संघर्ष से सितारों तक: जानिए कौन हैं यह बॉलीवुड अभिनेत्री, जिन्होंने शराब, ड्रग्स और कैंसर को हराया

सौदागर से बॉलीवुड में कदम रखा, शराब, ड्रग्स और कैंसर जैसे मुश्किल दौर से गुजरीं, लेकिन हिम्मत और मेहनत से हीरामंडी जैसी परियोजनाओं के साथ शानदार वापसी की। उनके संघर्ष और स्वाभिमान से भरे बचपन ने उन्हें जिंदगी की हर चुनौती से लड़ना सिखाया।

Aug 16, 2025 - 12:07
संघर्ष से सितारों तक: जानिए कौन हैं यह बॉलीवुड अभिनेत्री, जिन्होंने शराब, ड्रग्स और कैंसर को हराया

बॉलीवुड की चमक-दमक में अपनी अलग पहचान बनाने वाली मनीषा कोइराला की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। सुभाष घई की फिल्म सौदागर से डेब्यू करने वाली इस अभिनेत्री ने शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान और अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गजों के साथ काम किया। लेकिन उनकी जिंदगी का सफर केवल ग्लैमर और कामयाबी तक सीमित नहीं रहा। शराब, ड्रग्स और कैंसर जैसे मुश्किल दौर से गुजरने के बाद मनीषा ने जिस हिम्मत और हौसले से वापसी की, वह हर किसी के लिए प्रेरणा है। उनकी कहानी सिर्फ एक अभिनेत्री की नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला की है, जिसने जिंदगी की हर चुनौती को गले लगाया और उसका डटकर मुकाबला किया।

स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से ताल्लुक

मनीषा कोइराला का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जिसकी जड़ें नेपाल से जुड़ी हैं। उनके परदादा कृष्ण प्रसाद कोइराला नेपाल के जाने-माने बिजनेसमैन थे। लेकिन नेपाल के राजा से अनबन के चलते उन्हें सब कुछ छोड़कर भारत आना पड़ा। भारत में उनका संघर्ष आसान नहीं था। मनीषा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी दादी अक्सर सुनाया करती थीं कि कैसे उनके दादाजी के पास सिर्फ एक जोड़ी कपड़े थे। दिन में वही कपड़े पहनते, रात में धोते और गमछे में समय बिताते। फटी चप्पलें और सड़क पर फूल-माला बेचकर उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश की। मनीषा कहती हैं, “मेरे बचपन की यादें संघर्ष और स्वाभिमान से भरी हैं। मैं एक स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से हूं, जिसने आजादी के लिए यातनाएं झेलीं।”

साधारण बचपन, असाधारण सपने

मनीषा का बचपन बनारस के बसंत कन्या महाविद्यालय और बाद में दिल्ली के आर्मी पब्लिक स्कूल में बीता। उनके घर का माहौल आदर्शवादी था। घर में लेखक, प्रोफेसर, राजनेता और बुद्धिजीवी आया करते थे। मनीषा बताती हैं, “हमारे घर में 10-12 लोग रहते थे, और पूरा खर्च 3-5 हजार रुपये में चलता था। मेरा बचपन बेहद साधारण था।”

उनके घर में शास्त्रीय संगीत और नृत्य का माहौल था। उनकी दादी भरतनाट्यम और मणिपुरी डांसर थीं, जबकि मां कथक में निपुण थीं। मनीषा ने मात्र 3 साल की उम्र में मणिपुरी, भरतनाट्यम और कथक सीखना शुरू कर दिया था। स्कूल में वह बास्केटबॉल की दीवानी थीं और स्टेट लेवल पर खेल चुकी हैं। मनीषा हंसते हुए बताती हैं, “मैं और मेरे दोस्त क्लास बंक करके बास्केटबॉल की प्रैक्टिस करने चले जाते थे।”

दोस्तों का टिफिन और डॉक्टर बनने का सपना

मनीषा के घर का खाना सादा था, जबकि उनके दोस्तों के टिफिन में रोटी, अचार और सब्जियां होती थीं। वह कहती हैं, “मैं इंटरवल का इंतजार करती थी ताकि दोस्तों का टिफिन खा सकूं।” दिल्ली में पढ़ाई के दौरान मनीषा डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन स्कूल में पढ़ाई से ज्यादा वह अपने सपनों में खोई रहती थीं। एक बार जब किसी ने उनकी साइंस को कमजोर बताकर चिढ़ाया, तो मनीषा ने दिन-रात मेहनत की और उस साल साइंस में सबसे ज्यादा नंबर हासिल किए। यह उनकी जिद और जुनून का सबूत था।

मॉडलिंग से एक्टिंग की दुनिया में कदम

जेब खर्च के लिए मनीषा ने मॉडलिंग शुरू की, और यहीं से उनका झुकाव एक्टिंग की ओर हुआ। 1989 में नेपाली फिल्म फेरी भेटौला से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। बॉलीवुड में उनका डेब्यू 1991 में सुभाष घई की सौदागर से हुआ। हालांकि, इससे पहले शेखर कपूर ने उन्हें अपनी एक फिल्म के लिए साइन किया था, जो बन नहीं सकी। बोनी कपूर की फिल्म प्रेम में भी वह संजय कपूर के साथ काम करने वाली थीं, लेकिन वह प्रोजेक्ट भी उनके हाथ से निकल गया।

सौदागर की सफलता के बाद मनीषा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। लेकिन असली पहचान उन्हें 1994 में विधु विनोद चोपड़ा की 1942: ए लव स्टोरी से मिली। इस फिल्म में उनके किरदार रज्जो ने दर्शकों का दिल जीत लिया। मनीषा ने अपनी किताब हील्ड: हाउ कैंसर गेव मी ए न्यू लाइफ में बताया कि इस फिल्म के ऑडिशन में विधु विनोद चोपड़ा ने उन्हें “टेरिबल एक्ट्रेस” कहकर रिजेक्ट कर दिया था। लेकिन मनीषा ने हार नहीं मानी। उन्होंने एक दिन का समय मांगा, जमकर प्रैक्टिस की और दोबारा ऑडिशन देकर रोल हासिल किया।

सफलता के साथ आया अहंकार

सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए मनीषा को एक समय अहंकार ने घेर लिया। पिंकविला को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने स्वीकार किया, “जब जल्दी सफलता मिलती है, तो आप अहंकारी हो जाते हैं। मुझे लगने लगा था कि दुनिया मेरे इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन जिंदगी ने मुझे सिखाया कि मैं ऐसी नहीं हूं।” इस दौरान उनका नाम कई लोगों के साथ जोड़ा गया, जिनमें नाना पाटेकर के साथ उनके रिश्ते की खबरें सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहीं।

2010 में मनीषा ने बिजनेसमैन सम्राट दहल से शादी की, लेकिन यह रिश्ता दो साल बाद 2012 में टूट गया। इसके बाद मनीषा ने अकेले जिंदगी जीने का फैसला किया।

शराब, ड्रग्स और कैंसर की जंग

करियर के चरम पर पहुंचने के बाद मनीषा का करियर ढलान पर चला गया। इस गम को भुलाने के लिए उन्होंने शराब और ड्रग्स का सहारा लिया, जिसका असर उनके काम पर पड़ा। वह नशे में रहने लगीं और धीरे-धीरे फिल्मों से दूर होती चली गईं। तभी 2012 में उनकी तबीयत बिगड़ी और जांच में पता चला कि उन्हें गर्भाशय का कैंसर है। यह खबर उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं थी। मनीषा ने न्यूयॉर्क में लगभग एक साल तक इलाज कराया और आखिरकार कैंसर को हरा दिया।

इस मुश्किल दौर को मनीषा ने अपनी किताब हील्ड: हाउ कैंसर गेव मी ए न्यू लाइफ में बयां किया। उन्होंने लिखा, “कैंसर ने मुझे जिंदगी का नया मतलब सिखाया। यह मेरे लिए एक नई शुरुआत थी।”

कैंसर से जंग जीतने के बाद मनीषा ने 2017 में फिल्म डियर माया से बॉलीवुड में वापसी की। इसके बाद संजू में नरगिस दत्त के किरदार ने उन्हें फिर से चर्चा में लाया। लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं 2024 में रिलीज हुई वेब सीरीज हीरामंडी ने, जिसमें उनके मल्लिकाजान के किरदार को खूब सराहना मिली।

Yashaswani Journalist at The Khatak .