुआवजा दे। "क्या सरकार कॉरपोरेट्स के साथ है या अपनी जनता के साथ?" उनका यह सवाल सरकार के लिए चुनौती बन गया है।
  5. "युवा और किसान एकजुट हों"
    रविंद्र सिंह भाटी के बाद अब हरीश चौधरी ने भी युवाओं और किसानों को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "हमारी ताकत हमारी एकता में है। अगर हम सब मिलकर आवाज उठाएंगे, तो कोई भी हमें दबा नहीं सकता।"

हरीश चौधरी का यह बयान न केवल बायतु बल्कि पूरे बाड़मेर में चर्चा का विषय बन गया है। उनकी यह पहल रविंद्र सिंह भाटी के आंदोलन की गूंज को और मजबूत करती है, जिन्होंने पहले भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। चौधरी का यह बयान न केवल स्थानीय किसानों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह राजनीतिक रूप से कितने सक्रिय और जनता के प्रति समर्पित हैं। उनकी यह टिप्पणी कि "चाहे कोई भी नेतृत्व करे, मैं साथ हूँ" एकता का संदेश देती है और क्षेत्र में एक बड़े आंदोलन की नींव रख सकती है।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया:

स्थानीय किसानों और युवाओं ने हरीश चौधरी के इस रुख का स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर भी उनके बयान की खूब चर्चा हो रही है। एक यूजर ने X पर लिखा, "हरीश चौधरी ने किसानों की आवाज को बुलंद किया है। अब समय है कि बाड़मेर की जनता एकजुट होकर इस लड़ाई को जीते।"

हरीश चौधरी का हाईटेंशन लाइन कंपनियों के खिलाफ यह बयान न केवल एक राजनीतिक कदम है, बल्कि यह बाड़मेर के किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण भी है। उनके बयानों ने साफ कर दिया है कि वह जनता के हितों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अब देखना यह है कि इस मुद्दे पर सरकार और कंपनियाँ क्या रुख अपनाती हैं, और क्या चौधरी का यह आह्वान एक बड़े आंदोलन का रूप लेगा?

हरीश चौधरी का यह बयान न सिर्फ हाईटेंशन लाइन कंपनियों के लिए चेतावनी है, बल्कि सरकार के लिए भी एक बड़ा सवाल बन गया है। क्या सरकार किसानों के हक में कोई ठोस कदम उठाएगी? 

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ